साउथ की बैसाखी से डूबते करियर को बचाने के अंतिम प्रयासों में जुटे सलमान खान

लेकिन कुछ होने वाला नहीं है, हम लिखकर देते हैं!

godfather

“बहुत भोला है बेचारा,

न जाने किस पर गया है”

अब का बताएं भैया, ऐसा ही हाल है बॉलीवुड का। धड़ाधड़ फिल्में फ्लॉप हो रही हैं, दूसरी तरफ स्टार्स एक्टिंग छोड़कर सब तरह की नौटंकी करेंगे। आमिर खान की लंका लगी पड़ी है, शाहरुख खान का तो मत ही पूछो और अपने परम प्रिय सेलमोन भोई को भी अब चंद असफलताओं के पश्चात अब बहुभाषीय सिनेमा के बैसाखी की आवश्यकता पड़ रही है।

गजब धर्मसंकट है बंधु!

इस लेख में जानेंगे कि कैसे कुछ असफलताओं के पश्चात अब सलमान खान को भी बहुभाषीय सिनेमा यानी साउथ की प्रतिभा के बैसाखी की आवश्यकता पड़ गई है।

हाल ही में ‘गॉडफादर’ नामक फिल्म का ट्रेलर सामने आया, जो तेलुगु में प्रदर्शित होने को तैयार है। इसमें तेलुगु स्टार चिरंजीवी प्रमुख भूमिका में होंगे और उनके साथ होंगी नयनतारा, एवं सत्यदेव कंचारण इत्यादि। परंतु यही एकमात्र बात नहीं है। इस फिल्म में एक विशेष उपस्थिति भी होगी और वह कोई और नहीं सलमान खान हैं। इस फिल्म में वे एक्स्टेंडेड कैमियो की भूमिका में होंगे।

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साउथ की बैसाखी

परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है। सलमान खान की आगामी फिल्म, ‘किसी का भाई, किसी की जान’ फरहाद सामजी के साथ बनाई जाने वाली है जिसमें वे प्रमुख भूमिका में रहेंगे। परंतु वे अकेले नहीं हैं। इस फिल्म में उनके साथ होंगी पूजा हेगड़े और अन्य भूमिकाओं में हैं डग्गुबाती वेंकटेश, जगपती बाबू इत्यादि। यह फिल्म 30 दिसंबर 2022 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने को तैयार है और इसके लिए सलमान सब कुछ झोंकने को तैयार हैं।

परंतु एक मिनट, कुछ अटपटा नहीं लग रहा है? लगेगा क्यों नहीं, ओरिजिनल जो नहीं है। वैसे सलमान भाई का स्क्रिप्ट और ऑरिजिनलिटी से उतना ही नाता है, जितना राहुल गांधी का व्यावहारिकता से। परंतु कुछ फिल्में क्या रसातल में जाने लगी भाईजान को भी साउथ की बैसाखी संभालनी पड़ रही है।

अब गॉडफादर स्वयं मलयाली फिल्म ‘लूसिफ़र’ का रीमेक है, जिसमें सलमान भाई को एक्स्टेंडेड कैमियो मिला है, परंतु ट्रेलर से देखके ही प्रतीत हो रहा है कि उनका वास्तविक कद कितना रहने वाला है। सब अपने अजय देवगन जितना भाग्यवान तो नहीं कि इज्जत के सही पर दस मिनट तो मिले। बोलो जुबान केसरी!

रही बात किसी का भाई किसी की जान की तो वह कौन सी बड़ी तोप है? इसके भी अनेक नाम बदले गए? ‘पहले कभी ईद कभी दिवाली’ रखी गई, फिर ‘भाईजान’, और अब यह, मूल फिल्म भी तमिल फिल्म ‘वीरम’ का रीमेक है, जिसका चीरहरण कर फरहाद सामजी पहले ‘बच्चन पांडे’ बनाने वाले थे। परंतु फिर ‘जिगरठण्डा’ का पंचनामा कर उन्होंने ‘बच्चन पाण्डेय’ का हाल बिगाड़ दिया।

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नौटंकी करने की आवश्यकता क्यों?

परंतु सलमान भाई को ये सब नौटंकी करने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी? धंधे पर चोट पड़ती है तो ये सब कार्य पूरे करने पड़ते हैं। अब जब राधे सुपर डुपर फ्लॉप जाएगी जो OTT पर भी शायद मूल बजट नहीं निकाल पाए। फिर अंतिम जैसी फिल्म आए, जो ले देके भी किसी तरह बजट का आंकड़ा पार करे, तो करना पड़ता है ब्रो!

