Tantrika Tantra – works, Types, Structure in Hindi

Tantrika Tantra picture

आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से तंत्रिका कोशिका एवं तंत्रिका तंत्र (Tantrika Tantra) के बारे में बताने जा रहे है कि तंत्रिका कोशिका क्या है। बहुत से लोगों को यह नहीं पता होता कि यह तंत्रिका कोशिका होती क्या है। तो आज हम आपके इसी सवाल का जवाब लेकर आएं हैं।

तंत्रिका कोशिका / तंत्र (Tantrika Tantra) क्या होता है?

जिसे न्यूरॉन्स के रूप में भी जाना जाता है। शरीर को वर्तमान में होने वाले परिवर्तन की जानकारी व उसके अनुसार प्रतिक्रिया करने के लिए तंत्रिका तंत्र की जरुरत होती है। तंत्रिका कोशिका की क्रियाएं तेज होती हैं। यह भ्रूणीय परिवर्तन के दौरान बनने वाला पहला तंत्र होता है। मानव शरीर के हर भाग में तंत्रिका कोशिका मौजूद होती है। यह तंत्रिका कोशिका तुरंत ही कार्य करती है।

जैसे- यदि आप किसी गर्म पदार्थ को छूते हैं तो आपका हाथ तुरन्त ही उस जगह से हट जाता है. ऐसा असलिए होता है क्योंकि आपकी उँगलियों की तंत्रिका कोशिका तुरन्त मष्तिष्क संदेश देती हैं कि ये गर्म है यहां से हटना ही उचित है। गौरतलब है कि यह सब केवल कुछ मिनी सेकंड के अंदर ही हो जाता है|

Works of Tantrika Tantra in Hindi

तंत्रिका कोशिका (Tantrika Tantra) के निम्न कार्य होते हैं :-

तंत्रिका कोशिका का सबसे पहला कार्य है मष्तिष्क को सूचना पहुंचाना है. ये सूचनाएं किसी भी विषयों से जुड़ी हो सकती हैं. जैसे यदि तंत्रिका को किसी प्रकार का खतरा प्रतीत होता है तो वह तुरन्त मस्तिष्क को संदेश देकर कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध कर देती है.

तंत्रिका कोशिका का अन्य कार्य अवचेतन मस्तिष्क से जुड़े रहना भी है। अवचेतन मस्तिष्क मनुष्य के जीवन काल से जुड़ी सभी यादों को सुरक्षित एवं संग्रहित करके रखता है।

Types of Tantrika Tantra in Hindi

तंत्रिका कोशिकाओं से निकलने वाली प्रवरधों की संख्या के आधार पर यह कोशिकाएं तीन प्रकार की होती हैं
1. एक ध्रुवीय
2. द्विध्रुवीय
3. बहुध्रुवी

एकध्रुवी

एक सीढ़ीनुमा संरचना बनाने के लिए एकध्रुवी तंत्रीका का प्रयोग किया जाता हैं। इनका केवल एक ही सिरा होता है। जिसके कारण ये केवल एक कोशिका से जुड़ी होती हैं। ये मुख्यतः रीढ़ और मस्तिष्क के मध्य एवं इसी के साथ वह संकीर्ण हिस्सों में पाई जाती हैं।

द्विध्रुवीय

यह वह कोशिकाएं हैं जो दो ध्रुवों वाली होती हैं तथा जो दो तांत्रिकओं से जुड़ सकती हैं।

बहूध्रुवीय

जैसा नाम से पता चल रहा है।यह बहुत सी कोशिकाओं से जुड़कर गुच्छे जैसी संरचना का निर्माण करती हैं यह एक बहु ध्रुवीय कोशिकाएं मुख्यतः रीढ़ और मस्तिष्क के पास पाई जाती हैं।

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तंत्रिका कोशिका की संरचना

केंद्रक Nucleus

कोशिका का केंद्र केंद्रक तंत्रिका होता है। यह केंद्रक तंत्रिका, तंत्रिका कोशिका को कार्य करने का निर्देश देता है। संदेशों का वहन इसी कोशिका के द्वारा होता है। यह तंत्रिका कोशिका का केंद्र मस्तिष्क होता है|

कोशिकाय Cell Body

कोशिकाय एक तरह का द्रव्य नुमा पदार्थ होता है। यह केंद्रक के चारो ओर बना होता है। वहीं इसका कार्य केंद्रक की सुरक्षा करना होता है। इस कोशिकाय में विभिन्न तरह के तरल पदार्थ पाए जाते हैं जो तंत्रिका कोशिका को ऊर्जा प्रदान करते हैं।

द्रुमिका Dendrite

यह कोशिका के सिरे पर बनी होती है। इसका कार्य, दूसरी तंत्रिका से जुड़ने का होता है।

तंत्रिकाक्ष Axon

तंत्रिकाक्ष वह तंत्र है जो तंत्रिका कोशिका के मध्य में एक तार की तरह जुड़ा होता है। इसका यह कार्य होता है कि तंत्रिका के अंतिम सिरे को संदेश पिछली तंत्रिका ने भेजा है जो उसके केंद्रक तक पहुंचाया जा सके।

तंत्रिका का अंतिम सिरा Axon Terminal

इसका अंतिम सिरा एक हैंडल की तरह होता है।इसका मुख्य कार्य, दूसरी तंत्रिका से जुड़ने का होता है। दूसरी तंत्रिका से संदेश इसी के जरिए ग्रहण किए जाते हैं।

आशा करते है कि Tantrika Tantra पर यह लेख आपको पसंद आया होगा एवं ऐसे ही रोचक एवं ज्ञानवर्धक लेख पढ़ने के लिए हमें सब्सक्राइब करें।

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