भारत विकास के पथ पर जोर शोर से अग्रसर है। रोज़गार, लोगों का जीवन स्तर, अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा इन सभी के क्षेत्र में भारत ने क्रमिक विकास करते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मोदी सरकार के कार्यकाल की बात करें तो अभी तक भारत में चहमुखी विकास हुआ है। इसी क्रम में देश में सड़क निर्माण में भी काफी तेजी देखने को मिली है। हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय राज्यमार्ग प्राधिकरण ने 105 घंटे और 33 मिनट में 75 किमी की बिटुमिनस कंक्रीट सिंगल लेन बनाकर गिनीज़ वर्ल्ड बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लिया।
एक ओर जहां हम सड़क परिवहन को लेकर नयी बुलंदियों पर पहुंच रहे हैं तो वही दूसरी ओर अगर वर्ल्ड रोड सांख्यिकी 2018 की माने तो भारत सड़क दुर्घटना से हुई मृत्यु के मामले में 199 देशों में शीर्ष पर है। इसी क्रम में एक नाम और और जुड़ गया है टाटा के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का। हाल ही में मुंबई अहमदाबाद हाइवे पर हुई कार दुर्घटना में साइरस मिस्त्री का निधन हो गया। इसके पीछे के कारणों की बात करें तो उल्टे लेन में ओवेर स्पीडिंग और सीट बेल्ट न लगे होने के कारण यह घटना घटी। इसी बीच केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने रोड सेफ्टी को लेकर बड़ा ऐलान किया है।
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2024 तक सड़क हादसों में 50 फीसदी कमी लाने का लक्ष्य
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि जिस तरह कार में आगे बैठे पैसेंजर के सीट बेल्ट नहीं लगाने पर अलार्म बजता है, ऐसा ही सिस्टम अब पिछली सीट पर बैठे पैसेंजर के लिए भी होगा। इसके लिए कार कंपनियों को निर्देश दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले से ही पिछली सीट पर सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है लेकिन लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं, अब इस पर फाइन लगाया जाएगा। गडकरी ने कहा कि जुर्माना लेना मकसद नहीं है बल्कि जागरूकता फैलाना है। उन्होंने कहा कि 2024 तक सड़क हादसों में 50 फीसदी की कमी लाने का लक्ष्य है।
कार की पिछली सीट पर एयर बैग लगाने से क्या कारों की लागत बढ़ जाएगी, इस सवाल पर गडकरी ने बताया कि लोगों का जीवन बचाना ज्यादा जरूरी है। उन्होंने बताया कि एक एयरबैग की लागत 1 हजार रुपए है। ऐसे में 6 के लिए छह हजार रुपए लगेंगे। प्रोडक्शन और डिमांड के बढ़ने के साथ धीरे-धीरे इसकी लागत और कम होती जाएगी। गडकरी ने बताया कि नियमों के अनुसार, भारत में फ्रंट पैसेंजर और ड्राइवर के लिए एयरबैग अनिवार्य हैं। जनवरी 2022 तक, सरकार ने प्रत्येक यात्री कार में 8 पैसेंजर्स के साथ 6 एयरबैग लगाना कंपनियों के लिए अनिवार्य कर दिया है।
आख़िर क्यों होते हैं इतने एक्सिडेंट?
