‘वीर सावरकर को पूजती थीं इंदिरा गांधी’, विक्रम संपत ने कांग्रेसियों का धागा खोल दिया!

विक्रम संपत ने कांग्रेसी खेमे में हड़कंप मचा दिया है!

Vikram Sampath

Source- TFI

सावरकर का नाम सुनते ही कांग्रेस का पारा सातवें आसमान पर चढ़ जाता है। आपको बस सावरकर बोलना है और कांग्रेसी तुरंत आपको ‘देशद्रोही’ साबित करने में लग जाएंगे। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के शासन में तो प्रतिस्पर्धा होती थी कि इस अमर क्रांतिकारी को कौन अधिक अपमानित करेगा, जिसमें आश्चर्यजनक रूप से शिवसेना भी शामिल होती थी। कांग्रेसियों ने तो शुरु से ही उन्हें अपमानित ही किया है। इसी बीच इतिहासकार विक्रम संपत ने कांग्रेस और उनके चाटुकारों को उन्हीं के इतिहास से परिचित कराते हुए उनकी सिट्टी पिट्टी गुल कर दी है।

दरअसल, हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर कर्नाटक में एक हिंसक घटना हुई, जिसे लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर वीर सावरकर पर कीचड़ उछालने का प्रयास किया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने स्वभावानुसार ट्वीट किया, “आधुनिक सावरकर और जिन्ना आज भी देश को बांटने पर तुले हुए हैं। क्या आज के प्रधानमंत्री याद करेंगे कि कैसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी, शरत चंद्र बोस के विरुद्ध बंगाल के विभाजन पर अड़ गए थे?”

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परंतु यह बात विक्रम संपत को जमी नहीं। उन्होंने कांग्रेस की पोल पट्टी खोलते हुए उन्हें काफी कुछ सुनाया और इंडिया टुडे से अपने वार्तालाप में उन्हीं के इतिहास की पोल खोल कर दी। विक्रम संपत के शब्दों में- “सावरकर से इनकी घृणा मुझे समझ नहीं आती। इतिहास और सावरकर इस राजनीतिक खुरपेंच में स्वाहा हो गए हैं। अगर सावरकर वाकई में विभाजन के दोषी होते तो वे निस्संदेह स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होते।”

वो उतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने सावरकर को कांग्रेस द्वारा दिए गए सम्मान का स्मरण कराते हुए कहा, “कमाल की बात है यह। इंदिरा गांधी ने उनकी मृत्यु के पश्चात एक डाक टिकट जारी करवाया। उनकी स्मृति में एक विशेष डॉक्युमेंट्री बनवाई, वो भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से। यहां तक कि मुंबई में एक निजी स्मारक को उन्होंने वित्तीय सहायता तक दिलवाई। इसके बारे में क्या कहेंगे?”

अब विक्रम संपत कहीं से गलत तो कह नहीं रहे। इंदिरा गांधी ने ये सब किया लेकिन उससे पहले नेहरू ने अपनी निजी घृणा के चक्कर में सावरकर को हर सुविधा से वंचित रखा था। लाल बहादुर शास्त्री ने 1964 में उन्हें सरकारी खर्चे पर एक स्वतंत्रता सेनानी के योग्य पेंशन और सभी प्रकार की सुविधा देनी प्रारंभ की। जब उनकी मृत्यु हुई तो उन्हें सम्मान विदाई दी गई थी। ऐसे में कांग्रेस के वर्तमान बिरादरी का एक ही एजेंडा है- झूठ बोला और पूरे आत्मविश्वास से झूठ बोलो!

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परंतु यह पहली बार नहीं जब विक्रम संपत ने विनायक दामोदर सावरकर के अपमान के विषय पर कांग्रेस या उनके चाटुकारों को धोया हो। वर्ष 2021 में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में विरासत, इतिहास, अभिमान के टॉपिक पर बात करते समय जब ‘चाटुकार शिरोमणि’ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सवाल किया कि आखिर सावरकर कौन थे? फ्रीडम फाइटर? हिंदुवादी नेता? या वह सिर्फ मुस्लिम विरोधी नेता थे? उनको क्या माना जाए? तब सावरकर पर किताबें लिख चुके इतिहासकार विक्रम संपत ने कहा कि ‘मेरी नजर में तो सावरकर इन सब का मिश्रण थे।’

तब विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के उल्लेख पर विक्रम संपत ने आगे ये भी कहा था कि हमें आवश्यकता है कि अपने इतिहास को दिल्ली केंद्रित कम करके उसे भारत केंद्रित अधिक बनाएं और देश के हर राज्य और हर वंश के इतिहास को बराबर प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा था कि “हम इस पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं कि सच बोलने से वर्तमान सामाजिक व्यवस्था बिगड़ जाएगी। परंतु मैं कहता हूँ कि फर्जी इतिहास के आधार पर देश की सामाजिक संप्रभुता नहीं टिक सकती।” ऐसे में विक्रम संपत द्वारा कांग्रेस को उन्हीं के इतिहास से अवगत कराकर, उन्होंने इन कुंठितों की लंका लगा दी है और यह सबके बस की बात भी नहीं है।

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