Duniya Ke Saat Ajoobe Information in Hindi

Duniya ke saat ajoobe

स्वागत है आपका, आज के इस लेख में दुनिया के सात अजूबों (Duniya ke saat ajoobe) के बारें में विस्तार से चर्चा करने जा रहे है, इस लेख में हम छोटी से छोटी जानकारी आपके साथ साझा करेंगे अतः आशा है कि यह लेख आप अंत तक जरूर पढ़ेंगे।

दुनिया के सात नए अजूबे (Duniya ke saat ajoobe) -विश्व के आश्चर्य ऐसे अद्भुत प्राकृतिक और मानव निर्मित संरचनाओं का संकलन है जो मनुष्य को आश्चर्यचकित करती हैं। प्राचीन काल से वर्त्तमान काल तक विश्व भर के आश्चर्यों की ऐसी कई विभिन्न सूचियाँ तैयार की गयी हैं।

Duniya ke Saat New Ajoobe

(1) ताजमहल- भारतीय शहर आगरा में यमुना नदी के दक्षिण तट पर एक सफेद संगमरमर का मकबरा है। इसे 1632 में मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा अपनी पसंदीदा पत्नी मुमताज महल की मकबरे के लिए शुरू किया गया था। भारत में बहुत से ऐतिहासिक स्मारक हैं, यह एक महान कलात्मक आकर्षण है, जो हर साल, बहुत से लोगों के मन को इसे देखने के लिए खींच लाता है।

यह भारत का सबसे आकर्षक स्मारक है, ताजमहल और आगरा के किले को यूनेस्को के द्वारा विश्व विरासत के रुप में चिह्नित किया गया है ताजमहल शाहजहाँ के प्रेम का प्रतीक है। इसे रबिन्द्रनाथ टैगोर ने “संगमरमर का एक स्वप्न” कहा है।

लेखक जदुनाथ सरकार ने ‘स्टडीज इन मुगल इंडिया’ नामक अपनी पुस्तक में खुलासा किया है कि ताजमहल जनवरी 1643 में लगभग 42 मिलियन रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ था। 2007 से अब तक इसे सात अजूबों की श्रेणी से हटाया नहीं गया है।

Ques-ताजमहल घूमने की टिकट कितने की है?
Ans-भारतीय पर्यटकों को अभी तक प्रवेश के लिए 50 रुपये का टिकट लेना होता है

Ques-ताजमहल कौन से दिन बंद रहता है?
Ans-ताजमहल को रात के समय भी खोला जाता है, साथ ही शुक्रवार को ये जगह बंद रहती है।

Ques-आगरा रेलवे स्टेशन से ताजमहल कितनी दूर है?
Ans-आगरा के प्रसिद्ध ताजमहल से करीब 4 किलो मीटर की दूरी पर है.

Videsh me stith Duniya ke saat ajoobe

(2) चीचेन इट्ज़ा- कोलम्बस-पूर्व युग में माया सभ्यता द्वारा बनाया गया एक बड़ा शहर था। चीचेन इट्ज़ा, उत्तर शास्त्रीय से होते हुए अंतिम शास्त्रीय में और आरंभिक उत्तरशास्त्रीय काल के आरंभिक भाग में उत्तरी माया की तराई में एक प्रमुख केंद्र था

मेक्सिको दुनिया के सबसे खूबसूरत देशों में से एक है। यहां घूमने के लिहाज से कई बेहद ही खूबसूरत जगहें हैं। इन्हीं में से एक है चिचेन इट्जा, जिसका नाम दुनिया के अजूबों की सूची में शामिल है। जिसका इतिहास 1200 साल से भी अधिक पुराना है।

प्राचीन माया शहर चिचेन इट्ज़ा की खोज 1841 में दो महान खोजकर्ता जॉन लॉयड स्टीफंस और फ्रेडरिक कैथरवुड ने की थी नौ प्लेटफार्म, एक सीढ़ी, और मानव अवशेष युक्त एक मंदिर, एक जेड-जड़ित जगुआर सिंहासन और एक तथाकथित चाक मूल थाबलिदान के लिए एक पात्र के रूप में उपयोग किए जाने वाले कटोरे को पकड़ती है।

(3) चीन की दीवार- चीन की विशाल दीवार (Duniya ke saat ajoobe great wall of china) मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है जिसे चीन के विभिन्न शासको के द्वारा उत्तरी हमलावरों से रक्षा के लिए पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक बनवाया गया। 8वीं शताब्दी में कुई, यान और जाहो राज्यों ने तीर एवं तलवारों के हमलों से बचने के लिए मिट्टी और कंकड के सांचे में दबा कर बनाई गई ईटों से दीवार का निर्माण किया गया।

