शराब की लहर में डूब जाएगी आम आदमी पार्टी!

विजय नायर AAP के लिए पोंटी चड्ढा बन जाएंगे!

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वो कहते हैं न कि जो दूसरे के लिए गड्ढा खोदता है वो स्वयं ही उसमें गिर जाता है। भाजपा को दरकिनार करते-करते आज आम आदमी पार्टी खुद ही गड्ढे में गिरती हुई नज़र आ रही है। भले ही आम आदमी पार्टी की वजह से भाजपा को दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने का मौका नहीं मिल पाया हो, लेकिन अब शराब घोटाले में फंसकर जल्द ही आम आदमी पार्टी का अंत होने वाला है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे आम आदमी पार्टी, जो उन चंद पार्टियों में थी जिसने मोदी लहर को सफलतापूर्वक रोका था, अब अपने ही द्वारा रचित मदिरा लहर में बहने को तैयार है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि दिल्ली में आबकारी नीति यानी कि एक्साइज़ पॉलिसी में बदलाव करने के बाद आम आदमी पार्टी शराब घोटाले का भार झेल रही है। आम आदमी पार्टी के नेताओं की मुसीबतें दिन पर दिन बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। इस मामले के बारे में बात करें तो दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सचिव की एक रिपोर्ट पर सीबीआई से इसकी जांच करने को कहा था।

8 जुलाई को भेजी जाने वाली इस रिपोर्ट में पिछले साल लागू होने वाली आबकारी नीति के विषय में प्रश्न उठाए गए है। इस रिपोर्ट में कई सारे सवालों के जवाब मांगे गए हैं। इसी के साथ रिपोर्ट में सबसे बड़ा आरोप यह लगाया गया है कि शराब की बिक्री करने वालों को लाइसेंस फीस माफ कर देने से सरकार को कुल 144 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है और आबकारी मंत्री होने पर भी मनीष सिसोदिया ने इन प्रावधानों को नज़रअंदाज़ किया है।

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शराब नीति घोटाले मामले में गिरफ्तारी

बुधवार को इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने व्यवसायी समीर महेंद्रू को दिल्ली की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं की मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में हिरासत में लिया है। महेंद्रू इंडोस्पिरिट्स नामक कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं। खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि इस मामले में उनसे रातभर पूछताछ की गयी। इस पूछताछ के बाद उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए की आपराधिक धाराओं के अंतर्गत हिरासत में ले लिया गया है। इस मामले में महेंद्रू को 6 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है।

इससे पूर्व मंगलवार को इस मामले में कारोबारी विजय नायर की गिरफ्तारी हुई थी। सीबीआई के द्वारा विजय नायर के गिरफ्तार होने के बाद अब दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी आरोपी बनते नज़र आ रहे हैं। सीबीआई ने उनके ऊपर यह आरोप लगाया गया है कि सिसोदिया के एक कथित सहयोगी अर्जुन पांडे ने मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व सीईओ नायर की तरफ से महेंद्रू से लगभग 2-4 करोड़ रुपये नकद लिए थे। दर्ज़ FIR में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ-साथ 14 लोगों के नाम शामिल हैं। इन आरोपियों ने वियज नायर का नाम पांचवे नंबर पर है।

अब विजय नायर का नाम लेते ही इतनी हलचल किस बात की? आम आदमी पार्टी पर सीबीआई की रेड पड़े और वो नेशनल न्यूज न बने, ऐसा हो सकता है क्या? ढिंढोरा पिट गए पूरे मोहल्ले में, परंतु सीबीआई भी बिल्कुल छाती ठोंक के सभी आरोपियों के डिटेल सार्वजनिक कर दिए, जो दिल्ली के उस शराब नीति पर आधारित थी, जिसके संदेह के घेरे में आते ही दिल्ली सरकार को उसे रद्द करना पड़ा था।

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कौन हैं विजय नायर? 

परंतु इसका यूट्यूब के विवादित ग्रुप AIB से क्या लेना देना? असल में 15 आरोपियों में से एक नाम विजय नायर का भी है, जो OML नामक ग्रुप के CEO रह चुके हैं। यह एक कंसल्टिंग फर्म है, जो पूर्व में ईस्ट इंडिया कॉमेडी और ऑल इंडिया बक**** का प्रबंधन संभालती थी। अधिवक्ता एवं विचारक अभिषेक द्विवेदी के अनुसार- “जहां तक मैं जानता हूँ, ये वही व्यक्ति है, जो आम आदमी पार्टी को सेवाएं देने से पूर्व स्वयं यौन शोषण और स्टॉकिंग के लिए आरोपी माना गया था। इन्हें TVF जैसी संस्था पर कीचड़ उछालने का आरोपी भी माना जाता है”। 

इस पर सहमति जताते हुए कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने कुछ स्क्रीनशॉट भी शेयर किये, जिसमें इनके कच्चे चिट्ठे सार्वजनिक हुए। जो व्यक्ति कभी AIB जैसे वामपंथी, निकृष्ट कलाकार ग्रुप को अपनी सेवाएं प्रदान करता था, वो आम आदमी पार्टी का खासमखास बन गया और किसी को भनक तक नहीं लगी? ये कौन सी ईमानदार राजनीति है, केजरीवाल महोदय?

