झुकती है दुनिया… झुकाने वाला चाहिए। यह शब्द वैसे तो सुनने में साधारण से लगते हैं किंतु यदि वैश्विक कूटनीति को लेकर भारत का रुख देखें तो यह कहा जा सकता है कि भारत ने स्वयं को आर्थिक से लेकर तकनीक के क्षेत्र में इस तरह स्वयं को मजबूत किया है कि अब उसे एक बड़ी वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है। एक तरफ जहां दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध की त्रासदी झेल रही है तो वहीं भारत इस मुश्किल वक्त में भी पूरी ताकत के साथ खड़ा है। यही कारण है कि अब पोलैंड यह कहने लगा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए भारत हस्तक्षेप करे।
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भारत ने अपने रुख से दुनिया की सोच बदली
वैश्विक राजनीति में एक समय भारत को दरकिनार करके देखा जाता था। दुनिया के कथित शक्तिशाली देशों का मानना था कि भारत अपनी स्वतंत्र वैश्विक कूटनीति बनाने में सक्षम नहीं है क्योंकि उसके पास जरूरी संसाधनों की भारी कमी है। वहीं रूस यूक्रेन युद्ध के मामले में भारत ने अपने रुख से दुनिया की सोच ही बदल दी। इसका नतीजा यह है कि भारत को अब एक मुख्य वैश्विक महाशक्ति के रूप में देखा जा रहा है जो कि रूस-यूक्रेन युद्ध तक को रोक सकती है।
दरअसल, भारत में मौजूद पोलैंड के राजदूत एडम बुराकोव्स्की ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि भारत एक शांतिपूर्ण देश है, यह वैश्विक व्यवस्था में एक स्थिर भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि 6 महीने पहले रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया और कई अपराध किए। रूस इस युद्ध को जारी रख रहा है जो न केवल यूक्रेन की स्वतंत्रता के लिए बल्कि वैश्विक व्यवस्था के लिए और अन्य क्षेत्रों में अस्थिरता के लिए भी एक बड़ा खतरा है। इसके साथ ही एडम ने यह उम्मीद जतायी है कि भारत जैसा देश युद्ध को खत्म कर सकता है।
पोलैंड के राजदूत ने बड़ा बयान दिया है क्योंकि भारत ने रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान पहले यूक्रेन में फंसे अपने छात्रों को ऑपरेशन गंगा की मदद से बाहर निकाला और फिर इस मामले में अपना तटस्थ रुख रखा जिससे कई वैश्विक ताक़तें खफा भी थीं लेकिन भारत अपने पक्ष से नहीं डिगा। भारत ने रूस से अपनी मित्रता जाहिर करते हुए एक बार भी रूस के खिलाफ बयान नहीं दिया। इसकी वजह यह भी है कि यूक्रेन ने अमेरिका के भरोसे युद्ध छेड़ा था जो कि हमेशा से ही रूस को बर्बाद करने की कोशिश करता रहा है।
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अमेरिका के प्रतिबंधों का भारत पर कोई असर नहीं
अमेरिका ने रूस पर अनेक प्रतिबंध लगाए लेकिन इस मामले में भारत ने रूस का साथ नहीं छोड़ा और एक सच्चे मित्र की भांति खड़ा रहा। इससे द्विपक्षीय कूटनीतिक लिहाज से भारत की छवि वैश्विक पटल पर बेहद मजबूत हुई है। इसी का नतीजा है कि अमेरिका तक यह बोलने लगा कि रूस के खिलाफ भारत का न बोलना आश्चर्यजनक है। अमेरिका भी यह स्वीकार रहा है कि भारत और रूस के निजी रिश्ते मजबूत हैं। कल्पना कीजिए रूस से यही मित्रता कोई अन्य देश निभा रहा होता तो उस पर अनेकों प्रतिबंध लग जाते लेकिन अमेरिका भारत के खिलाफ ऐसा कुछ भी नहीं कर सका है जो कि भारत की वैश्विक ताकत को दर्शाता है।
अमेरिका ने रूस पर अनेकों प्रतिबंध लगाए और यह ऐलान भी किया कि अगर किसी देश ने रूस से व्यापारिक रिश्ते रखे तो वह उस राष्ट्र पर CAATSA लगाएगा। भारत ने इन अमेरिकी प्रतिबंधों को ही धता बता दिया और रूस से सस्ती कीमत पर कच्चा तेल खरीदने लगा। पश्चिमी देशों ने भारत के इस रूख पर आरोप लगाया कि भारत आर्थिक रूप से रूस को युद्ध के लिए मदद कर रहा है इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट बयान दिया कि भारत की आर्थिक कूटनीति इस बात पर तय होगी कि कहां भारतीयों को सस्ते दामों में बेहतरीन चीज उपलब्ध हो।
वहीं पश्चिमी देशों और यूरोप द्वारा रूस से गैस सप्लाई जारी रखने पर भी भारत ने स्पष्ट कहा कि गैस सप्लाई और कच्चे तेल की खरीद पर दुनिया अलग-अलग यानी दोहरे मापदंड नहीं स्थापित कर सकती। देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करने से लेकर वैश्विक पटल पर अपनी कूटनीति का भारत ने लोहा मनवाया है। इसी का नतीजा है कि आज पोलैंड जैसा देश यह मांग कर रहा है कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध में हस्तक्षेप करे जिससे यह युद्ध जल्दी खत्म हो।
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