संरचना की लंबाई 8,852 किलोमीटर अनुमानित है।चीन की महान दीवार रेगिस्तान और मैदानों, पहाड़ों और पठारों पर चीनी ड्रैगन की तरह घूमती है।इसे बनाने की शुरुआत ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी में हुई थी, जो 16वीं शताब्दी तक चली। इसका निर्माण एक नहीं बल्कि चीन के कई राजाओं ने अलग-अलग समय में करवाया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दीवार को ‘दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान’ भी कहा जाता है

(4) क्राइस्ट द रिडीमर –क्राइस्ट द रिडीमर ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक प्रतिमा है जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू माना जाता

इसका वजन 635 टन (700 शॉर्ट टन) है और तिजुका फोरेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थित है700-मीटर (2,300 फीट) जहाँ से पूरा शहर दिखाई पड़ता है। यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊँची मूर्तियों में से एक हैयह एक चौकोर पत्थर के आसन आधार पर स्थापित है, जो 26 फीट (8 मीटर) ऊंची है, जो खुद एक पहाड़ शिखर के ऊपर एक चबूतरे पर स्थित है।

यह प्रतिमा दुनिया में सबसे बड़ी आर्ट डेको-शैली की मूर्ति है और रियो डी जनेरियो के सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाले स्थलों में से एक है। क्राइस्ट द रिडीमर की ऊंचाई 38 मीटर है जबकि जीसस की नई मूर्ति 43 मीटर ऊंची है। इसे ‘क्राइस्ट द प्रोटेक्टर’ नाम दिया गया है।

(5) कोलोसियम- कोलोसियम या कोलिसियम इटली देश के रोम नगर के मध्य निर्मित रोमन साम्राज्य का सबसे विशाल एलिप्टिकल एंफ़ीथियेटर है। यह रोमन स्थापत्य और अभियांत्रिकी का सर्वोत्कृष्ट नमूना माना जाता है। जो किसी भी संरचना के लिए बड़ी बात है। यह स्टेडियम में सिर्फ मनोरंजन के लिए योद्धाओं के खुनी युद्ध होते थे। उसके अलावा योद्धाओं की जानवरों के साथ लड़ाई होती थी। कोलोसियम में अंदाजन 10 लाख मनुष्य और 5 लाख पशु मारे गए है। पौराणिक कथाओं से संबंधित कई नाटक भी यहां आयोजित होते थे। कोलोसियम में साल में 2 भव्य आयोजन होते है। मध्यकाल में यह संरचना सार्वजानिक कार्य के लिए बंद किया था।कोलोसियम का निर्माण कब हुआ था?

कोलोसियम का निर्माण 72 ईस्वी और ईस्वी के बीच किया गया था, जो इटली शहर के केंद्र में स्थित है। कोलोसियम की दीवार की उंचाई 157 फीट और परिधि 1788 फीट है

(6) माचू पिच्चू –दक्षिण अमेरिकी देश पेरू मे स्थित एक कोलम्बस-पूर्व युग, इंका सभ्यता से संबंधित ऐतिहासिक स्थल है। यह समुद्र तल से 2,430 मीटर की ऊँचाई पर उरुबाम्बा घाटी, जिसमे से उरुबाम्बा नदी बहती है, के ऊपर एक पहाड़ पर स्थित है।

अक्सर “लॉस्ट सिटी ऑफ़ द इंकास ” के रूप में जाना जाता है, यह इंका सभ्यता का सबसे परिचित प्रतीक है। इंकास ने 1450 के आसपास संपत्ति का निर्माण किया लेकिन एक सदी बाद स्पेनिश विजय के समय इसे छोड़ दियापेरू दक्षिणी अमरीका महाद्वीप में स्थित एक देश है। राजधानी लीमा है।

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(7) पेत्रा- पेत्रा जॉर्डन के म’आन प्रान्त में स्थित एक ऐतिहासिक नगरी है जो अपने पत्थर से तराशी गई इमारतों और जलवाहन प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है।आधुनिक युग में यह एक मशहूर पर्यटक स्थल है। जो की दुनिया के सात अजूबों में शामिल हैपेत्रा एक “होर” नामक पहाड़ की ढलान पर बना हुई है और पहाड़ों से घिरी हुई एक द्रोणी में स्थित है। यह पहाड़ मृत सागर से अक़ाबा की खाड़ी तक चलने वाली “वादी अरबा” नामक घाटी की पूर्वी सीमा हैं। पेत्रा को युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर होने का दर्जा मिला हुआ है। बीबीसी ने अपनी “मरने से पहले 40 देखने योग्य स्थान” में पेत्रा को भी शामिल किया हुआ है।

पेट्रा कैसे पहुंचे? – यह जॉर्डन की प्राचीन शहर पेट्रा वाडी मूसा में है। यहां से पेट्रा करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पेट्रा की नजदीकी हवाई अड्डा अम्मान हैं। फिर अम्मान से कैब या बस की मदद से सीधे पेट्रा पहुंचा जा सकता है। इस शहर में वाहनों को ले जाना प्रतिबंधित है। हालाँकि गधे, घोड़ा गाड़ी और ऊंट को यहां लाया जा सकता है।

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