प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शी जिनपिंग को ऐसे इग्नोर किया मानो वो वहां हो ही नहीं

13 सेकंड के वीडियो का 900 शब्दों में विश्लेषण!

Prime Minister Modi avoided Jinping as if he was not even there

Source: Sidhant Sibal Twitter

चाहे पथ में शूल बिछाओ

चाहे ज्वालामुखी बसाओ,

किंतु मुझे जब जाना ही है

तलवारों की धारों पर भी,

हँस कर पैर बढ़ा लूँगा मैं!

हार न अपनी मानूंगा मैं!

 

गोपालदास नीरज की यह कविता मैंने आपको एक उद्देश्य के साथ सुनाई है. एक राष्ट्र के तौर पर हम यानी भारत के लोग एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं. इस बदलाव की बहुत-सी तस्वीरें हम आपके लिए लाते रहते हैं लेकिन कई बार कुछ तस्वीरें अलग-अलग वक्त पर आती हैं- जिनको समायोजित करके समझना बहुत आवश्यक होता है. एक नागरिक के तौर पर, एक मतदाता के तौर पर आपको यह समझना चाहिए कि किस तरह से भारत विश्व में अपने हितों को लेकर आगे बढ़ रहा है.

बनारस से समरकंद

हिंदी के लेखकों ने बनारस पर ख़ूब लिखा है. उनके उपन्यासों में बहुत कुछ है बस बनारस नहीं है. अंग्रेजी के लेखकों ने भी कोशिश की है लेकिन यकीन कीजिए उनके उपन्यास अस्सी घाट से शुरु होकर, मर्णिकर्णिका घाट तक आते-आते दम तोड़ देते हैं. बनारस पर लिखने के लिए इतना कुछ है कि जीवन भर लिखते रहो- और अगर कहना चाहो तो दो वाक्यों में कह दो- बनारस ‘इग्नोरम् परम् सुखम्’ और ‘हम ही हम हैं गुरु, और दुनिया में कोई है ही नहीं’ इन दो दर्शनों पर चलता है. तो इसी बनारस के सांसद और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्बेकिस्तान के समरकंद से वापस लौट आए हैं.

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SCO सम्मेलन ख़त्म हो गया है लेकिन इस सम्मेलन से भारत ने जो कूटनीतिक संदेश वैश्विक बिरादरी और चीन को दिया है- वो वर्षों तक याद रखा जाएगा. पूर्वी लद्दाख के गलवान में 15 जून, 2020 को जो कुछ हुआ उसके बाद भारत ने चीन को प्रत्येक कदम पर सख्त संदेश दिया है. पूर्वी लद्दाख में सेना की तैनाती की बात हो- राजनीतिक तौर पर कड़ा संदेश देने की बात हो- वैश्विक मंचों पर चीन के विस्तारवाद को रेखांकित करने की बात हो- भारत ने चीन की आंखों में आंखे डालकर बात की और उसे बता दिया कि भारत ना झुकेगा और ना डरेगा. अपने हक़ के लिए खड़ा रहेगा और अगर आवश्यकता पड़ी तो लड़ेगा भी. चीन इसके बाद ख़ूब झुंझलाया, फड़फड़ाया लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि द्विपक्षीय संबंध तबतक सही तरीके से नहीं चल सकते, जबतक सीमा पर दोनों देशों के बीच में सबकुछ सही नहीं होता।

बाइडन आए मोदी के पीछे!

अब आप सोच रहे होंगे कि हम मुद्दे की बात क्यों नहीं कर रहे? करेंगे, बिल्कुल करेंगे- जिस वीडियो का विश्लेषण हम करने आए हैं- वो करेंगे लेकिन उससे पहले यह भूमिका इसलिए ज़रुरी है- जिससे कि आप उस वीडियो का बैकग्राउंड समझ सकें- शी जिनपिंग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैसे इग्नोर किया- वो हम आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले आप इस 12 सेकंड के वीडियो को देखिए। यह वीडियो जर्मनी के जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन की है। इस वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि बाइडन, पीछे से पीएम मोदी से बात करने के लिए आ रहे हैं।

तो अब आप इस वीडियो को देखिए. SCO देशों के प्रमुखों ने एक साथ खड़े होकर फ़ोटो क्लिक कराया. यह वीडियो उसी फ़ोटो ओप की है.

 

इस वीडियो को आप देख सकते हैं कि बीच में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग खड़े हैं। शी जिनपिंग के बगल में एक तरफ पीएम मोदी तो दूसरी तरफ उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति खड़े हैं। पीएम मोदी और शी जिनपिंग दोनों एक-दूसरे के पास खड़े हैं लेकिन दोनों ने ना ही एक-दूसरे से कोई बातचीत की और ना हा एक-दूसरे से हाथ मिलाया।

शी से कोई बातचीत नहीं

कहा तो यह भी जा रहा है कि दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से आंख तक नहीं मिलाई. इस वीडियो में भी यह साफ दिखाई दे रहा है. इससे इतर अगर बैठकों की बात करें तो पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की, ईरान के राष्ट्र प्रमुख के साथ बैठक की लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई.

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इससे एक बात तो स्पष्ट है कि भारत ने चीन और उसके राष्ट्रपति शी जिनपिंग को इस तरह से इग्नोर किया है मानो वो सम्मेलन में मौजूद ही ना हो. करें भी क्यों ना? जो देश बॉर्डर पर हमारे लिए षड्यंत्र रचे, जो देश यूएन में पाकिस्तानी आतंकियों को बचाए, जो देश UNSC में भारत की स्थायी सीट का विरोध करे, जो देश पाकिस्तान की गोद में बैठकर भारत के विरुद्ध षड्यंत्र करे, जो देश भारत के विरुद्ध नापाक मंसूबे पाले बैठा हो- उस देश को इग्नोर क्यों ना किया जाए? पीएम मोदी ने चीन को एक और स्पष्ट संदेश दे दिया कि अगर चीन आकर बात नहीं करेगा- तो भारत भी बात करने नहीं जाएगा. बात जब भी होगी, बराबरी पर ही होगी.

चाहे जी-7 का जो बाइडन वाला वीडियो हो- या फिर SCO का आज का यह वीडियो- या फिर दूसरे मंचों पर भारत का मजबूती से अपनी बात रखने का तरीका- भारत बदल रहा है, यह साफ दिखता है और इस बदलाव को रोकने वाले भारत की राह में चाहे कितने ही शूल क्यों ना बिछा लें- जब हमें आगे बढ़ना ही है तो बढ़ना ही है.

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