राहुल गांधी के स्क्रिप्ट राइटर से लेकर उनके साथ पैदल यात्रा तक, योगेंद्र यादव की सफलता की कहानी

इससे बड़ी उपलब्धि और क्या ही होगी?

Started as Rahul Gandhi’s script writer and now he is his travel buddy. Yogendra Yadav is a success story

Source: Yogendra Yadav Twitter

अपनी ढपली अपना राग, यही है पूर्व आम आदमी पार्टी नेता, कथित किसान नेता, स्वराज इंडिया के संस्थापक और अब नये-नये अनौपचारिक कांग्रेसी बने योगेंद्र यादव के राजनीतिक जीवन का सार। जो कभी स्थिर नहीं रह पाए, महत्वकांक्षाओं के अंबार लिए घूमते रहे आज वो अपने असल कुनबे में आ गए पर पीछे के रास्ते से। कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है और उसी क्रम में कांग्रेस की यात्रा के काफिले में एक चेहरा जो नामी होने के बाद भी गुमनाम है। राहुल गांधी के स्क्रिप्ट राइटर से लेकर यात्रा में उनके साथ पैदल चलने वाले योगेंद्र यादव की सफलता की कहानी भी कुछ अलग ही है।

क्या पुनः कांग्रेस के साथी हो गए योगेंद्र यादव?

दरअसल, एक समय पर कांग्रेस के चश्मोचिराग राहुल गांधी के भाषणों का लेखन करने वाले योगेंद्र यादव हाल ही में पुनः कांग्रेस के साथी हो गए ऐसा अनुमान लगाया जाने लगा है। यह अनुमान ऐसे ही नहीं लगाया जा रहा है बल्कि ठोस बातों के सामने आने के पश्चात लगाया जा रहा है। आम आदमी पार्टी से अलग होने के बाद अपनी पार्टी स्वराज इंडिया बनाने वाले योगेंद्र यादव अब फिर से उस कांग्रेस के साथी हो गए हैं जिसे उन्होंने मरने के लिए कह दिया था।

ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव 2019 के अंतिम चरण का मतदान 19 मई, 2019 को समाप्त हुआ था। एग्जिट पोल आने लगे थे, जिसको देखने के साथ ही भविष्यवाणी करते हुए योगेंद्र यादव ने यह घोषणा की थी कि “कांग्रेस को मरना चाहिए।” उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘अगर यह भारत के विचार को बचाने के लिए इस चुनाव में भाजपा को नहीं रोक सका, तो इस पार्टी (कांग्रेस) की भारतीय इतिहास में कोई सकारात्मक भूमिका नहीं है। आज यह एक विकल्प के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा का प्रतिनिधित्व करता है।”

जिस पार्टी को पानी पी-पीकर कोसा जा रहा था आज योगेंद्र यादव उसी के साथी बन चुके हैं। इस बीच उन्होंने कई प्रपंच रचे पर सफल नहीं हो सके फिर चाहे योगेंद्र यादव ने कृषि कानूनों के दौरान उपजे संघर्ष के माध्यम से अपने जाल का प्रदर्शन किया हो या तीन कृषि कानूनों के इर्द-गिर्द एक झूठा आख्यान बुना हो। सब में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के प्रयास में योगेंद्र यादव ने स्वयं को हीरो बनाने की पूरी कोशिश की पर परिणाम उनके पक्ष में नहीं आए। इसके अलावा वर्तमान में सभी साक्षात्कारों में वह कांग्रेस पार्टी को मौत की मांग करने वाले अपने पिछले ट्वीट को सही ठहरा रहे हैं और कई बार दोहरा रहे हैं कि वो अभी भी संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और अन्य ऐसे आंदोलनकारी कार्यकर्ताओं के एक सैनिक हैं। ज्ञात हो कि एस के एम उन समूहों में से एक था, जिन्होंने कृषि कानून विरोध के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग पर कब्जा कर लिया था।

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योगेंद्र यादव को हर जगह की मलाई चाहिए

यही तो योगेंद्र यादव जैसे आंदोलनजीवियों की नौटंकी है कि स्थिर रहने में और अपना परिचय देने में वो कल भी फिस्सडी थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे। योगेंद्र यादव को हर जगह की मलाई खाने की अलग ही आपक है जिसके परिणामस्वरूप वो आज तक एक स्थिर राजनीति में कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाए हैं। योगेंद्र यादव की बात करें तो यादव ने अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस के साथ मिलकर की थी। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए भाषण लिखने के रूप में काम किया। फिर उन्हें कई बार राजनीतिक दलों या समूहों से उनकी प्रतिभा की समृद्धि के कारण निकाल दिया गया, जिससे दूसरों को उनसे ईर्ष्या हुई और संबंध टूट गए।

टीएफआई के संस्थापक अतुल मिश्रा ने राहुल गांधी और योगेंद्र यादव के बेहूदा राजनीतिक सफर की व्याख्या करते हुए व्यंग्यात्मक ट्वीट किया है।

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योगेंद्र यादव ने अर्थव्यवस्था से लेकर हर क्षेत्र में हाथ आजमाए हैं। वह कृषि विशेषज्ञ बने जिन्हें राजनीति विज्ञान, चुनाव विज्ञान का गहन ज्ञान है। लेकिन यह देश का बड़ा दुर्भाग्य रहा है कि भारतवासी कहीं से भी उनका चयन नहीं कर पाए। जाहिर है, वास्तविक जन प्रतिनिधि बनने की राह में किए पहले ही प्रयास में उन्होंने अपनी जमानत खो दी। वह एक अधीर जन प्रतिनिधि बनकर रह गए। यह उनकी राजनीतिक समझ का ही असर था जो की न इधर के रहे न उधर के।

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