जम्मू और कश्मीर अब सदैव के लिए बदल रहा है

ये तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था!

कश्मीर सिनेमा

कश्मीर में सिनेमा की वापसी: वो कहते हैं न कि हर रात के बाद सवेरा अवश्य आता है। वैसा ही कुछ जम्मू-कश्मीर में भी देखने को मिल रहा है। कश्मीर को धरती का ‘स्वर्ग’ कहा जाता है। जहां के बर्फ से ढके सुंदर-सुंदर पहाड़ और खूबसूरत झीलें किसी का भी मन मोह लेने के लिए काफी हैं। परंतु इन खूबसूरत और मनमोहक वादियों के बीच कश्मीर से एक तस्वीर आतंकवाद की भी सामने आती रही है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की बेड़ियों से कश्मीर कई दशकों से जकड़ा हुआ हैं। आतंकवादी अपने नापाक मंसूबों के जरिए कश्मीर के माहौल को बिगाड़ते और रक्तपात को अंजाम देते आए हैं। यही कारण है कि कश्मीर विकास के मामले में काफी पीछे छूट गया। परंतु वही कश्मीर अब बदल रहा है।

मोदी सरकार ने जब से कश्मीर को अनुच्छेद-370 की बेड़ियों से मुक्त कराया है, तब से ही कश्मीर की स्थिति पूरी तरह से बदलती नजर आने लगी है। वो कश्मीर जो अब तक आतंक के कारण भय के साए में जीता आ रहा था आज वह भी विकास की रफ्तार पकड़ने लगा है। मोदी सरकार की आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति, तेजी से संपूर्ण विकास और शांति कायम करने के प्रयास कश्मीर की दशा और दिशा को पूरी तरह से बदल रही है। इसके चलते केंद्र शासित प्रदेश में एक नयी आशा की किरण निकली है, जो आतंकवाद के भयानक अतीत को पीछे छोड़ने के लिए तैयार है।

कश्मीर में सिनेमा की वापसी

आप कभी कश्मीर घूमने गए हों या फिर नहीं, परंतु आपने कश्मीर के खूबसूरत दृश्य किसी न किसी फिल्म में तो अवश्य ही देखे होंगे। एक समय ऐसा था जब कश्मीर फिल्म इंडस्ट्री का पसंदीदा शूटिंग स्पॉट हुआ करता था। फिर आतंक के साए में जकड़ने के बाद यहां सिनेमाघरों में ताला लग गया। हालांकि अब कश्मीर में दोबारा मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल की वापसी शुरू होने लगी है।

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18 सितंबर रविवार का दिन जम्मू-कश्मीर में एक नया सवेरा लेकर आया। इस दिन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा और शोपियां में सिनेमा हॉल का उद्घाटन कर इस नए बदलाव की पहल की। उन्होंने इस पल को कश्मीर के लिए ऐतिहासिक बताया था। कश्मीर के पुलवामा और शोपियां में जो सिनेमा हॉल खुले हैं, वो बहुउद्देशीय हैं। इसमें फिल्में दिखाने के साथ-साथ युवाओं के मनोरंजन और कौशल विकास की सुविधा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। केवल इतना ही नहीं सरकार का उद्देश्य कश्मीर के हर जिले में मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल शुरू करना है।

पुलवामा और शोपियां के दो दिनों बाद श्रीनगर को कश्मीर को पहले आइनॉक्स मल्टीप्लेक्स की सौगात मिली। 20 सितंबर मंगलवार को इसे खोला गया था। इसमें पहली फिल्म जो दिखाई गई, वो आमिर खान की ‘लाल सिंह चड्ढा’ थी। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार श्रीनगर में INOX द्वारा तैयार किए गए इस मल्टीप्लेक्स में तीन मूवी थिएटर और एक फूड कोर्ट होगा, जहां एक साथ 520 लोग बैठकर फिल्म देखने का आनंद उठा सकेंगे।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का कहना है कि हम जल्द ही जम्मू कश्मीर के हर जिले में इस तरह के मल्टीपर्पस सिनेमा हॉल का निर्माण करेंगे। शीघ्र ही अनंतनाग, बांदीपोरा, गांदरबल, डोडा, राजौरी, पुंछ और किश्तवाड़ में इस तरह के सिनेमा हॉल का निर्माण होगा।

