अशनीर ग्रोवर को भारतपे से हटाने की ओछी कॉरपोरेट राजनीति…

जब अशनीर ग्रोवर को अपने ही ब्रेन चाईल्ड भारतपे से दूर होना पड़ा

BharatPe

वो समय बहुत पीड़ा से भरा होता है जब आप एक बीज बोते हैं और उसके फलदायक होने पर आपको उसे छोड़ने के लिए विवश कर दिया जाता है। कुछ ऐसा ही भारतपे के पूर्व सह-संस्थापक और पूर्व प्रबंध निदेशक अशनीर ग्रोवर के साथ हुआ। इस साल मार्च में अशनीर ग्रोवर ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन, अशनीर को भारतपे से जबरन बाहर निकलने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा इसकी प्रामाणिक जानकारी अब तक सामने नहीं आ पायी है। लेकिन वास्तव में हुआ कुछ ऐसा ही था जिसके बाद अशनीर ग्रोवर ख़बरों से दूर होने के साथ ही अपने ब्रेन चाईल्ड भारतपे से भी दूर होना पड़ा।

अशनीर ग्रोवर के पास नहीं था कोई और विकल्प

एक लंबे लिखित त्यागपत्र के साथ अशनीर ग्रोवर ने मार्च माह में भारतपे से इस्तीफा दिया था। उस त्यागपत्र में निवेशकों की आलोचना से लेकर वो सभी अहम बिंदू थे जिसके कारण ग्रोवर को यह कदम उठाना पड़ा था। इसके पीछे वो कॉरपोरेट राजनीति छुपी हुई है जिसने अधिकांश ऑफिसों का माहौल ख़राब हो गया है और यही छिपी हुई कॉरपोरेट राजनीति थी जिसने ग्रोवर को भारतपे से जबरन बाहर निकलने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा था।

अब मामले पर आ जाएं तो अधिकतर लोगों को ग्रोवर का तीखा व्यवहार और विशेषकर कोटक बैंक के एक कर्मचारी को फोन कॉल पर धमकाना उनके भारतपे से निकलने और उनके पतन का मूल कारण प्रतीत होता है। लेकिन वास्तव में सचाई उससे कोसों दूर है। दरअसल, इस मामले में व्हिसलब्लोअर के एक ई-मेल का जिक्र होता है। वास्तव में यह सब इस साल जनवरी में शुरू हुआ जब भारतपे की व्हिसलब्लोअर कमेटी को एक अजीब ई-मेल मिला।

यह मानते हुए कि ग्रोवर की पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर भी समिति की सदस्य थीं, मेल में सब्जेक्ट वाले स्थान पर मात्र  “धोखाधड़ी” लिख सारा मेल खाली छोड़ दिया गया था। जल्द ही, BharatPe के जनरल काउंसलर सुमीत सिंह और निवेशकों को अलग-अलग ई-मेल प्राप्त हुए, जिनमें पूरा विवरण और दस्तावेजों से भरा हुआ चिट्ठ था, जिसमें पैसों की हेराफेरी का जिक्र था। बस खेल यहां से सिरे चढता गया।

इसने न केवल नयी दिल्ली स्थित फिनटेक यूनिकॉर्न बल्कि इसके सबसे बड़े निवेशक, सिकोइया इंडिया पर भी कई सवाल खड़े किए। यूएस वेंचर-कैपिटल फर्म की भारतीय इकाई ने भारतपे प्रकरण का भी जिक्र करते हुए कहा कि, “जब व्हिसलब्लोअर हमें मुद्दों पर रिपोर्ट करने के लिए बुलाते हैं, तो हम हमेशा उन्हें गंभीरता से लेते हैं।”

और पढ़ें- वाशिंगटन पोस्ट के स्वामित्व वाले जेफ बेजोस भारत में मीडिया के स्वामित्व को लेकर घोर चिंता में हैं

चालाकी से ग्रोवर को छुट्टी पर भेज दिया गया

हालांकि, कोटक बैंक कर्मचारी विवाद और स्टार्टअप रियलिटी टीवी शो शार्क टैंक में ग्रोवर की उपस्थिति ने जनहित को आकर्षित किया। हालांकि, भारतपे के प्रबंधन ने कोटक बैंक से माफी मांगी और बैंक ने भी इस प्रकरण को जाने दिया।

लेकिन फिर व्हिसलब्लोअर का ई-मेल वाला घटनाक्रम हुआ। जहां ई-मेल और अटैचमेंट में उल्लिखित विवरण प्रामाणिक प्रतीत होते थे। इस प्रकार, दिल्ली स्थित एक लेखा परीक्षक को काम पर रखा गया था। भारतपे के निवेशकों को कंपनी पर लगने वाले जीएसटी दंड के बारे में पता चला। बाद में, ग्रोवर को छुट्टी पर भेज दिया गया क्योंकि समिति एक स्वतंत्र जांच करना चाहती थी। और फिर यह पता चला कि कैसे नकली वायरल ऑडियो क्लिप का इस्तेमाल उन्हें कंपनी से दूर रखने के लिए किया गया और भारतपे के सीईओ समीर ने ग्रोवर के साथ “चालाकी” कर उन्हें छुट्टी पर जाने को कहा गया।

फिर फॉरेंसिक ऑडिट की जरूरत आयी क्योंकि तब ग्रोवर की पत्नी माधुरी की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे थे। उन्हें भी अशनीर की भांति योजनागत तरीके से छुट्टी पर भेज दिया गया। हालांकि, अल्वारेज़ और मार्सल की प्रारंभिक रिपोर्ट के कुछ हिस्से मीडिया में लीक हो गए थे और इसने अशनीर ग्रोवर के क्रोध को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया।

रिपोर्टों के अनुसार, GST इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) ने पिछले साल अक्टूबर में BharatPe के प्रधान कार्यालय में एक तलाशी अभियान चलाया था। BharatPe में प्रशासन के प्रमुख ने कहा कि जिन विक्रेताओं का विवरण मांगा गया था, जो मौजूद नहीं थे। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इन 30 विक्रेताओं के लिए कुल 53.25 करोड़ रुपये का खर्च किया गया था जो मौजूद ही नहीं थे और कंपनी को इन सौदों में 10.97 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

और पढ़ें- हमने अशनीर और कोटक कर्मचारी विवाद के बारे में गहन शोध किया, आखिरकार अशनीर ग्रोवर दोषी कैसे हैं?

चलती जांच के मध्य में कई अहम दस्तावेज लीक हुए और उससे जांच की विश्वसनीयता पर अशनीर ग्रोवर ने सवाल उठाया। यूं तो जांच के संवेदनशील दस्तवेज के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी थी। भारतपे के बोर्ड ने ग्रोवर को बर्खास्त करने का फैसला किया। बोर्ड ने पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट ग्रोवर को भी पेश करने और उन्हें बर्खास्त करने से पहले उनके बचाव को रिकॉर्ड में लेने के लिए एक बैठक बुलाई थी। पर ग्रोवर तो ग्रोवर ठहरे। वो इस तरह के अपमान के लिए तैयार नहीं थे और 1 मार्च को, बोर्ड की बैठक से पहले, उन्होंने बोर्ड को अपना “इस्तीफा” भेज दिया।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version