इसके अतिरिक्त भी सलमान भाई का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है। ‘भारत’ के पश्चात इनके फिल्मों में पहली बार गिरावट दर्ज हुई, जब दबंग 3 अपेक्षाओं के विपरीत 174 करोड़ घरेलू बॉक्स ऑफिस पर जुटा पाई। ये भारत के आंकड़ों के अनुसार बड़ा नंबर था, परंतु मूल बजट 120 करोड़ के अनुसार बहुत अधिक नहीं था और इसे औसत कमाई ही कहा जाता। विदेशी कलेक्शन की कमाई के कारण इस फिल्म को 258 करोड़ मिले, परंतु फिर भी इसे सलमान खान के दबंग फ्रेंचाइज़ की असफलता बताया जाता है। सारी भसड़ मूल रूप से यहीं से प्रारंभ हुई।

परंतु सलमान अकेले नहीं है। ट्राई सबने किया, परंतु सफल कोई नहीं हुआ। आमिर खान को ही देख लीजिए, राजामौली से लेकर चिरंजीवी तक से अपनी फिल्म का प्रोमोशन करवाए। सलमान भोई को जब गॉडफादर में लिए, तो नाराज फूफा की तरह मुंह फुला लिया कि हमें काहे नहीं लिए। नागार्जुन के भी पांव पखारे गए, उनके पुत्र नागा चैतन्य को लाल सिंह चड्ढा में ब्रेक मिला, यहां कि स्वयं को ब्रह्मास्त्र के माध्यम से बॉलीवुड में कमबैक करने का अवसर प्रदान होने वाला था। अब वो अलग बात है कि न घर के रहे ये न घाट के।

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शाहरुख भाई भी कम नहीं

अपने शाहरुख भाई भी कम नहीं है। इनकी अगली फिल्म जवान के लिए भी जबरदस्त तैयारी की है, इसमें महोदय ने गजब इम्पोर्ट किया है। डायरेक्टर तो एटली कुमार, हीरोइन तो नयनतारा और यहां तक कि विलेन कोई और नहीं, विजय सेतुपति हैं। वैसे उनका आधिकारिक बॉलीवुड डेब्यू श्रीराम राघवन की मेरी क्रिसमस से हो जाएगा, परंतु बॉलीवुड की बैसाखी तो खान तिकड़ी के लिए यहां भी काम आई न? क्या मतलब विजय सेतुपति ने लाल सिंह चड्ढा की कबाड़ स्क्रिप्ट को दूर से सूंघकर लात मार दी थी?

ये सब छोड़िए, बॉलीवुड की मूल समस्या तो कहीं और है। लेकिन ये बॉलीवुड इतना रीमेक प्रेमी क्यों है? इसके दो प्रमुख कारण है : रचनात्मकता के कारण आने वाले जोखिम उठाने में भय और अच्छी स्क्रिप्ट लिखने के लिए परिश्रम करना जितना परिश्रम एक ‘गदर’ बनाने में लगता है, उतना परिश्रम एक ‘वांटेड’ या ‘राधे’ बनाने में बिल्कुल नहीं लगेगा। इसीलिए तो खान तिकड़ी रीमेक के पीछे सबसे अधिक लगती है। सलमान खान को तो तमिल सुपरहिट ‘मास्टर’ की रीमेक भी ऑफर की गई है। इसे बॉलीवुड का आलस नहीं तो और क्या कहेंगे?

पिछले ही वर्ष जब राघव लॉरेंस ने अपनी ही फिल्म ‘कंचना’ का रीमेक ‘लक्ष्मी’ के तौर पर बनाया था, तो हम सभी ने देखा था कि किस प्रकार से एक सामाजिक रूप से अहम कॉमेडी का बंटाधार करके रख दिया गया था। हाल ही में  नेटफ्लिक्स पर सरोगेसी जैसे गंभीर विषय से जुड़ी एक फिल्म रिलीज हुई ‘मिमी’। यह एक मराठी फिल्म ‘माला आई वायची’ का रीमेक है।

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रचनात्मकता की आशा ही नहीं है

लेकिन जो उद्योग एक ऐसे देश से गाने तक चुरा ले, जिसने बार-बार हमारे देश पर आतंकी हमले करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, तो उससे आप रचनात्मकता की आशा कैसे कर सकते हैं? आपको विश्वास नहीं होगा, लेकिन ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ का एक गाना असल में पाकिस्तानी सेना के गीत ‘तू थोड़ी देर और ठहर जा’ से ही उठाया गया है। आगे आप स्वयं समझदार हैं।

इसके अलावा अगर बॉलीवुड के आगामी प्रोजेक्ट्स पर नजर डाली जाए तो ओरिजनल क्या है? रीमेक के अलावा यदि कुछ है, तो केवल बायोपिक। परंतु इसके अलावा कुछ अलग, कुछ नया बॉलीवुड में कहां है? इसके लिए केवल बॉलीवुड के निर्माता, अभिनेता और लेखक ही नहीं, बल्कि कुछ हद तक स्वयं दर्शक भी जिम्मेदार हैं। ताली एक हाथ से नहीं बजती बंधु, जब रनवे 34, जर्सी, चुप नहीं स्वीकारोगे, तो ऐसे ही कांड भुगतोगे!

चाहे वजह कोई भी हो, एक अच्छी और सच्ची फिल्म के ट्रेलर के लिए ही जितने लाइक्स, व्यूज और शेयर होने चाहिए, उससे दस गुना ज्यादा लाइक्स और शेयर्स तो ‘राधे’ के ट्रेलर पर दिख जाते हैं। ऐसे में बॉलीवुड के साथ दर्शकों को भी कुछ हद तक अपने विचारों और अपने विकल्पों पे आत्ममंथन करना पड़ेगा। हाल ही में उन्होंने ‘तूफान’ जैसे दोयम दर्जे की फिल्म को ठेंगा दिखाया है। इस समस्या का भी समाधान निकलेगा।

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