केसीआर और नीतीश कुमार एक दूसरे का माथा फोड़ने पर तुले हैं और इनको पीएम बनना है

नीतीश कुमार और केसीआर स्वयं को मान रहे हैं ‘स्वप्नघोषित पीएम मैटेरियल’

क्या ही नेता बनेगा रे तू? क्या ही पीएम बनेगा तू। जब गांव में पड़ी मरी, सबको अपनी-अपनी पड़ी अर्थात जब एक समूह गोते खाने लगा तो उसको उस समूह की नहीं बल्कि अपनी चिंता पहले हुई। कुछ ऐसा ही हाल इस समय अपने-अपने स्वप्नों में स्वप्नघोषित पीएम मटेरियल तेलंगाना से केसीआर और बिहार से नीतीश कुमार का हो गया है। यह दोनों स्वयं को भाजपा मुक्त भारत के नारे का ध्वजवाहक मानते हैं, दोनों का लक्ष्य है कि भाजपा विरोधी खेमा तैयार किया जाए और आगामी 2024 में चुनाव की दशा और दिशा दोनों परिवर्तित की जाए। लेकिन वास्तव में यह दोनों ही एक दूसरे की जड़ें काटने वाले हैं इसको तय ही मानिए।

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इस भ्रमण का विपक्षी एकता से कोई लेना-देना नहीं हैं

दरअसल, विपक्षी एकजुटता का पैगाम लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव देशभर में भ्रमण कर रहे हैं। इसी क्रम में केसीआर बिहार पहुंचे थे। चूंकि अब एनडीए गठबंधन की सरकार नहीं है तो केसीआर के लिए यह सोने पे सुहागा वाला अवसर था। यह तो सब जानते हैं कि इस भ्रमण का विपक्षी एकता से कोई लेना-देना नहीं हैं, बल्कि केसीआर की स्वार्थ निहित अवसरवादी राजनीति है जिसको भुनाने के लिए वो विपक्षी एकता का झंडा बुलंद कर रहे हैं ताकि आगामी भविष्य में वो पीएम पद के लिए विपक्षी चेहरा बन सकें लेकिन यह बात भी राजनीतिक गलियारे में जगजाहिर है कि स्वयं नीतीश कुमार भी पीएम बनना चाहते हैं। ऐसे में जब केसीआर बिहार पहुंचे तो यह जंग भी सरेआम हो गयी कि कौन आगे किसकी और कितनी सुनेगा।

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बता दें कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रही है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का बार-बार अपने बिहार सीएम नीतीश कुमार से ‘कृपया बैठ जाओ, कृपया बैठ जाओ’ और मीडिया के सवालों का जवाब देने के लिए कहने का वीडियो अब वायरल हो रहा है।

केसीआर ने बुधवार को बिहार की राजधानी पटना का दौरा किया, जहां उन्होंने राज्य के शीर्ष राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की और ‘भाजपा मुक्त भारत’ का आह्वान भी किया। जो वीडियो वायरल हुआ है वह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का है जिसे उन्होंने नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव के साथ संबोधित किया था। इसी बीच जब नीतीश कुमार और चंद्रशेखर राव प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे तभी एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि अगर कोई फ्रंट बनता है तो उसका नेतृत्व क्या नीतीश कुमार कर सकते हैं। यह सवाल सुनते ही नीतीश कुमार खड़े हो गए और सकपका कर जाने लगे।  इस पर केसीआर ने नीतीश कुमार का हाथ पकड़ कर कहा कि बैठिए। लेकिन नीतीश नहीं बैठे, कहने लगे 50 मिनट हो गए हैं। हालांकि, बहुत आग्रह के बाद नीतीश कुमार बैठ गए लेकिन उनकी चेहरे की हंसी नहीं रुक रही थी। यह चलिए-बैठ जाइए का राग पूरी प्रेस कांफ्रेंस का सार बन गया और फिर शुरू हुई फजीहत।

यह फजीहत इस बल पर शुरू हुई कि जो अभी भाजपा विरोधी कुनबा तैयार करने में लगे हैं वो अपने ही साथियों को गंभीरता से नहीं ले रहे है, न ही एक दूसरे की बात सुन रहे हैं। ऐसे में यह लोग कल को कैसे एक मजबूत गठजोड़ बना पायेंगे यह प्रश्न सोशल मीडिया पर पूछा जाने लगा है। जहां इतने प्रश्न पूछे जा रहे हैं, ऐसे में इस गठजोड़ के अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगे हैं तो आगामी भविष्य में यह कितना टिक पाएगा यह संशय लगातार बना हुआ है।

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सियासी बिसात बिछाने के लिए निकले पड़े हैं केसीआर

वहीं जिस भ्रमण पर केसीआर अपनी सियासी बिसात बिछाने के लिए निकले पड़े हैं, वो भ्रमण कितना सफल होने वाला है अब उसपर भी प्रश्न उठने लगने लगे हैं। बता दें कि केसीआर के भ्रमण की श्रृंखला में दिसंबर 2021 से शुरू हुई जहां 15 दिसंबर, 2021 को केसीआर ने चेन्नई में तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन से मुलाकात की। इसके बाद 9 जनवरी, 2022 को केसीआर ने हैदराबाद में सीपीआई (एम) और सीपीआई के वरिष्ठ नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें कीं।

वहीं 12 जनवरी, 2022 को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और वर्तमान में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हैदराबाद के प्रगति भवन में केसीआर से मुलाकात की थी। अगला पड़ाव था, महाराष्ट्र। 20 फरवरी, 2022 को केसीआर ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। उसी माह केसीआर, 20 फरवरी, 2022 को एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से भी मिले।

इसके बाद केसीआर 4 मार्च, 2022 को रांची पहुंचे और यहां उन्होंने सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन से मुलाकात की। मई आते-आते केसीआर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और “आप” के संयोजक अरविंद केजरीवाल से आवास पर मुलाकात की और मौजूदा राजनीतिक और संघीय मुद्दों सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।

मई के अंत में 26 मई, 2022 को केसीआर ने जेडीएस सुप्रीमो एच डी देवेगौड़ा से बेंगलुरु में उनके आवास पर मुलाकात की और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। गौड़ा के पद्मनाभनगर स्थित आवास पर बैठक के दौरान गौड़ा के बेटे और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी और पोते निखिल कुमारस्वामी भी मौजूद थे।

इसके बाद 29 जुलाई, 2022 को केसीआर ने 2024 के आम चुनावों से पहले गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेसी दलों को एकजुट करने के अपने प्रयासों के तहत समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की।

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इस पूरे मिलने मिलाने के प्रकरण में केसीआर का एक ही लक्ष्य था कि किसी भी तरह उन्हें इन सभी पार्टियों की स्वीकृति मिले और अंततः वो एकमात्र विपक्षी चेहरा बनकर सामने आयें। लेकिन केसीआर यह भूल गए कि जो प्रपंच वो रचना चाह रहे हैं, केजरीवाल, अखिलेश यादव, देवेगौड़ा नीतीश कुमार सभी उसी कतार में हैं। ऐसे में बिहार में बुधवार को जो कुछ भी हुआ जिसमें “चलिए और बैठ जाइए” का रिपीट टेलीकास्ट हो रहा था उससे यह तो तय है कि न ही विपक्षी एकता पर आज सहमति बन रही है और न ही आगे बन पाएगी क्योंकि उसके लिए हिम्मत चाहिए होती है, त्याग करना होता है जो यहां एक नेता में नहीं है।

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