जैसा कि TFI ने भविष्यवाणी की थी, आप का पंजाब गंभीर रूप से कर्ज के संकट से जूझ रहा है

पंजाब को ले डूबेंगे केजरीवाल

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मुंगेरी लाल के हसीन सपने, जी हां सही पढ़ा आपने! यह आम आदमी पार्टी का ट्रेंड रहा है जहां वो जनता को बड़े-बड़े भारी भरकम वादे के जाल में फांस लेती हैं और जब पूर्ति की बात आती है तो जी हां, अभी करते हैं कहकर नदारत हो जाती है। नहीं तो यह कह देगी कि चीज़ों को समझने और व्यवस्थित करने में समय लगता है। अब न जाने कितना समय पंजाब में लगेगा क्योंकि यहां तो सरकार को आए जुम्मा-जुम्मा 6 महीने हुए हैं ऐसे में जिस दिल्ली मॉडल को लेकर सरकार बनायी थी आप ने, आज उसी दिल्ली को बीते 7 साल के सरकार के कार्यकाल के बाद भी जनता को किए गए वादे अब तक पूरे नहीं कर पायी है। ऐसे में पंजाब की हालत कितनी बदतर होने वाली है उसका अनुमान तो दिल्ली को देख कर ही लागा लेने चाहिए। पंजाब राज्य और उसकी जनता के लिए आगामी भविष्य कुछ ठीक नहीं जान पड़ता है।

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वेतन को अब तक मंज़ूरी नहीं मिली

दरअसल, पंजाब में सितंबर माह की 6 तारीख बीत जाने के बाद भी राज्य के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के वेतन को अब तक मंज़ूरी नहीं मिली है। यह वेतन सितंबर माह वाला नहीं अगस्त माह वाला है। अर्थात अभी कर्मचारियों को अगस्त माह तक का वेतन नहीं मिला है। नियमानुसार, सरकार आमतौर पर हर महीने की पहली तारीख को पिछले महीने के वेतन का भुगतान करती है पर अबकी बार तो कर्मचारी त्रस्त बैठे हैं क्योंकि उनके घर का बजट ही हिल गया है।

बता दें कि, पंजाब सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को इस बार सात तारीख होने के बावजूद वेतन नहीं मिला है। इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों समेत परिवहन विभाग, शिक्षा विभाग, कृषि विभाग के सभी कर्मचारियों का वेतन नहीं मिल पाया है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि आमतौर पर पांच तारीख तक वेतन मिल जाता है, लेकिन इस बार सात तारीख तक वेतन नहीं आया। इससे बच्चों की स्कूल फीस, घर का राशन, किस्त आदि काफी प्रभावित हो रहा है।

राज्य के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने वेतन भुगतान की देरी पर अपना और सरकार का बचाव करते हुए कहा कि, “राज्य सरकार ने करीब 9000 संविदा कर्मचारी को नियमित किया है। कर्मचारियों को नियमित करने की प्रकिया के चलते वेतन भुगतान में तीन-चार दिन की देरी हुई है। उन्होंने कहा कि आज सभी कर्मचारी का वेतन जारी कर दिया गया है।” लेकिन यह कर्मचारी तो अगस्त से अपनी तनख्वाह का इंतज़ार कर रहे हैं, 6 दिन तो इस माह में देरी हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्त वर्ष में राज्य सरकार को पहली तिमाही के ही GST शेयर का भुगतान किया गया है और उसके बाद जून माह में GST रिजाइम ख़त्म कर दिया गया। यही कारण है कि राज्य सरकार की कमाई लगभग रुक सी गयी है और फंड की किल्लत पैदा हो गयी है।

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया था कि भारत में जिन राज्यों पर ऋण है उनमें पंजाब सबसे आगे है, जिसका ऋण उसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 47 प्रतिशत से अधिक है। जो पिछले वित्त वर्ष में 1.85 प्रतिशत अनुबंधित था। 2.83 लाख करोड़ रुपए बकाया देनदारी के साथ इसका वार्षिक ब्याज का बोझ 20 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक है। ऐसे में जैसे पूर्वनिर्धारित ढकोसले के अनुसार यदि आम आदमी पार्टी पंजाब में 300 यूनिट बिजली फ्री देती है तो उससे राज्य के खजाने पर करीब 5000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जिससे राज्य में आर्थिक व्यवस्था के चरमराने की संभावना पैदा हो सकती है। आलिशान गाड़ियां और बेवजह के सरकारी खर्चे लगातार राज्य का बोझ बढ़ाते ही चले गए।

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फ्री-फ्री का चक्कर है

यह फ्री-फ्री का चक्कर भी बहुत बड़े कुचक्र की भांति प्रसारित हो रहा है क्योंकि यही आम आदमी पार्टी चुनावी राज्यों में भर-भरकर घोषणाएं कर रही है पर आम आदमी पार्टी शासित राज्यों की हालत दिल्ली और पंजाब से पूछी जा सकती है। जिन राज्यों को कभी मोदी सरकार पैसा नहीं दे रही यह कहकर एमसीडी का पैसा यह सरकार दिल्ली में खा गयी और पंजाब में इन पर कर्मचारियों के वेतन देने को पैसा नहीं है ऐसी स्थिति ला खड़ी की है। वो बात अलग है कि दिल्ली मॉडल की तर्ज़ पर पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद विज्ञापनों की नयी खेप पंजाब में तैयार होने लगी।

पंजाब में वेतन व्यवस्था ऐसी चरमरायी हुई है लेकिन आप सरकार के लिए ये कोई नयी बात नहीं है क्योंकि आप शासित दिल्ली में भी वेतन को लेकर माहौल सकारात्मक नहीं है। हमने पहले भी बताया था कि दिल्ली में करीब एक हजार आंगनवाड़ी केयरगिवर्स को मार्च की शुरुआत में 39 दिनों की लंबी हड़ताल के सिलसिले में उनकी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया था। हड़ताल कई यूनियनों के बैनर तले की गयी थी, जिसमें श्रमिकों और सहायकों के मासिक मानदेय में पर्याप्त वृद्धि की मांग की गयी थी।

वहीं इसके उलट तेजी से आप सरकार ने दिल्ली में अपने विधायकों के वेतन बढ़ाने की दिशा में काम किये। पार्टी ने पंजाब में तो रोजगार मांगने वाले लोगों को लाठी-डंडों से पिटवा दिया। ज्ञात हो कि ये वही शिक्षक हैं जिन्हें केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव से पहले लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अब जबकि आम आदमी पार्टी पंजाब की सत्ता में है तो केजरीवाल उन्हें भूल गए।

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सौ बात की एक बात यह है कि आज पंजाब सरकार 5 महीने में ही पस्त होने की कगार पर आ गयी है। अभी तो कर्मचारियों के वेतन निकलने में इतनी अड़चन आ रही है बल्कि अभी तो उन वादों का पिटारा खुलना भी बाकी है जो पंजाब की जनता से इसी आम आदमी पार्टी ने चुनाव के दौरान किए थे।

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