Great Writer Munshi Premchand ka Jeevan Parichay

Munshi Premchand ka Jeevan Parichay

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स्वागत है आपका, आज के इस लेख में हम मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय (Munshi Premchand ka Jeevan Parichay) लेकर आये है, आशा करते है कि यह लेख आपको पसंद आएगा।

मुंशी प्रेमचंद- मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के एक महान कहानीकार व उपन्यासकार थे जिन्होंने अपनी अद्वितीय रचनात्मक क्षमता से हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी।

Munshi Premchand ka Jeevan Parichay

प्रेमचंद बचपन से ही पुस्तकों से बहुत ज्यादा लगाव रखते थे जिसकी वजह से उनका मन पुस्तकों की तरफ खींचता चला गया। पुस्तकें पढ़ना उनका शौक बन गया था। पुस्तकें पढ़ने की इसी प्रवृत्ति के कारण वे धीरे-धीरे लेखन के क्षेत्र में आ गए। धनपत राय अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनकी दो बड़ी बहनें जन्म लेने के बाद ही मृत्यु को प्राप्त हो गई। उनकी एक जीवित बहन थी जो उनसे बड़ी थी जिसका नाम सुग्गी था। प्रेमचंद के उपन्यास और कहानियों का भारत और दुनिया की कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है। प्रेमचंद हिंदी साहित्य में एक मील का पत्थर हैं और बने रहेंगे।

जब बालक धनपत राय 7 वर्ष के हुए तब उन्हें लमही के एक मदरसे में पढ़ने के लिए भेजा गया। विधाता की होनी को कौन टाल सकता था। दुर्भाग्यवश, जब धनपत मात्र 8 वर्ष के थे तब उनकी माता आनंदी देवी की एक लंबी बीमारी के चलते मृत्यु हो गई।

उनकी माता के देहांत हो जाने के बाद, धनपत का पालन-पोषण उनकी दादी मां ने किया। परंतु, दादी मां भी बहुत जल्द ही गुजर गई। जिसके कारण धनपत अकेले पड़ गए क्योंकि उनके पिता क्लर्क थे और उन्होंने दूसरी शादी की भी कर ली।मचंद्र नाम से उनकी पहली कहानी बड़े घर की बेटी जमाना पत्रिका में प्रकाशित हुई।

1915 में उस समय की प्रसिद्ध हिंदी मासिक पत्रिका सरस्वती में पहली बार उनकी कहानी सौत नाम से प्रकाशित हुई। 1919 में उनका पहला हिंदी उपन्यास सेवासदन प्रकाशित हुआ। इन्होंने लगभग 300 कहानियां तथा डेढ़ दर्जन उपन्यास लिखें। असहयोग आंदोलन के दौरान सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देने के बाद वे पूरी तरह साहित्य सजृन में लग गए। रंगभूमि नामक उपन्यास के लिए उन्हें मंगलप्रसाद पारितोषक से सम्मानित किया गया। प्रेमचंद की रचनाओं में उस दौर के समाज सुधारक आंदोलन स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आंदोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है।

Munshi Premchand ka Vaivahik Jeevan Parichay- धनपत बनारस के क्वींस कॉलेज में अध्ययन कर रहे थे। जब वह नौवीं कक्षा में थे तब उनका विवाह करवा दिया गया। उस समय धनपत की उम्र मात्र 15 वर्ष थी।

यह विवाह धनपत के नाना ने तय करवाया था। लड़की एक संपन्न भू-मालिक के परिवार से थी।1896 के समय में, प्रेमचंद की पत्नी व सौतेली माता के बीच में झगड़े हुआ करते थे तब प्रेमचंद ने अपनी पत्नी को एक दिन फटकार लगा दी। जिसकी वजह से उनकी पत्नी ने आत्महत्या करने की कोशिश की। वह अपने मायके चली गई। प्रेमचंद ने अपनी पत्नी को वापस लाने के लिए कोई रुचि नहीं दिखाई जिसकी वजह से उनकी शादी टूट गई।

1906 में प्रेमचंद ने एक विधवा शिवरानी देवी के साथ विवाह किया। उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम अमृतराय था। वह धनपत से उम्र में बड़ी, झगड़ालू, तथा कम सुंदर थी। ।

प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियां-

दो बैलों की कथा
बड़े घर की बेटी
आखिरी मंजिल
पंच परमेश्वर
बूढ़ी काकी
कफन
ईदगाह
जुलूस

प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास –

गोदान
गबन
सेवासदन
रंगभूमि
कायाकल्प
वरदान
मंगलसूत्र
कर्मभूमि
प्रतिज्ञा
ज्वालामुखी

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Munshi Premchand ka Jeevan Parichay (Facts)

नाम मुंशी प्रेमचंद
पूरा नाम धनपत राय
जन्म 31 जुलाई 1880
प्रमुख रचनाये गोदान, गबन
राष्ट्रीयता हिन्दुस्तानी
भाषा हिन्दी व उर्दू
पिता अजायब राय
माता आनंदी देवी
मृत्यु 8 अक्टूबर 1936
जन्म स्थल वाराणसी के लमही गाँव मे हुआ था .
व्यवसाय अध्यापक, लेखक, पत्रकार

Ques- मुंशी प्रेमचंद के माता पिता कौन थे?
Ans- मुंशी प्रेमचंद की माता का नाम आनंदी देवी तथा पिता का नाम अजायब राय था।

Ques- मुंशी प्रेमचंद का जन्म कब हुआ था?
Ans-  मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही, बनारस में हुआ था।

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