परंतु आपको क्या प्रतीत होता है, ऐसा पहली बार हुआ है? अभी कुछ ही दिन पूर्व असल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और ‘आप’ नेताओं का फेसबुक पेज मैनेज करने वालों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। मीडिया पोर्टल द इंडियन अफेयर्स के अनुसार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, आप नेता आतिशी मार्लेना, राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा और अन्य नेताओं के फेसबुक पेजों को अमेरिका, कतर और लिथुआनिया (Lithuania) में रहने वाले लोग मैनेज कर रहे हैं।

अब शराब घोटाला मामले को लेकर ईडी ने 6 सितंबर को भी कई सारे ठिकानों पर छापे मारे थे, जिसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे राज्य सम्मिलित थे। विजय नायर, मनीष सिसोदिया के काफी करीबी है। ऐसे में यदि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी होती है तो शायद आम आदमी पार्टी भी ध्वस्त हो जाए।

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पोंटी चड्डा का मामला

इसे अगर हम पोंटी चड्डा का उदाहरण देकर समझाए तो शायद आपको जल्द ही ये पूरा मामला समझ आ जाएगा। गुरदीप सिंह चड्ढा उर्फ पोंटी चड्ढा कभी यूपी में शराब कारोबार बड़े ही धड़ल्ले से चला रहे थे। पोंटी चड्ढा को यूपी और पंजाब में शराब पॉलिसी मेकर भी कहा जाता था। इसके साथ ही चड्ढा परिवार का कारोबारी साम्राज्य शराब रिटेल, चीनी मिल, डिस्टीलरी, बॉटलिंग, न्यूट्रीशनल फूड, पेपर मैन्यूफैक्चरिंग, फिल्म फाइनेंसिंग, थिएटर चेन, फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन और कॉमर्शियल रियल एस्टेट से लेकर रेजिडेंशियल रियल स्टेट तक फैला हुआ था।

पॉन्टी चड्ढा बसपा पार्टी के काफी चहेते थे। वह मुलायम सिंह यादव और फिर अखिलेश यादव के भी करीब रहे थे। पॉन्टी चड्ढा को राज्य में शराब सिंडीकेट का कारोबार करने की छूट भी बसपा सरकार में मिली थी। बसपा सरकार के द्वारा उनको 21 चीनी मिलें ऐसे ही थमा दी गयी थी।  बसपा और सपा सरकारों में राज्य को पूरी तरह से लूटने की चाबी पॉन्टी चड्ढा के पास आ गयी थी। साथ ही सपा सरकार ने चड्ढा ग्रुप को तीन सालों के लिए आबकारी का व्यवसाय भी सौंप दिया था। दूसरे शब्दों में, पैसा ही पैसा होगा पोंटी चड्ढा के लिए वास्तव में शाश्वत सत्य बन गया।

CAG की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश की चीनी मिलों को कारोबारी पोंटी चड्ढा के हाथ औने-पौने दामों मे बेच दिया था। एक समय था जब एक मामूली-सा रेहड़ी वाला व्यक्ति उत्तर प्रदेश के 80 फीसदी शराब कारोबार का मालिक बन गया था। परंतु कहते हैं न कि बुरे काम का बुरा ही नतीजा होता है। पोंटी चड्ढा का अंत काफी भयानक हुआ था। 2015 में उनकी गोली मारकर हत्या की गई थी और उनका शव संदिध हालत में मिला था।

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अगला नंबर मनीष सिसोदिया का? 

इस उदाहरण से यह बात तो साफ हो जाती है कि अगर विजय नायर ने अपना मुंह खोला तो मनीष सिसोदिया का नाम अवश्य आएगा और विजय नायर ज्यादा समय तक अपना मुंह बंद करके बैठने वालों में से नहीं है। क्योंकि विजय नायर जैसे लोग केवल पैसे का लोभ रखते हैं और स्वयं को फंसाकर वो मनीष सिसोदिया को बचाएगा, ऐसा तो होना असंभव है। तो अगर मनीष का नाम आता है तो आम आदमी पार्टी को इससे काफी नुकसान पहुंच सकता है। क्योंकि अगर सही ढंग से देखा जाए तो मनीष सीसोदया ही है जो दिल्ली मे आम आदमी पार्टी को चला रहे हैं। केजरीवाल तो केवल नाम के ही मुख्यमंत्री बने बैठे है। अब ये देखना होगा कि शराब घोटाले से जुड़े आरोपियों को कब तक सज़ा मिलती है?

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