ब्लूमबर्ग ने सुझाया है कि मेक इन इंडिया के कारण भारत सैन्य रूप से कमजोर हुआ है, हम चुपचाप इस प्रचार को ध्वस्त करते हैं

प्रोपेगेंडा बोले तो ब्लूमबर्ग और ब्लूमबर्ग बोले तो प्रोपेगेंडा

Bloomberg

प्रोपेगेंडा बोले तो ब्लूमबर्ग और ब्लूमबर्ग बोले तो प्रोपेगेंडा। जी हां, ब्लूमबर्ग टेलीविज़न एक अमेरिकी-आधारित पेड टेलीविज़न नेटवर्क है जिसको बस पैसा फेंक और तमाशा देख वाला स्त्रोत माना जाता है। प्रोपेगेंडा भी ऐसा-वैसा नहीं बिलकुल कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा टाइप प्रोपेगेंडा जिसकी कोई सीमा ही नहीं है। हालिया मामला ब्लूमबर्ग द्वारा प्रकाशित उस रिपोर्ट से जुड़ा है जिसमें उसने हमेशा की तरह एक और दावा किया कि “मोदी के आदेश से चीन को रोकने के लिए भारत के पास हथियार खत्म!” इस रिपोर्ट को रिपोर्ट कम और कुंठा अधिक कहा जा सकता है। कुंठा भारत के आत्मनिर्भर होने पर, कुंठा भारत के मेक इन इंडिया अभियान के इतने सुंदर परिणाम आने पर।

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे ब्लूमबर्ग ने इस बार अपने प्रोपेगेंडे के लिए मेक इन इंडिया को निशाना बनाया है, जानेंगे कि कैसे भारत की सैन्य शक्ति और हथियारों पर बे सिर पैर का उसने ज्ञान बिखेरा है।

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भारत को टारगेट करते हुए ब्लूमबर्ग ने लिखा लेख

दरअसल, भारत को टारगेट करते हुआ ब्लूमबर्ग ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है। गुरुवार को प्रकाशित अपने लेख के माध्यम से यह अभिव्यक्त करने का प्रयास किया गया है कि कैसे भारत की सेनाओं के पास स्वनिर्मित और स्वदेशी के गुणगान करने के चक्कर में आज पुख्ता इंतज़ाम नहीं है जिससे वो लड़ सके। इसका ठीकरा पीएम मोदी पर फोड़ते हुए उसने लिखा कि रक्षा प्रणालियों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर भारत को चीन और पाकिस्तान से लगातार खतरों के लिए असुरक्षित बना रहा है।

ब्लूमबर्ग की ही बात करें तो यह वो पश्चिमी नेटवर्क है जो किसी न किसी तरह भारत को नीचा दिखाने का हरसंभव प्रयास करता आया है। चाहे वो कोरोना में भारत के टीकाकरण अभियान की बात हो, मंकी पॉक्स से जुड़े अनर्गल दावे हों या फिर एक सत्ताधारी पार्टी के प्रतिस्पर्धियों को वो कॉन्टेंट देने की बात हो जिससे वो यह माहौल बना सकें कि विश्व के इतने बड़े मीडिया संस्थान ने यह लिखा है कि भारत की रक्षा प्रणाली को देश में निर्मित करने का पीएम मोदी का प्रयास देश को चीन और पाकिस्तान के खतरे के आगे कमजोर बना रहा है। इन सभी कर्मों में ब्लूमबर्ग की मास्टरी है जिसके आगे भारतीय वामपंथी पोर्टल लज्जा से भर जाए।

इस रिपोर्ट में यह कहा गया कि “2014 में सत्ता में आने के तुरंत बाद, मोदी ने रोजगार पैदा करने और विदेशी मुद्रा के बहिर्वाह को कम करने के लिए भारत में मोबाइल फोन से लेकर फाइटर जेट तक सब कुछ बनाने के लिए अपनी “मेक इन इंडिया” नीति का अनावरण किया। लेकिन आठ साल बाद सैन्य हार्डवेयर का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक अभी भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय स्तर पर पर्याप्त हथियारों का निर्माण नहीं करता है और सरकारी नियम आयात को रोक रहे हैं।”

