स्मार्टफोन नहीं तो एक्स-रे नहीं: दिल्ली के बाद अब पंजाब के सरकारी अस्पताल ‘बीमार’

अब केजरीवाल-मान की जोड़ी गुजरात के अस्पतालों को भी बर्बाद करना चाहती है!

स्मार्टफोन एक्स-रे

अरविंद केजरीवाल ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि हम किसी भी आइडियोलॉजी पर काम नहीं करते हैं, हमारा कोई भी मॉडल जनता का मॉडल है। उन्होंने आगे कहा था कि अगर मेरे पास कोई आदमी किसी तरह की समस्या लेकर आता है तो मैं यह देखता हूं कि जनता का फायदा कैसे होगा। अपने कई इंटरव्यू और भाषणों में केवल जनता के भले की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल क्या वास्तव में जनता के बारें में सोचते हैं?  स्पष्ट उत्तर निकाल पाना थोड़ा मुश्किल होगा। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली और पंजाब की जनता को केवल एक ही ‘प्रक्षेपण’ से लुभाया है और अब यह पार्टी गुजरात में भी अपना पंचम लहराने के सपने देख रही है। हालांकि, उनके सत्ता में चुने जाने की संभावना न के बराबर है। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं ये बात आपको आगे पता चल जाएगी।

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एक नया नियम लागू हुआ

आप शासित पंजाब के एक सरकारी अस्पताल में जनता के लिए एक नया ही नियम लागू कर दिया गया है, जिसके तहत जिनके पास अच्छा कैमरा यानी की स्मार्टफोन है केवल वही एक्स-रे की सुविधा ले सकता है। पटियाला शहर के जिला स्तरीय सुविधा केंद्र के सरकारी माता कौशल्या अस्पताल में रोगियों को अपने डॉक्टर के द्वारा चिकित्सकीय जांच के लिए अपने स्मार्टफोन पर ही एक्स-रे स्कैन की तस्वीरें लेने का निर्देश दिया गया है।

द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब भी जिला अस्पताल में एक्स-रे रील्स खत्म हो जाती हैं तो कर्मचारी इस बात का ऐलान कर देते है: “केवल जिनके पास स्मार्टफोन मौजूद हैं, उन्हें ही एक्स-रे के लिए आना चाहिए।” इस तरह के अजीबोगरीब नियमों की वजह से कई लोग स्वास्थ्य सेवा से वंचित रह जा रहे हैं। एक्स-रे का उपयोग किसी भी गैर-अपघर्षक इमेजिंग परीक्षण के लिए किया जाता है, इसका उपयोग डॉक्टरों के द्वारा शरीर के अंदर देखने के लिए होता है।

राज्य स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले के सरकारी माता कौशल्या अस्पताल के कर्मचारियों का इस पर कहना है कि ऐसा निर्णय इसीलिए लिया गया है जिससे मरीजों को डॉक्टर के सामने दिखाने के लिए उनके स्मार्टफोन में ही एक्स-रे की तस्वीर प्राप्त हो सके।

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फोन पर रिपोर्ट की जांच

अधीक्षक डॉ संदीप कौर (सरकारी माता कौशल्या अस्पताल की डॉक्टर) ने द ट्रिब्यून से कहा कि “इससे पैसे की बहुत अधिक बचत होती है। साथ ही अगर किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है, तो हमारे एक्स-रे विभाग के कर्मचारी सीधे ही डॉक्टर को इससे संबंधित शॉट्स भेज देते हैं।”

हालांकि अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ने इस तरह से फोन पर रिपोर्ट की जांच करने को काफी गलत बताते हुए ये कहा कि, “ मरीज़ का एक्स-रे स्मार्टफोन पर सही तरीके से दिखायी नहीं देता है और हमें अक्सर ही रोगियों की बीमारियों की सही जांच करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।” इस वजह से अधिकांश जरूरतमंद मरीज इस सुविधा से वंचित रह जाते हैं क्योंकि उनके पास स्मार्टफोन मौजूद नहीं है।

उदहारण के रूप में देखें तो मजदूर फुलजारिया देवी (53) के पास एक नार्मल कीपैड फोन था। जब वह जांच के लिए गयी तो उसने कहा कि “मेरा बेटा फोकल प्वाइंट के पास कार्यरत है। उसके पास स्मार्टफोन है। अब मुझे अपने बेटे का एक्स-रे करवाना होगा।” इलाज के लिए अस्पताल पहुंची दिहाड़ी मजदूर मंजीत कौर के पास स्मार्टफोन नहीं था। उन्होंने कई लोगों से मदद की भीख मांगी लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की।

