‘अंकिता की हत्या किसी सिरफिरे आशिक का बदला नहीं था’, यह इस्लामिस्टों द्वारा किया गया एक हमला था

आतंकी संगठन से है अंकिता मामले के आरोपियों का संबंध!

Ankita Murderer

Source- Google

क्या दुमका में 15 वर्षीय अंकिता को जिंदा जलाने का मामला सामान्य एकतरफा प्यार का था, जिसमें एक सनकी आशिक ने प्रस्ताव अस्वीकार होने पर इस घटना को अंजाम दिया? या फिर यह सबकुछ एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है? क्या दरिंदे शाहरुख द्वारा अंकिता को यूं जिंदा जलाकर मारने के पीछे इस्लामिस्टो का हाथ है? यह सारे प्रश्न तब खड़े हो रहे है, जब से अंकिता कुमारी से जुड़े इस पूरे मामले को लेकर कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आई, जिसके बाद केस में एक नई थ्योरी ने जन्म ले लिया है। दरअसल, दुमका हत्याकांड के आरोपियों के बांग्लादेश के एक प्रतिबंधित संगठन से संबंध होने की खबर सामने आई।

आशंका है कि अंकिता मामले के आरोपियों के बांग्लादेशी संगठन अंसारुल्ला बांग्ला से कथित संबंध हैं। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस के बताया कि उन्हें नईम के मोबाइल रिकॉर्ड के माध्यम से आंसर उल बांग्ला से प्रभावित होने की बात सामने आई है। वो मोबाइल पर इस संगठन की गतिविधियों को देखा करता था। बता दें कि नईम अंसारी, शाहरुख का बहुत दोस्त है, जिसे पुलिस ने इस मामले में धर दबोचा है। नईम वही व्यक्ति था, जिसने शाहरुख को पेट्रोल उपलब्ध कराया।

और पढ़ें: शाहरुख हुसैन नामक दरिंदे के हाथ जलायी गयी अंकिता के माता-पिता चीख रहे हैं, सोरेन पिकनिक मना रहे हैं

झारखंड के कई इलाकों में सक्रिय है यह संगठन

बांग्लादेशी संगठन आंसर उल बांग्ला का उद्देश्य गैर मुस्लिम लड़कियों को फंसाकर उनसे शादी कर इस्लाम कबूल कराना था। भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में प्रतिबंधित यह जिहादी संगठन दुमका के साथ झारखंड में कई अन्य जगहों पर भी सक्रिय है। ऐसी कई घटनाएं घट चुकी हैं, जिसमें मुस्लिम युवकों ने हिंदू लड़कियों को पहचान बदलकर अपने प्यार के जाल में फंसाया और फिर निकाह कर धर्मांतरण कराया।

केवल इतना ही नहीं, झारखंड गृह विभाग की रिपोर्ट भी इसे लेकर बड़ा दावा करती है। रिपोर्ट के अनुसार साहिबगंज व पाकुड़ जैसे कई इलाकों में जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश, पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया और अंसारुल्ला बांग्ला जैसे प्रतिबंधित संगठन की पकड़ लगातार बढ़ रही है। साहिबगंज, पाकुड़, धनबाद जैसे जिलों में जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश के आतंकियों की गतिविधि रही है।

भाजपा के कई नेता भी अंकिता कुमारी हत्याकांड के पीछे बांग्लादेशी और PFI जैसे संगठनों का हाथ होने की आशंका जता चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इस मामले पर ट्वीट कर आशंका जताई थी कि अंकिता का हत्यारा शाहरुख और उसका दोस्त नईम आतंकवादी संगठन अंसारुल्ला बांग्ला से प्रेरित थे। यह संगठन बांग्लादेश में ब्लॉगर्स की हत्याओं के लिए भी जिम्मेदार था।

वहीं, भाजपा नेता कपिल मिश्रा जिन्होंने अंकिता के परिवार के लिए 28 लाख रुपए जुटाकर आर्थिक मदद की, उन्होंने इस मामले में लव जिहाद एंगल की जांच करने की मांग की। उन्होंने कहा कि दुमका का मामला लव जिहाद का है। अंकिता को जिंदा जलाने वाले शाहरुख और उसके भाई के बांग्लादेशी आतंकी संगठन से कनेक्शन सामने आए। इनके संबंध PFI से भी हैं। भाजपा नेताओं के बाद अंकिता के पिता ने भी आरोपियों का संबंध बांग्लादेशी संगठन से होने की आशंका जताई। अंकिता के पिता संजीव सिंह ने कहा कि इस इलाके में मुस्लिम समुदाय के कई लोग मुर्शिदाबाद से आए हुए हैं। हो सकता है कि शाहरुख और छोटू (नईम) का संबंध बांग्लादेश से हो।

90 प्रतिशत जल गई थी अंकिता

झारखंड में अंकिता सिंह के साथ घटी इस घटना ने हर किसी को हैरान करके रख दिया। शाहरुख कई वर्षों से अंकिता के पीछे पड़ा था और उसे परेशान कर रहा था। शाहरुख के द्वारा अंकिता पर दोस्ती का दबाव बनाया जा रहा था। वो बार-बार अंकिता को जान से मारने की धमकी दे रहा था और अंत में उसे ऐसा करके ही सुकून मिला। 23 अगस्त को अंकिता जब अपने घर में सो रही थी तो शाहरुख ने खिड़की से पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया। इस दौरान अंकिता 90 प्रतिशत तक जल चुकी थीं।

पांच दिनों तक अंकिता जिंदगी और मौत से लड़ती रही और अंत में उसने दम तोड़ दिया। अंकिता को यूं बेरहमी से मारने के बाद भी शाहरुख को जरा भी पछतावा नहीं था। उल्टा वो तो घटना को अंजाम देने के बाद हंस रहा था। पुलिस ने जब उसे हिरासत में लिया तो वो निर्लज्जता से हंसता हुआ नजर आया। शाहरुख की हंसी वाली तस्वीर देखकर लोगों के गुस्से का गुबार फूट पड़ा। हर कोई एक सुर में अंकिता को जल्द से जल्द न्याय और आरोपियों को सख्त सजा देने की मांग कर रहा है।

इस पूरे मामले को लेकर झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पुलिस सवालों के घेरे में खड़ी है। आखिर क्यों जिहादी बांग्लादेशी संगठन झारखंड इतना सक्रिय है? क्या सरकार को पहले से इसकी भनक नहीं थी और अगर थी तो इनके विरुद्ध अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? सरकार यदि इसको गंभीरता से लेती और एक्शन लेती तो शायद अंकिता बच जाती परंतु हेमंत सोरेन तो अभी भी पिकनिक मनाने में ही व्यस्त हैं!

और पढ़ें: दंगों की राजधानी बन गया है झारखंड, NCRB के आंकड़े कर रहे हैं इसकी पुष्टि

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.

Exit mobile version