लेकिन इन सभी दावों के इतर एक सत्य यह है कि यह सब झूठ है, प्रपंच है और छलावा है हर उस पाठक के लिए जो इन रिपोर्टों का अध्ययन करता है। ब्लूमबर्ग एक आदतन फेक कॉन्टेंट और पेड कॉन्टेंट प्रोवाइडर है जो हेडलाइन चमकाने के साथ ही अपनी वाहवाही लूटने का काम करता है। आज ब्लूमबर्ग यह लिख रहा है कि आगामी भविष्य में भारत की सैन्य तकनीक में कमी आएगी, क्यों? क्योंकि पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत को प्राथमिकता दी, मेक इन इंडिया को प्राथमिकता दी जिससे आज तेजस जैसा भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए एयरक्राफ्ट डिजाइन किया गया जो एक भारतीय, सिंगल इंजन, डेल्टा विंग, लाइट मल्टीरोल फाइटर है। एक समय था जब यूपीए शासन में वर्षों तक फाइल पड़ी रहा करती थी पर मजाल है कि कोई एयरक्राफ्ट ही क्या कोई मोटर भी बना ली जाए। यही पीएम मोदी का मेक इन इंडिया को प्राथमिकता प्रदान करने का एकमात्र लक्ष्य था कि स्वदेशी को आगे बढाएं। पर नहीं ब्लूमबर्ग को इसमें भी इसलिए खामी दिखायी दी क्योंकि उसका तो लक्ष्य ही तर्क नहीं कुतर्क वाली बातों को छापना है।

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चीन के समक्ष टिकने के लिए तैयार है भारत

अगर बात करें हमारे प्रतिद्वंद्वी चीन के समक्ष टिकने की तो उसकी भी पूरी व्यवस्था है। 1962 के युद्ध के उलट इस समय का भारत हिमालयी क्षेत्र में चीन से भिड़ने को पूरी तरह तैयार है। 2020 में हुए गलवान संघर्ष के एक महीने से भी कम समय में रक्षा मंत्रालय की रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 5.55 बिलियन डॉलर के हथियारों की फास्ट-ट्रैक खरीद को मंजूरी दे दी थी। जिसके तहत भारत को अपने मिग-29 में से 59 को अपग्रेड करने और रूस से करीब 1 अरब डॉलर में 21 और मिग-29 खरीदने का आदेश दिया गया था। इसके अलावा, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 1.51 बिलियन डॉलर में 12 रूसी निर्मित Su-30MKI फाइटर जेट्स का ऑर्डर दिया गया था। युद्ध में अपनी मारक क्षमता को उन्नत करने के लिए सरकार ने पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर के लिए गोला-बारूद की खरीद को मंजूरी दी, BMP-2 पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों का एक बख्तरबंद डिवीजन, सॉफ्टवेयर-परिभाषित रेडियो निर्भय भूमि-हमला क्रूज मिसाइल और एस्ट्रा परे-दृश्य-सीमा वाली मिसाइलें। इसके अलावा, अमेरिका से एम777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर के लिए एक्सकैलिबर आर्टिलरी राउंड, रूस से इग्ला-एस वायु रक्षा प्रणाली और इज़राइल से स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों की आपातकालीन खरीद को मंजूरी दी गयी थी।

वायु सेना की क्षमता में वृद्धि करते हुए, हवा से हवा में मार करने वाली कई मिसाइलें, हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें, स्मार्ट बम और सटीक-निर्देशित युद्ध सामग्री प्राप्त की गयी। अपने सैन्य निर्माण में भारत ने लद्दाख और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) जैसी ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर, चिनूक वेट लिफ्टिंग हेलीकॉप्टर, राफेल कॉम्बैट जेट और SWITCH टैक्टिकल ड्रोन के उन्नत संस्करण तैनात किए।

अब अगर जंगी बेड़े की बात करें तो पिछली सरकार ने भले ही सुस्ती दिखायी लेकिन भारत हमेशा से सामर्थ्यवान था लेकिन समय-काल परिस्थिति उपरांत जब 2014 में पीएम मोदी ने सत्ता प्राप्त की तब उन्होंने यह परिलक्षित कर लिया कि भारत अपने जंगी बेड़े को परिपक्व बनाएगा ताकि कोई गुंजाईश ही न पीछे छूटे। इस क्रम में पहले मेक इन इंडिया और हाल फ़िलहाल में यही आत्मनिर्भर भारत बड़ी सोच के साथ अवतरित हुआ।

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अंततः भारत को रूस का साथ और सैन्य ताकत का जमकर साथ है जिसके परिणामवरूप एस-400 भारत को मिला और उसकी पहली खेप दिसंबर, 2021 में भारत को मिली थी, जिसे पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है। ऐसी तमाम तकनीक जिनमें भारतीय और गैर भारतीय दोनों शामिल हैं जो निश्चित रूप से आगामी वर्षों में भारत को पूर्णरूपेण एक जागृत सैन्य शक्ति प्रदान करेगा और यह ब्लूमबर्ग जैसे लेख पास भी नहीं भटकेंगे।

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