वियतनाम भारत का सबसे भरोसेमंद हथियार क्रेता है

अब जो वियतनाम करने जा रहा है उससे चीन को मिर्ची लगने वाली है!

vietnaam bhaarat

Source-TFIPOST.in

कुछ वर्षों पहले तक भारत रक्षा उपकरणों के सबसे बड़े आयातक देश में से एक हुआ करता है। रक्षा क्षेत्र में तमाम उपकरणों के लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर रहते है। परंतु फिर समय बदला और मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न अभियानों के माध्यम से भारत ना केवल आत्मनिर्भर बनता चला गया, बल्कि इसके साथ ही अन्य देशों को रक्षा उपकरण निर्यात तक करने लगा। वर्तमान समय में देखा जाए तो तमाम देश ऐसे है। जो भारत में बने रक्षा उपकरण खरीदने के लिए कतार में खड़े नजर आते है।

देखा जाए तो हथियार खरीदने के मामले में वियतनाम, भारत के सबसे विश्वसनीय साथी के तौर पर नजर आ रहा है। हाल ही में वियतनाम ने भारत की ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी। इसके बाद अब चीन का यह कट्टर दुश्मन देश इजरायल से बराक-8 मिसाइल खरीदने की तैयारी कर रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सितंबर में वियतनाम के रक्षा मंत्रालय का उच्च प्रतिनिधिमंडल इजरायल के दौरे पर जाने वाला है। जिस दौरान ही इजरायल और वियतनाम के बीच बराक-8 मिसाइल सिस्टम को लेकर डील पक्की होने की संभावना है। माना जा रहा है कि यह समझौता 50 करोड़ रुपये के आसपास का होगा।

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वियतनाम बना भारत का एक महत्वपूर्ण भागीदार

बराक 8 मिसाइल को इजरायल ने भारत के साथ मिलकर तैयार किया है। इस पर इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) और भारत के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने एक साथ मिलकर काम किया है। बराक-8 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। जिसे विमान, हेलीकॉप्टर, एंटी शिप मिसाइल और यूएवी के साथ क्रूज मिसाइलों और लड़ाकू जेट विमानों के किसी भी प्रकार के हवाई खतरा से बचाव के लिए डिजाइन किया गया। यह परमाणु हथियार तक ले जाने में सक्षम है। इसकी रेंज 70 किलोमीटर की बताई जाती है। 2016 से यह मिसाइल भारत, इजराइल और अजरबैजान में प्रयोग की जा रही है। बराक-8 मिसाइल भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना के पास मौजूद है। साथ ही इजराइल की नौसेना और अजरबैजान की वायु सेना मिसाइल का उपयोग करती हैं।

इससे पूर्व वियतनाम ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की भी इच्छा व्यक्त कर चुका है। इसके अलावा जून माह में ही भारत ने वियतनाम के साथ एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए थे। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए ‘2030 की दिशा में भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी पर संयुक्त विज़न स्टेटमेंट’ पर हस्ताक्षर किए गए। इस दौरान वियतनाम को दी गई 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की डिफेंस लाइन ऑफ क्रेडिट को अंतिम रूप देने पर सहमति व्यक्त की गई। समझौते के तहत दोनों देशों के सैनिक अपने सैन्य उपकरणों की मरम्मत और सैन्य सामानों की फिर से आपूर्ति के लिए एक दूसरे के ठिकानों का उपयोग कर सकेंगे। इन सबसे स्पष्ट है कि वियतनाम दक्षिण पूर्व एशिया में एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय भागीदार बनकर उभरता हुआ नजर आ रहा है।

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भारत का दक्षिण एशियाई देशों के साथ मजबूत होता संबंध 

केवल वियनताम ही नहीं दक्षिण पूर्व एशिया में चीन को चुनौती देने के लिए भारत अन्य देशों के साथ भी अपने संबंध मजबूत कर रहा है। जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ भी भारत ने बह्मोस मिसाइल को लेकर एक बड़ी डील की थी। भारत-फिलीपींस के बीच यह ब्रह्मोस रक्षा सौदा 37.4 करोड़ डॉलर में हुआ था। जिसे अब तक का भारत का सबसे बड़ा स्वदेशी रक्षा सौदा माना गया। इसके अतिरिक्त मलेशिया को भारत ने हाल ही में 18 तेज लड़ाकू विमान बेचने की पेशकश की थी।

दक्षिण चीन सागर से सटे देशों को ड्रैगन डराने धमकाने के प्रयासों में जुटा रहता है। वे यहां अपना दबदबा लगातार बढ़ाने के प्रयास करता आया है। वियतनाम, फिलींपीस समेत अन्य दक्षिण एशियाई देशों के साथ जहां एक ओर चीन का विवाद चलता रहता है। तो वहीं भारत इन देशों के साथ अपने संबंध लगातार मजबूत करने के प्रयासों में जुटा हुआ है। दक्षिण एशियाई देशों को अपने हथियार देकर चीन को हर तरफ से घेरने के प्रयासों में जुटा हुआ है। भारत रक्षा निर्यात बढ़ाकर एक तरफ तो डिफेंस हब बनने की कोशिश कर रहा है, तो दूसरी तरफ इसके सात ही अपनी रणनीति के माध्यम से चीन की समस्याएं भी बढ़ा रहा है।

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