चिली चॉकलेट, बांस के बिस्किट, नागा कॉफी- पूर्वोत्तर के अनोखे उत्पाद अब देश दुनिया में प्रभुत्व दिखाने को तैयार 

दुनिया में बढ़ रही भारत के इन अद्भुत फलों की मांग!

North east state

Source- TFI

कभी नागा कॉफी का नाम सुना है? आप भी सोच रहे होंगे, ये कौन सी उत्पत्ति है भला? परंतु विश्वास मानिए, यह भी एक सत्य है। अब पूर्वोत्तर के उन उत्पादों को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दिया जाएगा, जिनके अंदर एक अद्भुत क्वालिटी है और जिनकी गुणवत्ता से संसार अनभिज्ञ है। उदाहरण के लिए देश में कॉफी का उत्पादन पारंपरिक तौर पर कहां होता है? पारंपरिक तौर पर कॉफी कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में उगाई जाती है, जिसमें कर्नाटक की हिस्सेदारी सर्वाधिक (71 प्रतिशत) है। दक्षिण भारत की कॉफी उत्पादन में विशेषज्ञता के कारण यहां के लगभग हर राज्य में फ़िल्टर कॉफी केवल एक उत्पाद नहीं बल्कि उन क्षेत्रों की पहचान बन चुका है।

परंतु नागा कॉफी ने पिछले कुछ समय में धीरे-धीरे अपनी पहचान बनानी प्रारंभ की है, ठीक उसी प्रकार से, जैसे एक समय पर पूर्वोत्तर की सबसे प्रसिद्ध और तीखी मिर्ची में से एक भूत जोलकिया ने किया था। इसकी पुष्टि डेक्कन हेराल्ड ने अपने एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में भी की है। नागा कॉफी के अनोखे फ्लेवर से प्रभावित होकर इसका व्यवसाय प्रारंभ करने वाले विविटो येपथो के अनुसार, “हमारे उत्पाद लोगों को भाने लगे हैं। अब इन उत्पादों को ऑनलाइन माध्यम से दिल्ली, बेंगलुरू जैसे शहर, यहां तक कि दक्षिण अफ्रीका, बहरीन, UAE, एवं नीदरलैंड्स, जर्मनी एवं इटली जैसे शहरों में भी इसे एक्सपोर्ट कर रहे हैं।”

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परंतु नागा कॉफी केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। जेनोरिन स्टीफेन एवं उनकी सहकर्मी लैयोलन वाशूम ने भूत जोलकिया की लोकप्रियता बनाए रखने हेतु उसे एक नया रूप दिया – चिली चॉकलेट। आपने ठीक सुना, ये चॉकलेट मीठे नहीं, बड़े तीखे होते हैं, जिनमें पूर्वोत्तर के विशेष भूत जोलकिया मिर्ची का उपयोग होता है। उन्हें यह प्रेरणा इस मिर्ची के साथ हुए सौतेले व्यवहार से मिली, जो अपर्याप्त मार्केटिंग और पूर्वोत्तर के प्रति तत्कालीन सरकारों की उदासीनता को देखते हुए उक्त उद्यमियों ने यह कदम उठाया। ठीक उसी प्रकार त्रिपुरा के अनोखे बिस्कुट, जो बैम्बू यानी बांस, जी हाँ, बांस के बने हैं, उन्हें भी बढ़ावा देने की पूरी पूरी तैयारी है।

पूर्वोत्तर के उत्पादों के प्रति वर्तमान सरकार भी काफी उत्साहित है। देश का पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) प्राकृतिक रूप से उगाए जाने वाले जैविक प्रमाणित कृषि क्षेत्र के लिए जाना जाता है। उन्हीं इलाकों में अनानास की खेती भी की जाती है। ऐसे में किसानों को ताजे अनानास की निर्यात क्षमता का दोहन करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, केंद्र सरकार ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के माध्यम से उपभोक्ताओं के बीच मणिपुर के अनानास के लिए दुबई, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में एक इन-स्टोर एक्सपोर्ट प्रमोशन शो आयोजित किया। यह आयोजन स्थानीय स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ावा देने की सरकारी रणनीति का हिस्सा है।

भारतीय अनानास के शीर्ष दस आयातक देश यूएई, नेपाल, कतर, मालदीव, अमेरिका, भूटान, बेल्जियम, ईरान, बहरीन और ओमान हैं। वर्ष 2021-22 में 4.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के 7665.42 मीट्रिक टन अनानास का निर्यात किया गया था। इसके अतिरिक्त सरकार पाम ऑयल सहित अन्य तेलों के उत्पादन हेतु पूर्वोत्तर को अपना नया मैदान बनाना चाहती है। गोदरेज एग्रोवेट ने पाम तेल की खेती को बढ़ावा देने के लिए असम, मणिपुर और त्रिपुरा सरकार के साथ समझौता किया है। कंपनी ने पूर्वोत्तर के इन तीन राज्यों में पाम तेल के विकास और संवर्धन के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल ऑयल पाम मिशन के तहत समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये हैं। भारत पाम तेल का शुद्ध आयातक देश है।

गोदरेज एग्रोवेट के प्रबंध निदेशक बलराम सिंह यादव ने कहा कि यह समझौता उत्पादन के सतत विकास के माध्यम से भारत के तेल मिशन में मुख्य स्रोत बनने की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। समझौते के अनुसार, कंपनी को क्षेत्र में पाम तेल की खेती के विकास और संवर्धन के लिए इन तीन राज्यों में भूमि आवंटित की जाएगी और अभी तो हमने मूंगफली के तेल इत्यादि पर चर्चा भी प्रारंभ नही की है। यह आयोजन स्थानीय स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ावा देने की सरकारी रणनीति का हिस्सा है और अब बांस के बिस्कुट, चिली चॉकलेट एवं नागा कॉफी इत्यादि इसी का एक अभिन्न भाग है।

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