विडंबना तो देखिए जिसके स्वयं के घर में फूट पड़ी हो, वो दूसरों को जोड़ने की बातें कर रहा हैं। जी हां, हम यहां बात कांग्रेस की कर रहे हैं। आज कांग्रेस की हालत कैसी है उससे हर कोई अच्छे से परिचित है। दिग्गज नेताओं का साथ लगातार कांग्रेस से छूटता चला जा रहा है। अब गिने-चुने नेता ही पार्टी में बचे रहे गए हैं। इन सबके बावजूद कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी अपनी पार्टी को संभालने की जगह “भारत जोड़ो यात्रा” निकाल रहे हैं। परंतु क्या वास्तव में यह भारत जोड़ने की यात्रा है या फिर इसकी आड़ लेकर राहुल गांधी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं?
7 सितंबर 2022 को कन्याकुमारी से शुरू हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को 20 दिन पूरे हो चुके हैं। अगर इस यात्रा का मूल कारण देखा जाए तो कांग्रेस का कहना है कि यह BJP-RSS की विचारधारा के खिलाफ है। वहीं इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी कांग्रेस के झगड़ों को सुलझाने और देश की सत्ता में फिर से वापसी के सपने देख रहे हैं। 2024 लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस पार्टी को एकजुट कर कार्यकर्ताओं में नयी ऊर्जा भरने के लिए राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू की है। कन्याकुमारी से शुरू हुई यह यात्रा 150 दिनों तक चलेगी और यह कश्मीर जाकर समाप्त होगी, जो कि देश के 12 राज्यों से होते हुए 3570 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली है।
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चुनावी राज्यों से दूर क्यों ‘भारत जोड़ो यात्रा’?
हालांकि अगर हम भारत जोड़ो यात्रा का रूटमैप देखें तो राहुल गांधी की इस यात्रा से देश के कई बड़े और अहम राज्य गायब दिखाई देंगे। वो गुजरात और हिमाचल प्रदेश जहां चुनाव अब काफी नजदीक आ गए हैं, वो तो भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा ही नहीं है। क्या इसका अर्थ यही निकलता दिख रहा है कि कांग्रेस यह पहले ही स्वीकार कर चुकी है कि यहां उसका कुछ होने वाला नहीं और राहुल गांधी ने अपनी हार मान ली है, जिस कारण ही वो अपनी इस यात्रा के जरिए इन राज्यों में नहीं जा रहे।
इसके अतिरिक्त यूपी जैसे महत्वपूर्ण राज्य में भी केवल रस्मअदायगी ही की जा रही है। वहीं राहुल का फोकस तो तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों पर अधिक नजर आ रहा है। भारत जोड़ो यात्रा जब से शुरू हुई, तब से लेकर अब तक केरल में ही है। वो केरल जहां भाजपा की सरकार तक नहीं है। वहीं तमिलनाडु की करें तो कांग्रेस की गठबंधन सहयोगी डीएमके की सरकार है। फिर भी कांग्रेस इन राज्यों में अधिक ध्यान देकर न जानें क्या ही कर रही है। ऐसे में प्रश्न तो यहां यही खड़ा होता है कि क्या वास्तव में कांग्रेस की यात्रा भाजपा-RSS के खिलाफ ही है?
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“भारत जोड़ो” यात्रा में कई राज्यों को गूल करने के लिए कांग्रेस सवालों के घेरे में है। हालांकि इस पर राहुल गांधी की तरफ से प्रतिक्रिया भी दी गई। एर्नाकुलम में कांग्रेस सांसद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यात्रा और भविष्य की राजनीति पर कई सारी बातें कहीं। इस दौरान उनसे यह सवाल पूछा गया कि यूपी में भारत जोड़ो यात्रा इतनी कम समय के लिए क्यों? जिस पर राहुल गांधी ने जवाब देते हुए कहा- “यह यात्रा भारत देश के एक सिरे से शुरू होकर दूसरे सिरे तक के लिए है, इसलिए हम कई राज्यों में यात्रा नहीं कर रहे है। हम बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात में यात्रा के लिए नहीं जा रहे है।”
राहुल गांधी के इन बयानों पर राजनीतिक पंडितों ऐसा मान रहे हैं कि कांग्रेस यूपी में अपना कोई भी राजनीतिक भविष्य नहीं देख रही है। साल 1989 के बाद से कांग्रेस का प्रदेश में बहुत ही बुरा हाल रहा है। कांग्रेस यूपी की सत्ता से कई दशकों से दूर है। पार्टी के सभी कोर वोट बैंकों के हिस्से हो चुके हैं। मुस्लिम वोटर जहां सपा और बसपा की झोली में जा गिरे है, वहीं ओबीसी वोट बैंक सपा के साथ है। तो बाकी बचे अधिकांश भाजपा के समर्थन में हैं।कांग्रेस नेता चुनाव में हमेशा ही भगवान के भरोसे जीत पाते हैं। यहां तक कि 2019 लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी ही अमेठी से हार गए थे।
भारत को जोड़ने के लिए निकले राहुल गांधी एक प्रकार से 232 सीटों को सीधे-सीधे छोड़ रहे हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटें सबसे अधिक है। इसके साथ ही बिहार में 40, पश्चिम बंगाल की 42, गुजरात की 26, झारखंड की 14, उत्तराखंड की 5 और नॉर्थ ईस्ट की 25 लोकसभा सीटों है, जिनपर शायद राहुल द्वारा ध्यान नहीं जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस की 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर एक बड़ा प्रश्न उठता है।
भारत जोड़ो यात्रा के बीच टूट रही कांग्रेस
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 150 दिनों तक चलने वाली है। अभी केवल इनमें से 20 ही दिन हुए है और इस बीच ही राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक कांग्रेस में फूट की खबरें आने लगी है। राजस्थान में तो सियासी बवंडर आकर खड़ा हो गया है। ईधर अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनने ही निकलने जा रहे थे पर वो अपनी जगह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपने के लिए तो कतई तैयार नहीं थे, जिस कारण ही राजस्थान में बड़ा सियासी बवाल खड़ा हो गया। इस बीच महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक चव्हाण के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच मुलाकात ने महाराष्ट्र कांग्रेस हलचल मचा दी।
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राहुल की यात्रा शुरू होने के पहले ही कांग्रेस गुलाम नबी आजाद ने पार्टी पर बम फोड़ा दिया था। उन्होंने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर ये सलाह दी थी कि राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेस जोड़ो यात्रा शुरू करने की आवश्यकता है। इसके अलावा इस यात्रा के दौरान ही गोवा के 11 विधायकों में से 8 विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में चले गये हैं। इन सब घटनाओं को देखकर तो ऐसा जब तक राहुल गांधी की यह यात्रा समाप्त होगी, तब तक ना जाने कहां-कहां कांग्रेस टूटकर बिखर चुकी होगी।
जिम्मेदारियों से भाग रहे राहुल गांधी?
एक तरफ जहां कांग्रेस इस समय अपना अध्यक्ष ढूंढने की जुगत में लगी है, तो ऐसे समय में ही राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं। समझ में आता है कि पार्टी का बेड़ागर्क करने के बाद अब राहुल अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी नहीं संभालना चाहते। परंतु क्या ऐसे समय में वो पार्टी के लिए रणनीति भी नहीं बना सकते? ऐेसे में क्या भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से राहुल गांधी के दूर रहने के लिए एक सुविधाजनक आयोजन है?
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