Ganesh Atharvashirsha meaning and benefits in Hindi
स्वागत है आपका, आज के इस लेख में गणेश अथर्वशीर्ष पाठ से सम्बंधित जानकारी (basic information about Ganesh Atharvashirsha in Hindi) के बारें में हिंदी में विस्तार से चर्चा करने जा रहे है, इस लेख में गणेश अथर्वशीर्ष पाठ की विधि एवं इसके लाभ से सम्बंधित जानकारी आपके साथ साझा करेंगे अतः आशा है कि यह लेख आप अंत तक जरूर पढ़ेंगे।
Ganesh Atharvashirsha meaning in Hindi- बुद्धि व विद्या के दाता गणेश जी परमात्मा का विघ्ननाशक स्वरूप है। गणेशोत्सव के 10 दिनों में गणेशजी की आराधना बहुत मंगलकारी मानी जाती है। हमारे सभी देवताओं में श्रीगणेश का महत्व सबसे विलक्षण है। अत: प्रत्येक कार्य के आरंभ में, किसी भी देवता की आराधना के पूर्व, किसी भी सत्कर्मानुष्ठान में, किसी भी उत्कृष्ट से उत्कृष्ट एवं साधारण से साधारण लौकिक कार्य में भी भगवान गणेश का स्मरण, अर्चन एवं वंदन किया जाता है। श्री गणपति अथर्वशीर्ष की रचना केदार पंडित ने की है।
पूजा के अलावा किसी भी तरह का शुभ कार्य जैसे, विवाह, ग्रह प्रवेश और इत्यादि को शुरू करने से पहले भी भगवान गणेश जी का नाम लिया जाता है और इनका नाम लेने के बाद ही इन शुभ कार्य को आरंभ किए जाते हैं। श्री गणपति अथर्वशीर्ष स्त्रोत संस्कृत भाषा में लिखा गया है और ये स्त्रोत पढ़ने से श्री गणपति जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।इसके एक, पांच अथवा ग्यारह पाठ प्रतिदिन करने का शास्त्रीय विधान है।
अथर्वशीर्ष में मात्र दस ऋचाएं हैं। इसमें प्रमुख रूप से बताया गया है कि शरीर के मूलाधार चक्र में स्वयं गणेश जी का निवास है। मूलाधार चक्र शरीर में गुदा के निकट है। मूलाधार चक्र आत्मा का भी स्थान है। जो उंकार मय है। यहां प्रणव अर्थात ऊंकार स्वरूप गणेश जी विराजमान हैं। मूलाधार चक्र में ध्यान की स्थिति सर्वमान्य होती है, जिससे मन मस्तिष्क शांत रहता है।
Basic information about Ganesh Atharvashirsha in Hindi
वेदों में गणपति का नाम ‘ब्रह्मणस्पति’, पुराणों में ‘श्री गणेश’ तथा उपनिषद ग्रंथों में साक्षात ‘ब्रह्म’ बतलाया है। अथर्वशीर्ष का सार है ‘ऊं गं गणपतये नम:’।
सर्वतोभावेन सुखी भी। वह किसी प्रकार से विघ्नों से बाधित नहीं होता तथा महापातकों से मुक्त हो जाता है क्योंकि यह मन को शांत करने की एकमात्र विद्या है। गणपति अथर्वशीर्ष संस्कृत में रचित एक लघु उपनिषद है। इस उपनिषद में गणेश को परम ब्रह्म बताया गया है। यह अथर्ववेद का भाग है। अथर्वशीर्ष में दस ऋचाएं हैं।
Ganesh Atharvashirsha path benefits in Hindi
- गणपति अथर्वशीर्ष का कम से कम एक पाठ नियमित करने से शरीर की आंतरिक शुद्धि होती है।
- इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- इसके नियमित पाठ से शरीर के सारे विषैले तत्व बाहर आ जाते हैं।
- शरीर में एक विशेष तरह की कांति पैदा होती है
- गणपति अथर्वशीर्ष के पाठ से मानसिक शांति और मानसिक मजबूती मिलती है।
- इससे दिमाग स्थिर रहते हुए सटीक निर्णय लेने के काबिल बनता है।
- जीवन में स्थिरता आती है।
- कार्यों में बेवजह आने वाली रूकावटें दूर होती हैं।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ कैसे करें?
How to perform Ganesh Atharvashirsha path in Hindi?
- गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने के लिए प्रतिदिन अपने पूजा स्थान या किसी शुद्ध स्थान पर स्नानादि करके शांत मन से बैठ जाएं।
- रीढ़ एकदम सीधी रखते हुए बैठें और पाठ करें।
- इसका पाठ करने के लिए किसी पूजा की आवश्यकता नहीं होती।
- भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या फोटो सामने ना हो तो भी चलेगा।
- इसका पाठ नियमित करना चाहिए, लेकिन प्रत्येक माह आने वाले विशेष दिन जैसे संकष्टी चतुर्थी के दिन शाम के समय 21 पाठ करना चाहिए।
- गणपति अथर्वशीर्ष के पाठ के साथ यदि एक माला ॐ गं गणपतये नम: की जपी जाए तो और भी अधिक लाभदायक होता है।
- महिलाओं के लिए भी बहुत लाभदायक होता है।
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मन्त्र
।। श्री गणेशाय नम: ।।
(शान्ति-मन्त्र:)
ॐ भद्रं कर्णेभि शृणुयाम देवा:। भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा:।।
स्थिरै रंगै स्तुष्टुवां सहस्तनुभि:। व्यशेम देवहितं यदायु:।1।
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:। स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा:।
स्वस्ति न स्तार्क्ष्र्यो अरिष्ट नेमि:।। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु।2।
ॐ शांति:। शांति:।। शांति:।।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष
ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि
त्वमेव केवलं कर्ताऽ सि
त्वमेव केवलं धर्ताऽसि
त्वमेव केवलं हर्ताऽसि
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि
त्व साक्षादात्माऽसि नित्यम्।।1।।
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