वैश्विक बाज़ार के हालात इस समय कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं। स्वयं को कथित महाशक्ति मानने वाले देश इस वक्त मंदी के सामने घुटने टेकते नजर आ रहे हैं। कोरोना महामारी और उसके बाद रूस-यूक्रेन के कारण वैश्विक बाज़ार को काफी आघात पहुंचा है। अमेरिका, चीन जैसे बड़े बड़े देशों की भी हालत खराब होती चली जा रही है। इस बीच ऐसी खबरें लगातार सामने आ रही है कि मंदी की चपेट में आने के कारण कई कंपनियां बड़ी संख्या में लोगों से रोजगार छिन रही है।
इन सबके बीच भारत ही ऐसा एकमात्र देश है जो सुकून की सांस ले रहा है। मंदी की वजह से पैदा हुए हालातों से भारत अब तक अछूता रहा है। जहां एक तरफ दूसरे देश वैश्विक मंदी के चलते अपने कर्मचारियों को नौकरियों से निकाल रहे हैं, तो वहीं भारतीय कंपनियां ऊंचाइयां हासिल करने के प्रयास में जुटी हुई है। केवल इतना तो नहीं भारत में कर्मचारियों का वेतन तक बढ़ाने का विचार किया जा रहा है और वो भी डबल डिजिट में।
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सैलरी में होगी बड़ी वृद्धि
दरअसल, अभी हाल ही में एक रिपोर्ट ऐसी सामने आई है, जो भारतीय कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान ला सकती है। रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति के बीच और कंपनियों की लाभप्रदता कम होने के बाद भी भारतीय कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि होने की संभावना है। कंपनियां अपने कर्मचारियों की सैलरी में 10.4 फीसदी की वृद्धि कर सकती हैं। अग्रणी वैश्विक पेशेवर सेवा फर्म एओएन पीएलसी के द्वारा भारत में नवीनतम वेतन वृद्धि सर्वेक्षण के अनुसार भारत में वर्ष 2023 में 10.4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। बात पिछले वर्ष की करें तो साल 2022 में अब तक 10.6 प्रतिशत ही वृद्धि हुई थी, जो इससे थोड़ी अधिक है।
देखा जाए तो वर्ष 2022 से दस साल पहले यानी 2012 में भारतीय उद्योग जगत में काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी डबल डिजिट में बढ़ी थी। इस बार सर्वे में देश में 40 से अधिक उद्योगों की 1,300 कंपनियों का विश्लेषण किया गया। इस वर्ष कर्मचारियों की सैलरी में औसतन 10.6 फीसदी की वृद्धि के साथ भारतीय उद्योग जगत ने दुनिया के कई विकसित देशों की तुलना में अधिक वृद्धि की है। विश्लेषण मे यह बताया गया है साल 2022 की पहली छमाही में नौकरी छोड़ने वाले लोगों की संख्या 20.3 प्रतिशत थी, जो कि साल 2021 में दर्ज 21 प्रतिशत की तुलना में कम है। सर्वेक्षण में ये बात कही गयी है कि यह प्रवृत्ति अगले कुछ महीनों तक ऐसे ही रहने की उम्मीद है।
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एओएन में ह्यूमन कैपिटल सॉल्यूशंस के पार्टनर रूपंक चौधरी के अनुसार– “वैश्विक मंदी की कठिन बाधाओं और अस्थिर घरेलू मुद्रास्फीति के बाद भी वर्ष 2023 के लिए भारत में अनुमानित वेतन वृद्धि दोहरे अंकों में होगी। यह बढ़ोत्तरी कॉर्पोरेट भारत के मजबूत व्यावसायिक प्रदर्शन के सपने को पूरा करने मे सहायता करेगी। हालांकि बिजनेस लीडर्स को कुछ ऐसे निर्णय लेने चाहिए, जिससे उनका कार्यबल आज के साथ भविष्य में भी लचीला बने।”
अलीबाबा ने 10 हजार लोगों को नौकरी से निकाला
चीन की अर्थव्यवस्था को ही देख लें तो साल 2022 की पहली तिमाही में वहां सकल घरेलू उत्पाद (GDP) केवल 0.4 प्रतिशत ही बढ़ी थी, जबकि जीडीपी विकास दर 5.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद की जा रही थी। स्टॉक के विभिन्न आर्थिक विशेषज्ञ, अरबपति, निवेशक और सरकार के अधिकारियों का ऐसा मानना है कि अमेरिकी की अर्थव्यवस्था भी अब गिर रही है। कथित तौर पर अप्रैल 2020 में अमेरिका ने लगभग 20.5 मिलियन नौकरियां खो दी थी। जब से वैश्विक मंदी की खबरें आई है तब से कई बड़ी-बड़ी कंपनियों में छंटनी की भी खबरे चर्चा का विषय बनाई हुई है। एक रिपोर्ट के अनुसार चीन की अलीबाबा ने एक साथ 10,000 कर्मचारियों को नौकरियों से निकाल दिया है।
मौजूदा समय में हर क्षेत्र में भारत का दबदबा देखने को मिल रहा है। बीते कुछ सालों में भारतीय आईटी क्षेत्र से काफी तरक्की हुई। भारतीय टेक कंपनियों और स्टार्टअप ने अपनी मजबूत प्रदर्शन किया है। विभिन्न तरह की सरकारी योजनाएं जैसे मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत इसमें काफी सहयोग कर रही है। भारत एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। भारत के विकास में अपना योगदान देने के लिए टाटा समूह भी आगे आया है। टाटा समूह की योजना भारत में आईफोन का निर्माण करने की है।
एक तरफ जहां दूसरे देशो की कंपनियां नुकसान झेल रही है, वहीं भारतीय कंपनियां नए आयामों को छूती नजर आ रही है। यही कारण है कि मौजूदा समय में भी भारतीय अर्थव्यवस्था काफी मजबूत बनी हुई है।
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