लगता है महुआ मोइत्रा स्वयं की बेइज्जती कराने में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को पूरी टक्कर देने की तैयारी में हैं। हाल ही में अभी महुआ को उनकी ही पार्टी की प्रमुख ममता बनर्जी ने कोलकाता में हुई सभा के दौरान लोगों के समक्ष जमकर लताड़ लगायी, कारण था अपने पुराने विधानसभा क्षेत्र में चौधरी बनना। करीमपुर विधानसभा क्षेत्र महुआ का पूर्व विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था, किंतु मानो महुआ स्वयं को करीमपुर से अलग ही नहीं कर पा रही हैं।
और पढ़ें- देखिए ममता बनर्जी ने कैसे पूरे पश्चिम बंगाल को बदल कर रख दिया है
ममता बनर्जी ने भरी सभा में महुआ को लताड़ा
दरअसल महुआ अपने पुराने विधानसभा क्षेत्र में ज़िला स्तर पर अपने मनपसंद लोगों को नियुक्त करना चाह रही हैं ताकि उनका प्रभुत्व वहां बना रहे, किंतु इससे नाराज़ पार्टी के लोगों ने तृणमूल काग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से शिकायत कर दी जिस पर ममता ने महुआ को कोलकाता में आयोजित एक सभा में जमकर लताड़ लगाते हुए कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र से परे पार्टी के संगठनात्मक मामलों में हस्तक्षेप न करें। ममता ने महुआ से कहा कि “महुआ, कौन पद देता है और कौन नहीं देता यह महत्वपूर्ण नहीं है। यह पार्टी को सोचना है। करीमपुर आपका क्षेत्र नहीं है यह अबू ताहिर का है और वह देखेगा। आप केवल अपने लोकसभा क्षेत्र पर ध्यान दें।
यह पहली बार नहीं है जब महुआ ने ममता के सामने दिक़्क़तें खड़ी की हैं इससे पहले भी जब फ़िल्म काली को लेकर खड़े हुए विवाद पर महुआ ने मां काली पर विवादित टिप्पणी की थी तब भी बहुत बवाल मचा था। इतना कि महुआ के विरुद्ध कई राज्यों में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। मामले को तूल पकड़ता देख तृणमूल कांग्रेस ने स्वयं को इस बयान से अलग कर लिया था। इसी क्रम में ममता बनर्जी ने महुआ को सलाह देते हुए कहा था कि ऐसे बयान नहीं देने चाहिए जिससे किसी की भावनाएं आहत हों और तृणमूल कांग्रेस महुआ के टिप्पणियों को मंजूरी नहीं देती है जिसके बाद महुआ ने तृणमूल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को अनफॉलो कर दिया था।
ममता द्वारा महुआ को लताड़ने के और भी किस्से सामने आते हैं। विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी जिलाध्यक्ष के रूप में महुआ ने नदिया के लिए संभावित उम्मीदवारों की अपनी सूची दी थी, लेकिन उनके किसी भी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया गया था। इस बात से नाराज़ महुआ निष्क्रिय रही थी एवं चुनाव अभियान के दौरान उन्हें बहुत कम ही देखा गया था। इस बात से नाराज़ ममता ने कोलकाता में हुई पार्टी मीटिंग में महुआ को हड़काते हुए कहा था कि झूठी वफादारी लंबे समय तक नहीं चल सकती। पार्टी के भीतर तकरार बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पार्टी तय करेगी कि चुनाव लड़ने के लिए किसे टिकट मिलेगा किसे नहीं।
और पढ़ें- ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ‘ग्रीन लविंग’ ममता पर एंटी ग्रीन चीजों के कारण लगाया जुर्माना
ममता के लिए सरदर्द बन चुकी हैं महुआ
दरअसल महुआ अब अपनी महत्वकांक्षा के चलते ममता के लिए सर दर्द बनती जा रही हैं, बड़े ही कम अंतराल में ऐसी घटनाएं होना यह दिखा रहा कि महुआ बार-बार ममता के विरुद्ध जा रही हैं ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब महुआ को टीएमसी के सीट से चुनाव ही न लड़ने दिया जाए। मूलतः तृणमूल कांग्रेस के अंदर ममता का वर्चस्व है और बंगाल की धरती पर उनका एक बड़ा वोट बैंक है। दूसरी तरफ महुआ वामपंथियों की तरह बड़ी-बड़ी बातें करने की क्षमता भले ही रखती हो लेकिन सत्य तो यह है कि वह कोई लोकप्रिय नेता नहीं हैं, न ही उनका कोई जनाधार है, वामपंथियों की ओर झुकाव होने के कारण यह हो सकता है कि टीएमसी उन्हें अपना टिकट ही न दे। जनाधार न होने के कारण महुआ न तो बंगाल में निर्दलीय जीत सकती हैं और न ही किसी अन्य पार्टी से उसकी विचारधारा मिलती है। फिर न तो वो संसद रह जाएंगी और न ही विधायक, ऐसे में बेरोज़गारी के बाद महुआ, स्वरा भास्कर जैसे एलीट बेरोज़गार वामपंथियों की लीग में शामिल हो जाएंगी।
2014 में केंद्र में मोदी सरकार आयी तब से ही स्वरा भास्कर बेरोज़गार हो गयी और अपना मुख्य पेशा छोड़कर घर चलाने के लिए वामपंथी ऐक्टिविस्ट बनकर ऊल-जलूल बाते करने लग गयीं। कुछ इसी तरह यदि महुआ भी टीएमसी से निकाल गयी तो वह भी वामपंथी लीग में शामिल होकर ऊल-जलूल बातें किया करेंगी। किंतु स्वरा या महुआ में से ज़्यादा नीचे कौन गिरेगा यह देखना बहुत रोचक होगा।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।