“संक्षेप में कहें तो कोई भी कथा जो बड़ी ही अद्भुत हो, अविश्वसनीय हो, जरूरी नहीं वही सत्य है”, क्वेनटिन टरेंनटिनों के विश्व प्रसिद्ध फिल्म ‘Inglourious Basterds’ के इस चर्चित संवाद का अर्थ स्पष्ट था, हर कथा के पीछे कोई अर्थ है, बिना नियत के कोई कार्य संभव नहीं। हाल ही में भारत के वायुसेना के चर्चित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस के लिए अर्जेन्टीना ने मांग की है। ये अपने आप में काफी महत्वपूर्ण निर्णय है, परंतु ये मांग यूं ही नहीं आयी क्योंकि इसके पीछे एक कूटनीतिक कारण है जिसमें लाभ दोनों देशों का है पर नुकसान ग्रेट ब्रिटेन का।
तेजस के लिए लालायित हो रहे हैं अन्य देश
हाल ही में विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर लैटिन अमेरिका की यात्रा पर गए थे, जिसमें वे अर्जेन्टीना भी पधारे। उन्होंने बताया कि अर्जेंटीना की एयरफोर्स ने तेजस को खरीदने की दिलचस्पी दिखायी है, इससे दोनों देशों के संबंधों को ऊंचाई मिलेगी। रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा चुका है कि सुपर पावर अमेरिका भी तेजस को खरीदने में दिलचस्पी दिखा चुका है।
अब तेजस में ऐसा क्या है जिसके पीछे सब लालायित हैं? इसके समकक्ष बाकी देशों के विमान महंगे और कम खूबियों वाले बताए जा रहे हैं, यही कारण है कि तेजस धीरे-धीरे दुनियाभर के आसमान में गरजने के लिए तैयार हो रहा है। मलेशिया और कोलंबिया के बाद लैटिन अमेरिका के देश (Latin America) अर्जेंटीना (Argentina) ने तेजस को खरीदने में दिलचस्पी दिखायी है।
परंतु प्रश्न अब भी व्याप्त है– इससे कूटनीतिक तौर पर अर्जेन्टीना को क्या लाभ होगा? हाल ही में विदेश मंत्रालय ने अर्जेन्टीना के साथ एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति निकाली, जिसमें विवादित फॉकलैंड द्वीप को मालवीना द्वीप के नाम से संबोधित किया गया है –
Breaking: India, Argentina joint press statement mentions Falkland island issue by the name Malvinas Islands; New Delhi reiterates its "support to the resumption of negotiations to find a solution to the sovereignty issue relating to the Question of the Malvinas Islands" https://t.co/RmppT035dI pic.twitter.com/FiV13W55KO
— Sidhant Sibal (@sidhant) August 26, 2022
आपको पता है कि ये फॉकलैंड द्वीप हैं क्या? ये वह द्वीप हैं जिसको लेकर इंग्लैंड और अर्जेन्टीना में वर्षों से हिंसक तनातनी चली आ रही है, ठीक वैसे ही जैसे POK को लेकर भारत और पाकिस्तान में और सेंकाकू द्वीप समूह को लेकर चीन और जापान में। यह लड़ाई इतनी गहरी है कि इसका असर फीफा विश्व कप तक पर भी दिखायी दिया था। कुछ लोग कहते हैं कि डिएगो मैराडोना का विश्व प्रसिद्ध ‘हैंड ऑफ गॉड’ गोल भी इसी आक्रामकता में किया गया था।
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अर्जेन्टीना को खुला समर्थन
इस बार भारत ने निस्संकोच होकर अर्जेन्टीना को खुला समर्थन दिया है, यह भी स्पष्ट किया है कि यहां ब्रिटेन को क्या संदेश दिया जा रहा है। परंतु ऐसा प्रथम बार नहीं हुआ है। इससे पूर्व भी भारत ने बातों ही बातों में दूसरे देश को माध्यम बनाकर यूके को घुटने टेकने पर विवश किया है।
कुछ ही माह पूर्व रूस से तेल खरीदने के पीछे जो यूके भारत को तरह-तरह के उलाहने दे रहा था और अमेरिका के आदेश पर उसे धमकाने में लगा हुआ था, वही यूके अपने एक महत्वपूर्ण Chagos द्वीप को बचाने हेतु आज भारत की ओर आशातीत नेत्रों से देखने लगा।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यूके रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एक द्वीप को बचाने में लगा हुआ है, जिसके लिए उन्हें भारत की सहायता की आवश्यकता पड़ेगी। अभी कुछ ही दिन पूर्व मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण जगन्नाथ 17 अप्रैल को 8 दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे। अब ये संयोग तो नहीं हो सकता कि कुछ ही दिन बाद बोरिस जॉनसन भारत यात्रा पर हों। असल में मूल विषय है Chagos द्वीप पर अंग्रेज़ों का नियंत्रण, जिसे वह किसी भी स्थिति में खोना नहीं चाहते।
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परंतु यह Chagos द्वीप का मुद्दा है किस बारे में? यह यूके के औपनिवेशिक मानसिकता का एक प्रत्यक्ष प्रमाण समान है। मॉरीशस ने 1968 में स्वतंत्रता प्राप्त की थी। परंतु लाख विरोध के बाद भी Chagos द्वीप समूह ब्रिटिश शासन के नियंत्रण में रहा था। इसके पीछे काफी लंबी खींचतान हुई थी, जिसमें आखिरकार 2019 में मॉरीशस की विजय हुई, जब अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय यानी आईसीजे ने ब्रिटेन के विरुद्ध निर्णय देते हुए बताया कि कैसे Chagos द्वीप समूह पर उनका नियंत्रण अवैध रहा है।
ऐसे में अर्जेन्टीना द्वारा तेजस में रुचि दिखाना और फिर स्पष्ट तौर पर फॉकलैंड द्वीप पर भारत से प्रत्यक्ष समर्थन दिलवाना एक स्पष्ट संदेश है– अब भारत कूटनीति में पुनः विश्वगुरु की छवि स्थापित कर रहा है, जहां वह तय करेगा कि वैश्विक नीति कैसी होगी, और संसार कैसे चलेगा, और चाहे चीन हो, यूके, या कोई अन्य महाशक्ति, किसी की अति स्वीकार्य नहीं होगी।
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