Mahadevi Varma ka Jivan Parichay, Education and works in Hindi

Mahadevi Varma ka jivan parichay

स्वागत है आपका आज के इस लेख में, आज हम बात करने जा रहे है, महादेवी वर्मा के जीवन परिचय (Mahadevi Varma ka jivan parichay), शिक्षा, करियर, सम्मान एवं रचनाओं के बारें में एवं आशा करते है कि यह लेख आपको पसंद आएगा।

Mahadevi Varma ka jivan parichay

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय – महादेवी वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद में होली के दिन 1907 में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा उज्जैन में हुई और एम. ए. उन्होंने संस्कृत में प्रयाग विश्वविद्यालय से किया।

बचपन से ही चित्रकला, संगीतकला और काव्यकला की ओर उन्मुख महादेवी विद्यार्थी जीवन से ही काव्य प्रतिष्ठा पाने लगी थीं। वह बाद के वर्षों में लंबे समय तक प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्या रहीं। वह इलाहाबाद से प्रकाशित ‘चाँद’ मासिक पत्रिका की संपादिका थीं और प्रयाग में ‘साहित्यकार संसद’ नामक संस्था की स्थापना की थी।

शिक्षा और करियर-महादेवी वर्मा को मूल रूप से एक कॉन्वेंट स्कूल में भर्ती कराया गया था, लेकिन विरोध और अनिच्छुक रवैये के कारण, उन्होंने इलाहाबाद के क्रॉस्थवेट गर्ल्स कॉलेज में प्रवेश लिया। उन्होंने क्रॉस्थवेट के छात्रावास में रहकर एकता की ताकत सीखी। यहां विभिन्न धर्मों के छात्र एक साथ रहते थे। वहां वे गुप्त रूप से कविता लिखने लगीं, लेकिन उनकी रूममेट और सीनियर सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा उनकी छिपी हुई कविताओं की खोज के बाद, उनकी छिपी साहित्यिक प्रतिभा का खुलासा हुआ।

Mahadevi Varma ka sankshipt jivan parichay

नाम महादेवी वर्मा
जन्म सन 1907 ई में
जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में।
माता जी का नाम श्रीमती हेम रानी देवी
पिताजी का नाम श्री गोविंद सहाय वर्मा
मृत्यु 11 सितंबर , सन 1987 ई में

1930 में, निहार, 1932 में, रश्मि, 1933 में, नीरजा की रचना उनके द्वारा की गई थी। 1935 में, संध्यागीत नामक उनकी कविताओं का संग्रह प्रकाशित हुआ था। 1939 में, यम शीर्षक के तहत उनकी कलाकृतियों के साथ चार काव्य संग्रह प्रकाशित किए गए थे। इनके अलावा, उन्होंने 18 उपन्यास और लघु कथाएँ लिखी थीं जिनमें मेरा परिवार, स्मृति की राहे, पथ के साथी श्रींखला के करिये (श्रृंखला की कड़ी) और अतित के चलचरितो प्रमुख हैं। उन्हें भारत में नारीवाद की अग्रदूत भी माना जाता है।

उनकी प्रमुख गद्य रचनाओं में शामिल हैं –

अतीत के चलचित्र (1961)
स्मृति की रेखाएं (1943)
पाठ के साथी (1956)
मेरा परिवार (1972)
संस्कारन (1943)
संभासन (1949)
श्रींखला के करिये (1972)
विवेचामनक गद्य (1972)
स्कंधा (1956)

पुरस्कार और सम्मान-1943 में उन्हें ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’ एवं ‘भारत भारती’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। स्वाधीनता प्राप्ति के बाद 1952 में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्या मनोनीत की गयीं। 1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिये ‘पद्म भूषण’ की उपाधि दी।
1971 में साहित्य अकादमी की सदस्यता ग्रहण करने वाली वे पहली महिला थीं। 1988 में उन्हें मरणोपरांत भारत सरकार की पद्म विभूषण उपाधि से सम्मानित किया गया।

मृत्यु

महादेवी वर्मा जी ने अपना पूरा जीवन इलाहाबाद में बिताया और फिर 11 सितंबर 1987 वे इस दुनिया की मोह माया को त्याग कर चल बसीं, इन्होंने अपनी कविताओं में महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचार को ही नहीं बल्कि समाज के गरीब और जरूरतमंद तथा दलित लोगों के भाव को भी चित्रित किया।

महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी है?

नीहार
रश्मि
नीरजा
सांध्यगीत
अग्निरेखा
दीपशिखा
सप्तपर्णा

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Mahadevi Varma ka Jivan Parichay se sambandhit prashn

Ques- महादेवी का जन्म कब और कहां हुआ था?
Ans- महादेवी का जन्म 26 मार्च 1907 को प्रातः 8 बजे फ़र्रुख़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ।

Ques- महादेवी वर्मा के पति का क्या नाम है?
Ans- महादेवी वर्मा के पति का नाम स्वरूप नारायण वर्मा है।

Ques- साबिया किसकी कृति है?
Ans- साबिया महादेवी वर्मा की कृति है।

आशा करते है कि महादेवी वर्मा के जीवन परिचय (Mahadevi Varma ka jivan parichay), शिक्षा, एवं करियर से सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे ही रोचक लेख एवं देश विदेश की न्यूज़ पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।

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