देखा जाए तो 1980 के दशक तक जम्मू-कश्मीर में मनोरंजन उद्योग का हाल काफी अच्छा था। कश्मीर में कभी एक दर्जन से भी अधिक सिनेमाघर हुआ करते थे । कश्मीर में लगभग 15 थियेटर थे, जिनमें से 9 श्रीनगर में थे। परंतु फिर वो 90 का दौर आया, जिसे कश्मीर के इतिहास में काले अध्याय माना जाता है। उस दौरान ही जम्मू-कश्मीर में सिनेमाघरों पर भी ताला लगा था। आतंकी संगठनों की धमकियों के बाद इन्हें कामकाज बंद करने को विवश होना पड़ा था।

वैसे ऐसा नहीं है कि इसके बाद कभी कश्मीर में सिनेमा हॉल खोलने के प्रयास नहीं हुए। वर्ष 1999 में सिनेमा हॉल को फिर से खोलने की कोशिश हुई। इस दौरान रीगल, नीलम और ब्रॉडवे सिनेमा हॉल को फिल्में दिखाने की अनुमति भी दी गई। परंतु रीगल सिनेमा के पहले ही शो के दौरान आतंकी हमला हो गया, जिसमें एक शख्स की मृत्यु हुई, जबकि 12 अन्य लोग घायल भी हो गए। इसके बाद थिएटर खोलने की कोशिशों को रोक दिया गया था।

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स्कूलों में ‘भजन और सूर्य नमस्कार’

90 के उस दौर को कश्मीरी पंडित तो कभी नहीं भूला पाएंगे, जब कश्मीर की गलियों में “रलिव, गलिव या चालिव” जैसे नारे गूंजा करते थे। परंतु अब परिस्थिति इतनी बदल गयी है कि उसी कश्मीर के स्कूलों में बच्चे ‘रघुपति राघव राजा राम’ जैसे भजन गाए जा रहे हैं। हालांकि महबूबा मुफ्ती जैसे लोगों को इससे भी मिर्ची लग रही हैं और उन्हें समस्याएं हो रही हैं। तभी तो वो इस मामले को लेकर भाजपा पर भड़कते हुए उल्टे-फुल्टे आरोप लगा रही हैं।

दरअसल, जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में रघुपति राघव राजा राम भजन गाने को लेकर एक नई बहस छिड़ गई। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बीते दिनों पूरे मामले को लेकर भाजपा पर भड़कते हुए यह आरोप लगाया कि बीजेपी यहां हिंदुत्व के एजेंडे की राजनीति कर रही है और स्कूलों पर भजन थोप रही है। महबूबा मुफ्ती ने अपनी एक ट्वीट में कहा- “धार्मिक नेताओं को जेल में डाला गया और जामा मस्जिद को बंद कर स्कूली बच्चों को हिंदू भजन गाने का निर्देश दिया गया। ऐसा करके कश्मीर में भारत सरकार का असली हिंदुत्व एजेंडा सामने आ गया है।” वो ‘रघुपति राघव राजा राम’ गीत जिसे रामहात्मा गांधी आजादी के आंदोलन में हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जीवनभर गाते रहे, वो कहां से सांप्रदायिक हो गया? यह तो महबूबा मुफ्ती ही बेहतर जानें।

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महाराजा हरि सिंह की जयंती पर सार्वजनिक छुट्टी

जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह की जयंती के अवसर (23 सितंबर) पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा  ने सार्वजनिक छुट्टी घोषित की है। उपराज्यपाल के ऑफिस से जारी सरकारी आदेश के अनुसार- ‘महाराजा हरि सिंह की जयंती के अवसर पर हर साल 23 सितंबर को केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू और कश्मीर) के सरकारी सभी कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश रहेगा।’

इन सबके अतिरिक्त अक्टूबर के पहले हफ्ते में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के केंद्र शासित प्रदेश का दौरा कर सकते हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि गृह मंत्री की अपनी यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर के लिए कई विकास परियोजनाओं का ऐलान कर सकते है, जिससे जम्मू-कश्मीर और तेजी से विकास की रफ्तार पकड़ेगा।

इन घटनाओं से यह तो स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर बदल रहा है। इस तरह के बड़े सुधार इस बात को साबित कर रहे हैं कि आतंकवाद के भय को पीछे छोड़ जम्मू-कश्मीर एक नए शुरुआत की ओर बढ़ रहा है।

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