जब सोचो कि भारतीय मीडिया इससे नीचे नहीं गिर सकती तो मानो वह उसे चुनौती के तौर पर लेती है कि तुमने सोच कैसे लिया, अभी तो हमें और बेइज्जत होना है! अब टी20 विश्वकप की टीम को ही देख लीजिए, ले देकर सार्वजनिक बेइज्जती कराने के लिए फिर से टीम का ऐलान हुआ, क्षमा कीजिएगा, भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए टीम का ऐलान हुआ और पूरा भारत इसका जोड़ तोड़ करने में लग गया! अब ऐसे में कुछ लोगों को टीम के चुने हुए खिलाड़ी अच्छे लगे, कुछ को नहीं लगे परंतु टाइम्स ग्रुप के नवभारत टाइम्स को लगता है कि मोहम्मद शमी जैसे लोगों को इसलिए नहीं चुना गया क्योंकि वह मुसलमान हैं! इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे टाइम्स ग्रुप अपनी कवरेज के पीछे इतना सठिया गया है कि वह कुछ भी कवर करने को तैयार है!
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दरअसल, हाल में टी20 विश्व कप के लिए टीम इंडिया की घोषणा हुई। जिसमें कप्तान होंगे रोहित शर्मा, उपकप्तान होंगे के एल राहल और साथ होंगे ऋषभ पंत, विराट कोहली, अर्शदीप सिंह जैसे खिलाड़ी। कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें प्रारंभिक टीम में नहीं चुना गया है परंतु उन्हें आपातकालीन स्थिति में उपलब्ध रहने को कहा गया है और इन्हीं में से एक है मोहम्मद शमी।
मोहम्मद शमी का रिकॉर्ड टी20 में उतना बढ़िया नहीं रहा है लेकिन नवभारत टाइम्स को इन सबसे क्या? वह तो अपने अलग ही लोक में है भैया। एक कांग्रेस नेता से बातचीत करते हुए उन्होंने यह दिखाने का प्रयास किया कि कहीं मोहम्मद शमी को बाहर निकालने के पीछे उनका धर्म तो आड़े नहीं आ रहा? नवभारत टाइम्स अपनी इस घटिया के कृत्य के कारण जनता के लपेटे में है। इस तर्क पर देखा जाए तो उस कारण से फिर संजू सैमसन (ईसाई), शार्दुल ठाकुर और रवीन्द्र जडेजा (क्षत्रिय) भी हैं जिनका टीम में सेलेक्शन नहीं हुआ है। क्या मोहम्मद शमी निकृष्ट खिलाड़ी हैं? नहीं। वो इस समय फ़ॉर्म में नहीं है और टी20 में जमकर रन लुटाते हैं। अब वह और कारण है कि ऋषभ पंत और के एल राहुल जैसे नमूने अब भी टीम में विद्यमान हैं और मोहम्मद शमी बाहर हैं!
परंतु आपको क्या लगता है, यह कोई नयी बात है? ये टाइम्स मीडिया है, जिनके लिए ऐसी ओछी रिपोर्टिंग करना बाएं हाथ का खेल है। इनकी बॉलीवुड रिपोर्टिंग की तो बात ही छोड़िए। सनातन धर्म को लेकर इन्होंने जिस प्रकार अपनी घृणा और कुंठा दिखाई है, उसे देख तो आप अपना माथा शर्म से पीट लेंगे। उदाहरण के लिए कोविड के द्वितीय लहर के पश्चात इनकी कोई भी रिपोर्ट उठाकर देख लीजिए। आपको पता चल जाएगा कि टाइम्स ग्रुप वास्तव में चाहता क्या है।
इनके लिए नोट छापना, वास्तविक खबर से अधिक महत्वपूर्ण है और इस कारण से ये कोविड के लिए कुम्भ मेले को दोषी ठहराने से लेकर वैक्सीन पर रायता फैलाने तक, हर दूसरी घटना के लिए हिन्दुओं को दोषी बताने के लिए लालायित रहने और यहां तक कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की छवि को गलत तरह से चित्रित कर शिवलिंग का अपमान करने तक, इन्होंने सदैव सिद्ध किया है कि सनातन धर्म का सम्मान इनकी प्राथमिकता थी ही नहीं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि मोहम्मद शमी पर नवभारत टाइम्स की कुत्सित रिपोर्ट इस बात का परिचायक है कि आखिर क्यों एजेंडा इनका परम धर्म है, चाहे इसके लिए इन्हें अपने घर बार की लंका ही क्यों न लगानी पड़े!
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