जब जब जो जो होना है तब तब सो सो होता है। भारत को कई परिप्रेक्ष्य में गौरव हासिल है और यह सब देश की मेहनत का प्रतिफल है। भारत की सेनाओं को जो गौरव हासिल है उसका भी कोई सानी नहीं है। उसी में सबसे महत्वपूर्ण है, भारत की वायु सेना ! भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है। इंडियन एयर फोर्स (IAF) योजनाबद्ध तरीके से अपनी शक्तियों के सामरिक निर्माण में विश्वास रखती है। यह भारत के लिए गौरवमयी क्षण है कि एस-400 के बाद अब देश को ‘व्हाइट स्वान’ यानी घातक स्ट्रैटेजिक बॉम्बर TU-160 ब्लैकजैक मिलने जा रहा है, जो दुनिया का सबसे खतरनाक बमवर्षक एयरक्रॉफ्ट है।
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मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रूस से कम से कम छह Tu-160 बॉम्बर एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए वार्ता अंतिम चरणों में है। हालांकि, इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। Tu-160 को व्हाइट स्वान भी कहा जाता है। नाटो ने इस बॉम्बर एयरक्रॉफ्ट को ‘ब्लैकजैक’ नाम दिया है। यह दुनिया का सबसे दुनिया का सबसे तेज, सबसे बड़ा और सबसे भारी बमवर्षक है। दुनिया में अभी तक सिर्फ तीन देशों- अमेरिका, रूस और चीन के पास ही स्ट्रैटेजिक बॉम्बर एयरक्रॉफ्ट हैं। अगर भारत इसे खरीदता है तो वह दुनिया को चौथा देश हो जाएगा।
स्ट्रैटेजिक बॉम्बर आवाज की दोगुनी रफ्तार से उड़ते हैं। यानी ये पलक झपकते ही दुश्मन देश की सीमा के अंदर घुसकर बम गिराकर आ सकते हैं। इनकी खासियत कहीं भी और कभी भी हमला करने की होती है। Tu-160 एयरक्राफ्ट करीब 52 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। इसलिए, रडार भी इस विमान को नहीं पकड़ सकता है। ये विमान करीब 40 हजार किलो वजनी बम भी ले जा सकते हैं। उनकी ऊंचाई 43 फीट, लंबाई 177.6 फीट और रेंज 12300 से 14500 किमी तक है। ध्यान देने वाली बात है कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना होने के बावजूद भारत अभी तक स्ट्रैटेजिक बॉम्बर से स्वयं को परिपूर्ण नहीं कर पाया था। लेकिन अब भारत इसे खरीदने की ओर कदम बढ़ा चुका है।
दरअसल, डिफेंस मामलों के जानकार वरुण कार्तिकेयन (Varun Karthikeyan) ने भरत कर्नाड (Bharat Karnad) नाम के डिफेंस एनालिस्ट के हवाले से इस बात की जानकारी दी है। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज के सीनियर फेलो भरत कर्नाड के अनुसार, IAF जल्द ही रूस से रणनीतिक बमवर्षक खरीदेगा। पूर्व वायु सेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल अरूप राहा के साथ उनकी बातचीत से पता चलता है कि पीएम मोदी ‘व्हाइट स्वान’ नामक टीयू-160 ब्लैकजैक के उन्नत संस्करण को लाने की योजना जाहिर कर चुके हैं।
इसकी विशेषताओं की बात करें तो टुपोलेव TU-160 सामरिक बमवर्षक श्रेणी में सबसे उच्चतम माना गया है। यह लड़ाकू अन्य बमवर्षकों से काफी अलग है जो वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास हैं। लड़ाकू बमवर्षकों या सामरिक बमवर्षकों के पास सामरिक बमवर्षकों की तुलना में कम सीमा और पेलोड होता है। लड़ाकू बमवर्षक मुख्य रूप से युद्ध के मैदान में दुश्मनों को मारने के लिए तैनात किए जाते हैं। रॉकेट और निर्देशित मिसाइल भी इसी तरह के उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। दूसरी ओर, सामरिक बमवर्षकों में शहरों, कारखानों और अन्य रणनीतिक ठिकानों को नष्ट करने की क्षमता होती है। इनमें लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल और परमाणु बम जैसे भारी हथियार होते हैं, वे अंतरमहाद्वीपीय श्रेणियों पर काम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इसलिए भारत की शस्त्रागार सूची में इसका इंगित होना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं होगा।
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आपको बताते चलें कि TU-160 पहली बार 1987 में परिचालन में आया और यह कुछ सुपरसोनिक रणनीतिक बमवर्षकों में से एक है। यह 2,200 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ सकता है। इसकी क्रूज स्पीड 960 किमी/घंटा है। अगर इसके टैंक भरे हुए हैं तो बॉम्बर 12,300 किमी तक उड़ सकता है। वर्ष 2008 में वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के समर्थन में अपनी तैनाती के साथ बमवर्षक ने अतीत में अपनी क्षमता साबित कर दी है। उस समय ओबामा वेनेजुएला पर अपना शिकंजा कस रहे थे और रूसी वायु सेना ने निकोलस के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बमवर्षक की चाल चली थी। वर्ष 2010 में इसने 18,000 किमी की दूरी तय करते हुए सीधे 23 घंटे तक उड़ान भरी। रूस द्वारा यूक्रेन युद्ध में Tu-160 का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है।
निश्चित रूप भारत पहले डिफेंसिव मोड में विश्वास रखता था जो कभी-कभी देश के लिए घातक भी सिद्ध हुआ। लेकिन अब समय बदल चुका है और सैन्य पराक्रम के लिए वास्तव में अटैकिंग मोड ही सबसे पहली ज़रुरत रही है, वरना ऐसे तो भारत के पास शस्त्रों, मिसाइलों की कमी नहीं है पर बॉम्बर एयरक्राफ्ट आ जाने से एक विशिष्ट जगह पर घात करने में वायुसेना को बहुत बड़ी मदद मिलेगी जो समय की मांग है। जब भारत पर चीन जैसे पड़ोसी देश गिद्ध दृष्टि से देख रहे हों तो स्वाभाविक सी बात है भारत को भी तो आत्मनिर्भरता के साथ स्वयं को मजबूत करना पड़ेगा। सरल शब्दों में कहें तो चीनी अपने परमाणु हथियार कभी भी और कहीं भी भारतीय सीमाओं के पास उड़ाते हैं। स्वाभाविक रूप से, खतरा आसन्न है। इसका मुकाबला करने के लिए भारत को भी ऐसे ही बमवर्षक की जरूरत है।
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