जो बाइडेन के सौजन्य से अमेरिकी F-16 पर पाकिस्तान का हाथ और मजबूत होगा

अमेरिका क्यों नहीं समझता कि पाकिस्तान 'आंतक परास्त' नहीं 'आतंक परस्त' होने में विश्वास रखता है

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वो बंदर के हाथ में चाकू देने वाली कहावत है न कि बंदर के हाथ में चाकू देना अर्थात अपनी ही मृत्यु को आमंत्रित करना। कुछ ऐसा ही अमेरिका ने अब किया है जहां उसने बंदर की प्रतिमूर्ति पाकिस्तान को वो राहत दे दी है जो पाकिस्तान के लिए उसी चाकू के समान है जिसको वो और किसी पर नहीं बल्कि भारत पर ही चलाता आया है। डोनल्ड ट्रंप द्वारा जारी किए गये पूर्ववर्ती फैसले को उलटते हुए जो बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान को 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर के F-16 लड़ाकू जेट बेड़े के रखरखाव कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। पाकिस्तान के परिप्रेक्ष्य में यह समझना बहुत सरल है कि इससे आने वाले समय में न केवल आतंकी तत्वों को पनाह मिलेगी बल्कि पाकिस्तान के पूर्ववर्ती कर्मों जिनमें आतंक पोषण और सीमा पर घुसपैठ शामिल थी इन सभी को बल मिलेगा।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे जो बाइडेन के सौजन्य से अमेरिकी F16 पर अब पाकिस्तान का हाथ होगा।

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अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने क्या निर्णय लिया?

अमेरिकी संसद को एक अधिसूचना दी गयी जिसमें वहां के विदेश मंत्रालय के द्वारा यह कहा गया कि पाकिस्तान को उसने एफ-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए संभावित विदेश सैन्य बिक्री यानी FMS को मंजूरी देने का फैसला किया है। इस फैसले को लेकर तर्क यह दिया गया कि यह इस्लामाबाद की मौजूदा क्षमता को बनाए रखेगा। अमेरिका ने दावा किया है कि इस सैन्‍य मदद से एफ-16 व‍िमान काम करते रहेंगे। इससे पाकिस्‍तान वर्तमान और भव‍िष्‍य में होने वाले आतंकवाद के खतरों से आसानी से निपट सकेगा।

अब इसे बालक बुद्धि का प्रत्यक्ष उदाहरण कहें या बाइडेन प्रशासन की भारत-रूस मैत्री के प्रति कुंठा। जिन आधारों के तहत पाकिस्तान को यह सहायता दी जा रही है असल में तो स्थिति इसके बिलकुल उलट है। जो पाकिस्तान हमेशा से ही आतंकवाद को पोषित करता रहा है। दाऊद इब्राहिम, मसूद अज़हर, हाफिज़ सईद जैसे कुख्यातों को जिसने शरण देने के साथ-साथ उनके नेतृत्व में चल रहे आतंकी उपक्रमों को शह दी, जब उसको यह कहकर अमेरिका जैसा राष्ट्र रक्षा क्षेत्र में सहायता देता है तो यह आतंक और आतंकियों से समझौता ही माना जाएगा।

ज्ञात हो कि एफ-16 की यह डील 2018 में ट्रम्प द्वारा पाकिस्तान को सभी रक्षा और सुरक्षा सहायता को रोकने की घोषणा करने के बाद पाकिस्तान को दी जाने वाली पहली बड़ी सुरक्षा सहायता है। बता दें कि वर्ष 2018 में यह आरोप लगाते हुए कि इस्लामाबाद आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई में भागीदार नहीं था, ट्रंप प्रशासन ने उस समय पाकिस्तान को सभी तरह के सैन्‍य मदद प्रदान करने पर रोक लगा दी थी। 2018 में आतंकवादी संगठनों अफगान तालिबान तथा हक्कानी नेटवर्क पर कार्रवाई करने में नाकाम रहने पर उसे दी जाने वाली करीब दो अरब डॉलर की वित्तीय सहायता निलंबित कर दी थी। इसको बहाल करते हुए बाइडेन प्रशासन ने पिछले चार वर्षों में इस्लामाबाद को दी जा रही यह सबसे बड़ी सुरक्षा सहायता प्रदान कर दी है।

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अमेरिका की यह पुरानी आदत है

यूं तो यह अमेरिकी चलन रहा है, यदि रूस भारत का रक्षा सूत्र रहा है तो अमेरिका ने सदा से ही पाकिस्तान की अंगुली थामे रखी है। फिर चाहे वो जॉर्ज बुश का समय रहा हो या बराक ओबामा का यह सभी पाकिस्तान के बारे में यह जानते हुए कि हकीकत में वह आंतक परास्त नहीं आतंक परस्त होने में अपनी भूमिका निभाता रहा है, उसे सुरक्षा से जुड़ी खेपें प्रदान करता रहा है। यह तो डोनल्ड ट्रंप का आक्रामक रुख था जो उनके शासन में पाकिस्तान को उसके असल रूप से अवगत करा एक बड़ी सहायता पर रोक लगा दी थी और जब तक सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ तब तक वो रोक जारी रही।

विडंबना है कि जो पाकिस्तान भूखा मरने की कगार पर है उसको सुधार की ओर ले जाने की पहल करने की जगह उसे और हथियार के साथ ही सुरक्षा बेड़ा मजबूत करने में अमेरिका सहयोग कर रहा है। वो भी ऐसे तर्क देकर जिस पर कोई भी विश्वास करने को तैयार ही नहीं है। वहीं पेंटागन जो अमेरिका के प्रतिरक्षा विभाग का मुख्यालय है उसने इस निर्णय पर ज्ञान बिखेरते हुए कहा है कि यह सहायता संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करती है। इस मदद से पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी प्रयासों के खिलाफ अभियान चलाने में और भविष्य के आकस्मिक अभियानों की तैयारी में अंतर-संचालन बनाए रखने की अनुमति मिलेगी। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान को यह मदद इसलिए दी जा रही है ताकि वो वर्तमान और भविष्य में आतंकवाद रोधी खतरों का मजबूती से सामना कर सके।

पाकिस्तान कितना बड़ा आतंक और आतंकवादी रोधी सहयोगी है वो जगजाहिर है। अब तो अमेरिका ने एक और बगावत को आमंत्रण दिया है जिसके बाद जिस प्रकार वो भारत से सामरिक संबंधों की उम्मीद कर रहा है वो उम्मीद मुश्किल में आती जाएगी। ऐसा कुछ करना जिससे भारत को खतरा हो उस परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तान की मदद करना अमेरिका के लिए मुश्किल का सबब बनेगा।

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चूंकि इन सैन्‍य उपकरणों की मदद से जो अब अमेरिका ने पाकिस्तान को प्रदान करने की घोषणा की है उनमें सबसे प्रमुख यह घातक एफ-16 फाइटर जेट है जो अब पाकिस्‍तान की हवा में उड़ान भरते रहेंगे और जिस दिन पाकिस्तान ने यह नीति बनायी कि इससे भारत पर हमला किया जाए उस समय इसके साथ पाक जोरदार हमला भी कर सकता है। ज्ञात हो कि एफ-16 फाइटर जेट की मदद से ही पाकिस्‍तान ने भारत के मिग-21 व‍िमान को मार गिराया था जिसमें कैप्टन अभिनंदन सवार थे। अब सवाल यह है कि अमेरिका ने ही कसम खा ली है कि भारत पर आक्रामक होने पर वो पाकिस्तान को शह दे रहा है वरना ऐसी सहायता करने से पूर्व  बाइडेन प्रशासन सोचता ज़रूर।

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