आधुनिक समस्याओं के लिए आवश्यक है ‘योगी समाधान’, अब होगा वक्फ संपत्तियों का पूरा हिसाब

मदरसों के बाद अब यूपी वक्फ बोर्ड की है बारी

यूपी वक्फ बोर्ड

खेल समझ लिया है इस देश के कानून को, यहां की व्यवस्था को। कुछ तत्वों का बस चले तो जिस प्रकार किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में एक रूमाल रखकर जगह घेर लेते हैं उसी प्रकार ये लोग जमीनों पर रूमाल रखकर अपना दावा ठोकना शुरू कर दें। यूं तो अभी भी इसी रूमाल रखने वाली प्रक्रिया के तहत बहुत कुछ होता जान पड़ता है। जहां कांग्रेस की सरकारों ने गुलामी के प्रतीकों के रूप में वक्फ अधिनियम 1995 दे दिया जिसका उपयोग करते हुए कितनी संपत्तियों को उनके असल मालिकों की नाक के नीचे से अपना बना लिया और असल मालिक को कभी पता ही नहीं चला कि उनकी संपत्ति उनकी नहीं बल्कि वक्फ वाले चच्चा की हो गयी है। अब इस दावे के खेल में जहां योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में पहले राज्यभर में सभी अवैध रूप से संचालित होने वाले मदरसों के सर्वेक्षण का काम शुरू किया हुआ है, उसी बीच अब योगी सरकार ने वक्फ की संपत्तियों के सर्वेक्षण का आदेश दे दिया है।

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अब यूपी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का भी होगा सर्वे

दरअसल, मदरसों के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब यूपी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का भी सर्वे करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महीने के भीतर सर्वे को पूरा कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए। इतना ही नहीं, राज्य भर के 75 जिलों की सारी जमीन वक्फ के नाम पर अभिलेखों में दर्ज हों। यह आदेश तब आया जब यूपी वक्फ बोर्ड ने एक अजीबोगरीब दावा ठोक दिया। वक्फ अधिनियम 1995 की आड़ में सबकुछ अपना ही है वाली सोच के साथ यूपी वक्फ बोर्ड का दावा है कि प्रयागराज स्थित शहीद चंद्रशेखर आजाद को समर्पित पार्क, उनकी संपत्ति है और यहां मस्जिद और मजार का स्थान है।

बस यह तो आदतन है, जो नहीं है वो भी अपना और जो है सो तो है ही अपना। इसी अति के अंत के लिए सीएम ऑफ़ उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ ने त्वरित आदेश जारी किया और अवैध मदरसों के सर्वेक्षण की तर्ज़ पर वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के सर्वेक्षण का भी निर्णय हाथों- हाथ लिया। कितनी विडंबना की बात है कि एक अधिनियम ने इतनी शक्ति दे दी कि ये लोग इंसान को इंसान नहीं समझ रहे। किसी भी जगह पर ऐसे दावा ठोक रहे हैं जैसे इन्हीं की बपौती है पूरा देश और सब तो यहां बंधुआ मज़दूर हैं को घास काटने आए हैं बस। यह तब है जब शहीद चंद्रशेखर आजाद को समर्पित स्थान जहां पूर्व में अवैध कब्ज़ों और मज़ारों को पहले भी हटाया गया है, उसके बावजूद दावा ठोकने वाले ने उतने अवैध कब्ज़ों पर ही नहीं बल्कि पूरे पार्क पर ही दावा ठोक दिया है।

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चंद्रशेखर आजाद पार्क को लेकर हाईकोर्ट का निर्णय

ज्ञात हो कि पिछले वर्ष अक्टूबर में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रयागराज में चंद्रशेखर आजाद पार्क के अंदर अवैध रूप से निर्मित मस्जिद और एक मजार को तत्काल हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में जितेंद्र सिंह नाम के एक याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि पार्क सभी अतिक्रमणों से मुक्त हो।” याचिकाकर्ता ने कहा कि इस पार्क का अस्तित्व खतरे में है क्योंकि मुस्लिम समुदाय के कुछ सदस्यों ने अवैध रूप से कब्रों का निर्माण किया था और एक संरचना को मस्जिद में बदलने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आरोपी पार्क को कब्रिस्तान और मस्जिद में बदलना चाहते थे।

इस पर सुनवाई हुई और आदेश पारित करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि 1975 के बाद बने इस ऐतिहासिक पार्क पर सभी अवैध अतिक्रमणों को दो दिनों के भीतर हटाया जाए। बाद में प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने चंद्रशेखर आजाद पार्क से सभी अवैध कब्ज़े और कब्रें गिरा दीं। इस पार्क की कितनी महत्ता है उसका अनुमान इस बात से ही लगाया जा सकता है कि स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद ने 27 फरवरी 1931 को उक्त पार्क में देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी और तब उनकी आयु मात्र 24 वर्ष की थी।

अब जब ऐसी आधारहीन मांगें और दावे होने लगे जिनका वास्तविक जीवन में कोई सरोकार ही न हो। ऐसी तर्कहीन बातों के लिए क्यों ही न्यायालय अपना समय व्यर्थ करेगा और क्यों ही सरकार अपने संसाधन ज़ाया करेगी। इसी परिप्रेक्ष्य में सरकार ने समय व्यर्थ न करते हुए, एक बार में ही सारा काम ख़त्म करने का निर्णय लिया है और ऐसे अनर्गल दावों से एक बार में छूटकारा पाने के लिए सर्वेक्षण का रास्ता निकाला है। अब जब सर्वेक्षण होगा तो वक्फ को अपनी एक-एक संपत्ति, राज्य के एक-एक ज़िले में बतानी होगी और उससे यह तय होगा कि कितनी संपत्ति वक्फ के नाम है, कितनी संपत्ति बेनामी है और कितनी संपत्ति केवल दावों तक सीमित है। शेष, सारगर्भित बात यह है कि वक्फों पर नकेल कसने और झूठ से पार पाने के लिए आधुनिक समस्याओं के लिए योगी समाधान का उपाय बाहर आया है और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण है।

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