कांग्रेस की गुलाम नबी आजाद को बदनाम करने की नीति उन्हीं पर पड़ी भारी

कांग्रेस के 'प्रिय पत्रकारों' ने पूरा स्कीम बता दिया!

Ghulam Nabi Azad

Source- TFIPOST

टॉम एंड जेरी तो देखी ही होगी आपने? यदि नहीं, तो अवश्य देखिए। कई अवसर पर आप देखेंगे कि टॉम, जेरी को फंसाने के लिए नई चालें चलता है, जिसमें वह बम गोले तक दागता है और अंत में वह उसी के मुंह पर फट जाता है। कुछ ऐसा ही कांग्रेस के साथ हुआ, जब उन्होंने पूर्व नेता गुलाम नबी आज़ाद को बदनाम के लिए एक कुटिल नीति अपनाई परंतु उनके ही  “प्रिय पत्रकारों” ने प्लान को सार्वजनिक कर सब किए कराए पर गुड़ गोबर कर दिया।

हाल ही में कांग्रेस रामलीला मैदान में भारत जोड़ो यात्रा के अंतर्गत एक व्यापक रैली कर रही थी, जिसमें वे भाजपा के कथित ‘अत्याचारी निर्णयों’ एवं महंगाई पर केंद्र सरकार को कोस रहे थे। परंतु इसी रैली का एक और उद्देश्य भी था- गुलाम नबी आज़ाद जैसे नेताओं को संदेश पहुंचाना कि उन्होंने कांग्रेस छोड़कर कितनी बड़ी गलती की है। स्टेज सेट था, मैटेरियल तैयार था परंतु समस्या आई इन ट्वीट्स से-

https://twitter.com/DNobody101/status/1566332905944924161?s=20&t=nz9VpO1hopMc4ghMFxX9_g

 

इनमें पल्लवी घोष और अनंत विजय ने इस बात का रहस्योद्घाटन किया कि गुलाम नबी आज़ाद की जम्मू रैली से पूर्व उन्हें उनपर कीचड़ उछालने के लिए काफी ट्वीट करने को बोला गया था। इसकी पुष्टि की पवन खेड़ा और रोहिणी सिंह ने। जहां पवन खेड़ा ने तंज कसते हुए दोनों पर भाजपा का एजेंट होने का आरोप लगाया तो वही रोहिणी सिंह ने आरोप लगाया कि कहीं ये लोग अब केवल सरकार का गुणगान करने को ही पत्रकारिता नहीं मानते?

अब रोहिणी सिंह तो कांग्रेस की कार्यकर्ता भी नहीं हैं परंतु जिस प्रकार से उन्होंने कांग्रेस की चाटुकारिता की है, वह अपने आप में ही यह स्पष्ट कर रहा है कि आखिर ये कहना क्या चाहती हैं? ऐसे में पल्लवी घोष ने जाने अनजाने में इस विषय पर प्रकाश डालकर कांग्रेस की पोल खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जो पहले से ही गुलाम नबी आज़ाद के त्यागने के पश्चात काफी रसातल में है।

अब इसमें कोई दो राय नहीं कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के बड़े नेता थे और खासतौर पर जम्मू कश्मीर में काफी ज्यादा प्रभाव रखते थे। परंतु गुलाम नबी आजाद जब पार्टी में थे, तब तो कांग्रेस को उनके जैसे नेता की ताकत और लोकप्रियता का एहसास नहीं हुआ होगा। हालांकि, अब जब गुलाम नबी पार्टी छोड़कर चले गए हैं तब कांग्रेस को समझ आ रहा होगा कि आखिर लोकप्रियता होती क्या है?

दरअसल, गुलाम नबी आजाद को पार्टी छोड़े अभी एक सप्ताह भी नहीं हुआ लेकिन इसी दौरान उनकी ताकत दिखनी शुरू हो चुकी है। आजाद के इस्तीफे के बाद से ही कांग्रेस नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला कुछ यूं शुरू हुआ है कि अब हाल-फिलहाल में तो इस पर ब्रेक लगता हुआ दिख नहीं रहा। उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक सप्ताह से कम समय में ही जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के 100 से अधिक नेता पार्टी छोड़कर आजाद को अपना समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं।

कांग्रेस ही नहीं अन्य पार्टियों का समर्थन भी गुलाम नबी आजाद को मिलता नजर आ रहा है। बुधवार को जम्मू कश्मीर में आम आदमी पार्टी के 51 नेताओं ने भी अपनी पार्टी छोड़ दी और आजाद को अपना समर्थन दिया। केवल इतना ही नहीं, खबर तो यह भी है कि कांग्रेस के पांच हजार कार्यकर्ताओं ने पार्टी का साथ छोड़ने का निर्णय ले लिया है। वो आजाद का समर्थन करते हुए जल्द ही पार्टी को अलविदा कहने की तैयारी में हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, गुलाम नबी आजाद के समर्थन में जम्मू कश्मीर के 5000 कांग्रेसी कार्यकर्ता उरी में होने वाले एक कार्यक्रम के दौरान सामूहिक रूप से इस्तीफा देंगे और आजाद को अपना समर्थन देंगे। इससे पहले बुधवार को 42 कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दिया और कहा कि वे आजाद की होने वाली पार्टी से जुड़ेंगे।

ध्यान देने वाली बात है कि गुलाम नबी आजाद पहले ही जम्मू कश्मीर में अपनी जल्द ही नई पार्टी बनाने की घोषणा कर चुके हैं और जो भी नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं वे निश्चित तौर पर आजाद के साथ जाएंगे। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि एक ही तीर से दो शिकार करने की कांग्रेसी रणनीति बुरी तरह फ्लॉप सिद्ध हुई है, और वे न घर की रही, न ही घाट की।

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