ध्यान देने वाली बात है कि भारत में एक्सिडेंट से जुड़े आंकड़े कहते हैं कि केवल वर्ष 2020 में सड़क दुर्घटनाओं से 47,984 मौतें हुईं तो वही वर्ष 2019 में 53,872 लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में गई। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में विश्व भर में सड़क दुर्घटना के कारण 1.3 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई तो वही 50 मिलियन लोग घायल हुए। भारत का योगदान इसमें 11 फीसदी रहा, जो काफ़ी निराश करने वाला है। हाल ही में जारी किए गए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में पूरे भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 1.55 लाख से अधिक लोग मारे गए यानी औसतन 426 दैनिक या 18 हर घंटे। किसी भी कैलेंडर वर्ष में इस तरह की दुर्घटनाओं में दर्ज की गई यह सबसे अधिक मौत के आंकड़े हैं।
वस्तुतः भारत के अंदर सड़क निर्माण पर तो खूब बल दिया जा रहा है किंतु पूर्व की सरकारों के समय में ख़स्ताहाल हुई सड़कों को सुधारना एक टेढ़ी खीर है। पिछली सरकारों ने सड़कों की स्थिति बदहाल तो की ही, साथ ही वाहनों के सुरक्षा उपकरण की नीतियों को भी गम्भीरता से नही लिया। इन सब का समग्र रूप से परिणाम, सड़क दुर्घटना के रूप में दिखाई पड़ता है। इन सबके अलावा ओवेर स्पीडिंग, ड्रिंक एंड ड्राइव, उल्टे लेन में गाड़ी चलाना, मोबाइल फ़ोन का उपयोग जैसे महत्वपूर्ण कारण भी सड़क दुर्घटना में व्यापक भूमिका निभाते हैं।
पुरानी सरकारों ने सड़क और हाईवे बनाने के नाम पर देश के लोगों के साथ छल किया और उनके इसी कृत्य ने अबतक न जाने कितने लोगों को मौत के मुंह में धकेला है। हालांकि, सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी की अगुवाई में सड़क निर्माण के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य किया जा रहा है, जहां एक ओर हाइवे के निर्माण को लेकर NHAI रिकॉर्ड बना रही है तो वही दूसरी ओर सड़क सुरक्षा को लेकर भी बड़े कदम उठाए गए हैं। सरकार ने वर्ष 2019 में मोटर व्हिकल एक्ट में संशोधन करते हुए क्रांतिकारी बदलाव किए थे। यह संशोधन यातायात उल्लंघन, दोषपूर्ण वाहन, किशोर ड्राइविंग आदि के लिए दंड में वृद्धि करता है। साथ ही साथ एक मोटर वाहन दुर्घटना कोष भी प्रदान करता है, जो भारत में सभी सड़क उपयोगकर्ताओं को कुछ दुर्घटनाओं में अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करता है। अब सरकार ने लगातार बढ़ रहे रोड एक्सिडेंट को देखते हुए वर्ष 2024 तक सड़क हादसों में 50 फीसदी कमी लाने का लक्ष्य रखा है और इसे लेकर नियम कानून भी बना दिए हैं।
सीट बेल्ट लगाने के फायदे
- लोकल सर्कल्स के ताजा सर्वे के मुताबिक 10 में से 7 भारतीय कार में पीछे बैठने के समय सीट बेल्ट नहीं लगाते।
- WHO की स्टडी कहती है कि रियर सीट बेल्ट लगाने से मौत की आशंका 25 फीसदी तक कम हो सकती है।
- फ्रंट सीट पर बैठे पैसेंजर के सीट बेल्ट लगाने से गंभीर चोट लगने या मौत की आशंका कम हो जाती है।
- एयरबैग्स इंपैक्ट को कुशन करते हैं जबकि बेल्ड मूवमेंट को रोकता है।
- सीट बेल्ट न हो तो एयर बैग से गहरी चोट लग सकती है।
- सीट बेल्ट्स ने उन पुरानी कारों में भी जिंदगियां बचाई हैं, जिनमें एयरबैग्स नहीं थे।
एक बात यह गौर करने वाली यह भी है कि सड़क दुर्घटनाओं के लिए जितनी ज़िम्मेदार हमारी सरकारे रही हैं उतना ही ज़िम्मेदार हम स्वयं रहे हैं। क्योंकि सरकार का काम होता हैं नियम और कानूनो का निर्माण करना किंतु उसे मानना हमारे ऊपर होता है और जब लोग इसे नकार देते हैं या नियमों का पालन करने से बचते हैं तो ऐसी घटनाएं देखने को मिलने लगती हैं।
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