चीन मामलों के विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान बने भारत के नये CDS

चीन को भारत के नये CDS से डरना चाहिए

anil chauhan

कुल नौ महीने के लंबे इंतज़ार के बाद बीते दिन सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को नये सीडीएस पद पर नियुक्त किया है। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत की एक हावाई दुर्घटना में मृत्यु होने के कुल नौ महीने बाद ये फैसला लिया गया है।

आर्मी में CDS एक सर्वोच्च पद होता है जिसे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के नाम से संबोधित किया जाता है। देश के पहले सीडीएस, जनरल विपिन रावत के बाद 61 साल के चीनी विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) अनिल चौहान को इस पद के लिए चुना गया है। अनिल चौहान 30 सितंबर को सीडीएस का कार्यभार संभालेंगे।

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रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि चौहान “भारत सरकार, सैन्य मामलों के विभाग सचिव के रूप में भी कार्यरत होंगे, वो अपने पदभार ग्रहण करने की तारीख से और अगले आदेश तक यहां कार्य करेंगे।” यह घोषणा आते ही एक चैन की सांस मिली है क्योंकि इस पद को भरने में बहुत अधिक समय लग गया है, अनिल चौहान मई 2021 में सेवानिवृत्त हुए थे। देश की सेना में ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई सेवानिवृत्त अधिकारी सबसे वरिष्ठ अधिकारी के रूप में सेवा करने के लिए फिर से लौट रहा है।

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संयुक्त रक्षा सेवा क्या है?

सीडीएस तीनों सेनाओं का सबसे सर्वोच्च पद होता है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ रक्षा योजनाओं और प्रबंधन पर सरकार को सलाह प्रदान करने का काम करता है। वह तीनों सेनाओं में कॉर्डिनेशन, मैन पावर, उपकरण और एक्शन प्लान पर भी नज़र रखता है और सरकार से इसके लिए संपर्क बनाता है। सबसे अहम होता है किसी भी ऑपरेशन या मिशन में तीनों सेनाओं की ज्वाइंट मैनशिप का सही ढंग से उपयोग करना। इस पद पर कार्यरत व्यक्ति तीनों सेनाओं के कार्य को सुनिश्चित करने का काम भी करता है।

मंत्रालय की माने तो लगभग 40 सालों के इस करियर में अनिल चौहान ने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में आतंकवाद विरोधी कई अभियानों में अपने अनुभवों का उपयोग करके कई कमांड, स्टाफ और सहायकों की नियुक्ति की है।

साल 2019(बालाकोट हवाई हमला) में जब भारतीय लड़ाकू विमानों ने पुलवामा आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान के अंदर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर को बर्बाद किया था, तब उस समय चौहान सेना के सैन्य अभियान के महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान भारत के दूसरे सीडीएस के पद पर कार्यरत होंगे।

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लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के बारे में

लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुया था। साल 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में इनकी भर्ती हुई थी। इनकी पढ़ाई की बात करें तो वह नेशनल डिफेंस अकेडमी, खड़कवासला और इंडियन मिलिट्री अकेडमी, देहरादून के छात्र रह चुके हैं। इसके बाद उन्होंने मेजर जनरल (रैंक अधिकारी के रूप में) उत्तरी कमान में बारामुला सेक्टर के एक इन्फैंट्री डिवीजन का कार्यभार अपने हाथ में लिया था। तत्पश्चात बतौर लेफ्टिनेंट जनरल उत्तर पूर्व में एक कोर के पद पर कार्यरत थे। साल 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के पद की कामन भी अपने हाथ में ली और 31 मई 2021 में चौहान रिटायर हो गए।

इतना ही नहीं अनिल डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन के भार को भी भलीभांति संभाल चुके हैं। इससे पहले अनिल ने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन में काम किया था। रिटायर होने के बाद सेना में उनके सभी कार्यों और सेवा के लिए, परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पद उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक का सम्मान प्राप्त हुया है।

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हरीश रावत का ट्वीट  

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने इस पर ट्वीट किया, “ये उत्तराखंड का सौभाग्य है, पौड़ी जनपद का कोटो-कोटी धन्यवाद. पौड़ी के एक और बहादुर सैनिक लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत्त अनिल चौहान को  देश के नये CDS चुने गए है. देश की सेना की कमान अब बहुत सक्षम हाथों में है”

साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अनिल को बधाई देते हुए ट्वीट किया, “उत्तराखंड के लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर) को सीडीएस के पद पर नियुक्त किए जाने की हार्दिक बधाई. हमें इसमें कोई भी शक नहीं है कि आपके कुशल नेतृत्व के चलते भारतीय सेना हमेशा की तरह राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में नया एक कीर्तिमान रचेगी.”

लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को चीन से संबंधित कई सारे मामलों में जानकारी है। वो चीन को काफी करीब से जानते हैं क्योंकि उन्होंने ईस्टर्न कमांड में एक लंबे समय तक काम किया है। साथ ही वो वहां के कमांडर भी रह चुके हैं। अनिल चौहान स्वदेशी हथियारों और स्वदेशी रक्षा की सभी तकनीकों के विकास पक्ष में हैं। जिससे विदेशों पर ज्यादा निर्भरता न हो। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के हाथों में देश की एक महत्वपूर्ण दायित्व को सौंपा गया है। अब वो इसे किस तरह से निभाते हैं और सेना को किन ऊंचाइयों तक ले जाते हैं ये देखना होगा।

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