गौर करने की बात तो ये है कि स्वास्थ्य मंत्री ने अभी कुछ दिन पहले ही अस्पताल का दौरा किया था। जिला स्तरीय अस्पताल की यह भयावह स्थिति स्वास्थ्य मंत्री के गृहनगर में है, तो वहीं अन्य दूसरे जिलों में स्वास्थ्य के प्रबंधन की स्थिति क्या होगी ये आप खुद ही सोच सकते हैं। दूसरे गांव में इससे अच्छी स्थिति की तो कामना भी नहीं की जा सकती है।

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स्वास्थ्य मॉडल विफल रहा

अरविंद केजरीवाल ने जो वादा किया था उस वादे का वास्तविक रूप दूर-दूर तक कहीं भी दिखायी नहीं दे रहा है। दिल्ली पर आधारित उनका ये स्वास्थ्य मॉडल एक विफलता ही साबित हुई है। केजरीवाल सरकार के द्वारा शासन के मॉड्यूल को बहुत अधिक तीव्र गति से बदल दिया। उन्होंने सबसे ज्यादा पैसा जिन क्षेत्रों में लगाया, वो हैं स्वास्थ्य और शिक्षा।

बीते कई सालों से केजरीवाल और उनकी पार्टी के सहयोगी नये स्कूलों और अस्पतालों के निर्माण करने के वादे कर रहे हैं लेकिन ऐसा कुछ भी होता नहीं दिख रहा है। अक्टूबर 2021 से 6 माह के अंदर केजरीवाल ने 7 अस्पताल बनने का ऐलान किया था। एक आरटीआई जवाब से इस बात की जानकारी मिली है कि इस अवधि के दौरान सरकार के द्वारा ‘जीरो’ अस्पतालों का निर्माण किया गया है।

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स्वास्थ्य व्यवस्था में गड़बड़ी

दिल्ली में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का सुचारू रूप से नहीं चल पाने का जिम्मेदार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कथित मॉडल ही है। प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने इस पर कहा कि दिल्ली की जनता यह बात अच्छी तरह से जानती है कि बीते दिनों केजरीवाल मॉडल के कारण दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है। वॉर्ड स्तर पर दिल्ली सरकार को कोविड केयर सेंटर बनाने की बहुत अधिक आवश्यकता थी लेकिन वह इसमें बिलकुल भी सफल नहीं हो पायी। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था अब कुछ हद तक ठीक होने लगी है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष कि माने तो भारतीय जनता पार्टी के सभी कार्यकर्ता निचले स्तर पर काम कर रहे हैं, वहीं आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता न जाने कहां लुप्त हैं। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव के समय अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से लाखों वादे किए थे लेकिन संकट की घड़ी में अरविंद केजरीवाल बस तमाशा देखते रहे।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री चेतन सिंह जोरमाजरा के द्वारा दिए गए निर्देशों पर पंजाब सरकार ने पटियाला के माता कौशल्या सरकारी अस्पताल में टोकन सिस्टम शुरू कर दिया है ताकि मरीजों को लाइन में न लगना पड़े।

इस साल के अंत में गुजरात विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। अरविंद केजरीवाल ने इस पर अपना बड़ा दावा करते हुए ट्वीट कर कहा कि जल्द ही बीजेपी गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को हटाने वाली है। सीएम केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा, “गुजरात में भाजपा, आम आदमी पार्टी से बहुत बुरी तरह से डरी हुई है।”

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इन सभी बातों को मद्देनज़र रखते हुए अगर हम ये कहें कि अरविंद केजरीवाल अगर कुछ जानते हैं तो वो है ‘खोखले वादे’ करना, जहां वह वोटों के बदले में मुफ्त का शिगूफा पेश करते हैं। इससे जनता तो भ्रमित होती ही है साथ ही सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचता है। दिल्ली और पंजाब में अपने खोखले वादे की झड़ी लगाकर अभी केजरीवाल का दिल नहीं भरा है तो अब वह गुजरात को भी अपने निशाने पर लेने की चाह रखते हैं। हालांकि गुजरात की जनता बहुत बुद्धिमान है वो केजरीवाल के चमकीले और खोखले वादों के चक्कर में नहीं आएगी।

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