आप नेता भी गजब हैं, पहले आरोप लगाते हैं फिर लिखित में क्षमा मांगते हुए बिलबिलाने लगते हैं

आप की शूट एंड स्कूट रणनीति उसी पर भारी पड़ने लगी है

kejriwaal

झूठ बोलो, बार-बार झूठ बोलो और इतना झूठ बोलो, इतना प्रोपेगेंडा फैलाओ की एक दिन उसे सच बना दो। पर कोई कितना भी झूठ को सच बनाने की कोशिश करे वह निरर्थक ही साबित होगा क्योंकि एक दिन जब सच परिस्थितियों का सीना चीर कर बाहर आएगा तो झूठ की ताकत धरी की धरी रह जाएगी। और जब यह झूठ और कोई नहीं बल्कि स्वघोषित एकमात्र ईमानदार पार्टी आम आदमी पार्टी और उसके नेता बोलें तो मामला और हास्यास्पद हो जाता है कि आरोप लगा भी कौन रहा है।

मानहानी का दंश

आम आदमी पार्टी के नेता जो आरोप लगाकर भाग जाते हैं, मानहानि केस होते ही लिखित में माफ़ी मांगते हुए बिलबिलाने लगते हैं, बाद में कहते फिरते हैं कि जी हमने तो कुछ और कहा था। ऐसे लोगों और उनके आकाओं से भरीपूरी आम आदमी पार्टी एक बार फिर आरोपों की झड़ी लगा रही है और इस बार उसका निशाना हैं दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना। लेकिन इस बार दिल्ली के एलजी पर आप की शूट एंड स्कूट रणनीति का उलटा असर उसी पर पड़ता नज़र आने लगा है।

दरअसल, एलजी हाउस के कार्यालय से खबर आयी है कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना, आम आदमी पार्टी के नेता और विधायक सौरभ भारद्वाज, आतिशी, दुर्गेश पाठक और एक अन्य जैस्मीन शाह सहित आप नेताओं के खिलाफ “मानहानि” और भ्रष्टाचार के “झूठे आरोप” के लिए कानूनी कार्रवाई करेंगे। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सक्सेना ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष के रूप में आम आदमी पार्टी (आप) के 1,400 करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोपों का खंडन किया है।

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ज्ञात हो कि आरोपों की कड़ी में आम आदमी पार्टी की ओर से एक नया आरोप वो भी दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर यह लगाया गया कि 2016 में नोटबंदी के दौरान सक्सेना ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष (केवीआईसी) के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान ₹1,400 करोड़ के पुराने नोटों को बदलने के लिए अपने अधीन दो कर्मचारियों पर दबाव डाल ब्लैक का पैसा वाइट किया था। भ्रष्टाचार के ऐसे कथित आरोपों को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता और विधायकों ने उपराज्यपाल को बर्खास्त करने की मांग को लेकर दिल्ली विधानसभा में रात भर धरना जारी रखा और सारी मान मर्यादाओं को तार-तार करते हुए एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति और उस पद को अपशब्द तक कहे।

बता दें कि भारत सरकार ने 8 नवंबर 2016 को 1000 रुपये और 500 रुपये के नोटों का प्रचलन बंद कर दिया था। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने 9 नवंबर, 2016 को एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें कहा गया था कि 1000 और 500 रुपये के पुराने नोट तत्काल प्रभाव से किसी भी बिक्री आउटलेट और प्रतिष्ठानों की ओर से स्वीकार नहीं किए जाएंगे। बाद में पता चला कि कुछ विमुद्रीकृत नोट खादी ग्रामोद्योग भवन (केजीबी), नई दिल्ली के खाते में अलग-अलग तिथियों में जमा करवाये गये थे। इस मामले को तत्काल जांच और कार्रवाई के लिए केवीआईसी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के पास भेजा गया था। इसके बाद सीबीआई को भी सूचित करने के बाद 6 अप्रैल, 2017 को एक संयुक्त औचक निरीक्षण किया गया। प्रारंभिक जांच के बाद सीवीओ ने 17 अप्रैल, 2017 को केजीबी, नई दिल्ली के चार अधिकारियों और कर्मियों के निलंबन को स्थानांतरण की सिफारिश की। इनमें प्रबंधक एके गर्ग, सेल्स इंचार्ज अजय गुप्ता, सेल्समैन-3 (प्रमुख कैशियर) संजीव कुमार मलिक और एलडीसी प्रदीप यादव के नाम शामिल थे।

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घोटाले का सत्य पहले ही सामने आ चुका है

विडंबना की बात यह है कि जिन लोगों को आम आदमी पार्टी के नेता और विधायक दुर्गेश पाठक धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ ही उन्हें सलाम कर रहे हैं ये वो लोग हैं जिन्हें निलंबित करने के साथ ही जिनकी इस प्रकरण में गिरफ्तारी हुई थी। जी हां, कैशियर संजीव कुमार और प्रदीप यादव का नाम लेकर आम आदमी पार्टी उपराज्यपाल वीके सक्सेना को घेर रही है जिनको जांच में कभी अभियुक्त ही नहीं माना गया। पर हां, जिन पर आरोप तय हुए, जिन पर कार्रवाई हुई वो आम आदमी पार्टी और उनके नेताओं के समक्ष दूध के धुले और एकदम निश्छल प्रतीत हो रहे थे।

जिस घोटाले का ज़िक्र पूरी आम आदमी पार्टी और उसके नेता चीख-चीखकर कर रहे थे उसका सत्य पूर्व में आयी रिपोर्टों ने ही पहले बाहर ला दिया था। जिस आरोप के तहत 1,400 करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोपों का ठीकरा दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर फोड़ा जा रहा था वो वास्तव में 5 करोड़ का भी नहीं था। केवीआईसी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 10 नवंबर से 31 दिसंबर 2016 के दौरान दिल्ली में खादी ग्रामोद्योग भवन (केजीबी) के बैंक खाते में कुल 22 लाख 17 हजार रुपये की राशि जमा की गयी। इनमें 500 रुपये के 2140 जबकि 1000 के 1147 नोट (अमान्य) 29 मई 2017 को सीवीओ ने चार अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में सीबीआई को सूचित किया। इस मामले में आम आदमी पार्टी द्वारा 1400 करोड़ रुपये का दावा किया गया था जबकि महज 17.07 लाख रुपये के मामले में दो पर सीबीआई की कार्रवाई चल रही है।

अब जब सत्य पहले से ही सबके सामने है तो हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या। एलजी हाउस से उन सभी पर कानूनी कार्रवाई और मानहानि की बात तो बाहर आ ही चुकी है। अब आम आदमी पार्टी और उसके नेता और उनके माफीनामा वाली चिट्ठी कब बाहर आती है उसका इंतज़ार है। चूंकि इस मामले में आम आदमी पार्टी का इतिहास उच्च कोटि का रहा है। इन्हीं के मुखिया अरविंद केजरीवाल पूर्व में कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं पर पहले आरोप लगाते थे और जब उनकी प्रमाणिकता सिद्ध करने की बात आती थी और सिद्ध न कर पाने पर जब यही भाजपा नेता मानहानि का मुकदमा दायर करते थे तो यही अरविंद केजरीवाल पिछले दरवाज़े से जाकर लिखित में माफ़ी मांगते थे और भाग जाते थे और इस बार भी ऐसा ही होना है बस केजरीवाल से पहले उनके प्यादे फंसेंगे जो पेट भरकर दिल्ली के उपराज्यपाल को कोस रहे हैं।

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