टी-20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम के चयन पर कुछ सवाल हैं

ऋषभ पंत और केएल राहुल अंदर हैं, शार्दुल ठाकुर बाहर क्यों?

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कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा… भारतीय क्रिकेट टीम का हाल भी कुछ ऐसा ही है। संभवत यही कारण है कि क्रिकेट का मोह अब जनता के मन से भंग होता जा रहा है। एशिया कप में जिस तरह से भारतीय टीम ने अपनी धज्जियां उड़वाई हैं उसके बाद इस टीम से मैच जीतने की उम्मीद करना कुछ वैसा ही है जैसे चीटी से पहाड़ चढ़ने की उम्मीद करना है। ऐसे में नया दांव ऑस्ट्रेलिया में अगले माह प्रस्तावित आईसीसी T-20  विश्व कप को लेकर भी चला गया है क्योंकि इस विश्व कप के लिए जिस टीम का ऐलान हुआ है उसके सदस्यों को लेकर लोगों के मन में डर है कि क्या यह टीम सुपर-12 के लीग मैचों में भी अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी या नहीं।

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एशिया कप में अपनी भद्द पिटवा चुकी है टीम

दरअसल, अक्टूबर में होने वाले टी-20 विश्व कप को लेकर टीम का ऐलान कर दिया गया है जिसमें तय कर दिया है कि वो 15 खिलाड़ी कौन होंगे जो कि टीम में शामिल होंगे। टीम की कप्तानी जहां रोहित शर्मा के हाथों में है तो वहीं रोहित के साथ एक बार फिर अजीबोगरीब टीम भेजी गई है। बीसीसीआई के टीम सेलेक्टर्स ने ऐसे कई खिलाड़ियों को चुना है जो पहले ही एशिया कप में अपनी भद्द पिटवा चुके हैं।

शुरुआत ओपनिंग से करें तो बैटिंग के लिहाज से कप्तान रोहित के लिए तो एशिया कप बेहतरीन रहा है जिसके लगभग प्रत्येक मैच में उनका बल्ला आग उगला है लेकिन केएल राहुल को लेकर लोगों के मन में सवाल है‌। केएल राहुल पिछले लंबे वक्त से अपनी फॉर्म खोजते नजर आए हैं और उनके चलते टीम को एक सधी हुई शुरुआत नहीं मिल सकी है लेकिन सवाल यह है कि खराब रिकॉर्ड के बावजूद केएल राहुल को टीम में जगह क्यों दी गई?

अब अहम बात यह है कि टीम के पास संजू सैमसन जैसा एक बेहतरीन खिलाड़ी है जो कि ओपनिंग से लेकर नंबर 4 और 5 में भी बेहतरीन बल्लेबाज़ी कर सकता लेकिन बीसीसीआई ने उसे कोई मौक़ा नहीं दिया। इसके अलावा यदि संजू सैमसन होते तो एक विवादित खिलाड़ी की भी जगह ले सकते थे। जी हां हम ऋषभ पंत की बात कर रहे हैं। ऋषभ पंत को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। उनकी हालिया फॉर्म को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे और कहा जा रहा था कि वह टीम से बाहर हो सकते हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

ऋषभ पंत के साथ चल रहे विवाद और उनकी हालिया फॉर्म के साथ ही उनकी फिटनेस इस बात को स्पष्ट कर रही है कि पंत किसी भी कीमत पर विश्व कप में खेलने के दर्जे वाले खिलाड़ी नहीं है। विकेटकीपिंग से लेकर बल्लेबाज़ी में ऋषभ पंत औसत दर्जे के प्रदर्शन से भी चूकते नजर आए हैं जो कि भारत के लिए चिंताजनक स्थिति है। अच्छा होता यदि पंत की जगह संजू सैमसन पर विश्वास जताया गया होता लेकिन अब यह सवाल किसके सामने उठाया जाए?

इसके अलावा इस टीम में विराट कोहली को मौका मिला है। संभवत उन्हें इसलिए मौका मिला है क्योंकि एशिया कप में उन्होंने अच्छी बल्लेबाजी की थी। इस बात को समझना भी होगा कि विराट ने पिछले तीन वर्षों में कोई शतक नहीं लगाया था और जो शतक लगाया वह अफगानिस्तान की लचर बॉलिंग के खिलाफ आया था। एशिया कप में उनकी जो पारिया बेहतरीन थीं उनमें सामने हॉन्ग-कॉन्ग, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसी टीमें थीं और सच तो यह है कि भारत को आस्ट्रेलियाई पिचों पर साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड ज़ैसी धमाकेदार गेंदबाजी वाली टीमों के सामने खेलना है। अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या विराट का बल्ला वहां चल पाएगा या फिर रनों का सूखा एशिया कप के बाद फिर शुरू हो जाएगा।‌

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सूर्यकुमार यादव का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है

वहीं एशिया‌ कप में सूर्यकुमार यादव को लेकर काफी असमंजस की स्थिति थी लेकिन एक सच यह है कि सूर्यकुमार यादव का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। दिक्कत यह है कि सूर्यकुमार और दिनेश कार्तिक के बीच होने वाले बदलाव से टीम का सामंजस्य बिगड़ता है और यदि यह नंबर 4 को लेकर किया गया फैसला स्थायी न हुआ तो विश्व कप में यह बेहद परेशान कर सकता है क्योंकि दिनेश कार्तिक के पास जहां अनुभव है तो वहीं सूर्यकुमार के पास किसी भी बोलिंग अटैक को ध्वस्त करने की क्षमता है। अब यह देखना भी अहम है कि आखिर कप्तान रोहित उनका इस्तेमाल कैसे करते हैं।

एशिया कप में भारतीय टीम की एक बड़ी दिक्कत गेंदबाजी थी क्योंकि भारतीय बल्लेबाजों द्वारा बनाए हुए 180 रनों से ज्यादा के टारगेट को भी गेंदबाज डिफेंड नहीं कर पाए। अर्शदीप सिंह का प्रदर्शन गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण के क्षेत्र  में औसत रहा था। इसके बावजूद उन्हें मौक़ा दिया जा रहा है जो कि विवादित है। भारत के पास शार्दुल ठाकुर के तौर पर एक युवा बेहतरीन गेंदबाज हैं लेकिन सेलेक्टर्स की उन पर निगाह तक नहीं गई है‌ जो कि सबसे निराशाजनक स्थिति है‌।

गेंदबाजी में दिग्गज जसप्रीत बुमराह की वापसी तो हुई है लेकिन दूसरे छोर से भुवनेश्वर कुमार की गेंदबाजी में वो धार नहीं दिख रही है‌ जो कि भारतीय गेंदबाजी को चाहिए। भारत ने जो दो मैच एशिया कप में बुरी तरह हारे उन दोनों के ही 19वें ओवर भुवनेश्वर ने डाले और जमकर रन लुटाए। एक अनुभवी गेंदबाज से इस प्रदर्शन की उम्मीद नहीं की जा सकती। यदि यह कहा जाए कि भुवनेश्वर की गेंदबाजी ने भी भारत को हराने में योगदान दिया तो शायद यह दावा गलत नहीं होगा।

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हालांकि कि स्पिन के मामले में यजुवेंद्र चहल को मौका दिया गया है जिन्होंने हर मैच में भारत को विकेट निकाल कर दिए हैं लेकिन अच्छा होता यदि चहल और अश्विन के साथ कुलदीप यादव भी टीम में होते क्योंकि विदेशी धरती पर कई बार कुलदीप की बोलिंग ने सभी को चौंकाया है। गेंदबाजी के मोर्चे पर दीपक चाहर को मौका देने के साथ ही टीम में मोहम्मद शमी को स्टैंडबाय पर भी रखा गया है लेकिन एक बड़ी दिक्कत ऑलराउंडर को लेकर भी है।

दरअसल, रविन्द्र जडेजा चोटिल हैं और वे गेंदबाजी से लेकर फील्डिंग और बैटिंग तीनों ही मोर्चों पर भारत के लिए प्लस रहते हैं, उनके टीम में नहीं होने की कमी जरूर खलेगी। हालांकि अगर सिर्फ ऑलराउंडर की बात की जाए तो टीम में पर्याप्त विकल्प हैं। हार्दिक पंड्या इस साल लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, दूसरी ओर अक्षर पटेल हैं जिनके पास बतौर ऑलराउंडर टी20 खेलने का अच्छा अनुभव है लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ये खिलाड़ी टी-20 विश्व कप के वैश्विक दबाव के बीच  अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे?

भारतीय टीम का जिस प्रकार चयन किया गया है वह अपने आप में विवादित प्रतीत हो रहा है। इस टीम का सामंजस्य देखकर लोगों के मन में सबसे बड़ी शंका यही है कि क्या यह टीम लीग मैच से आगे बढ़ पाएगी या टीम की हालत 2007 विश्व कप की तरह हो जाएगी।

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