न्यूयॉर्क में पोलियो के कारण इमरजेंसी, भारत की रणनीति से जीत सकता है अमेरिका

दुनिया की मदद करने वाला भारत, अमेरिका को भी 'दो बूंद रणनीति' अवश्य देगा!

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एक समय ऐसा था जब पोलियो की बीमारी विश्व के लिए चुनौती बन गयी थी। विशेषकर यह बीमारी कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है और उन्हें विकलांग बना देती है। इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए पूरे विश्व में युद्धस्तर पर काम किया गया। वर्तमान समय को देखें तो कई देश पोलियो से मुक्त भी हो चुके हैं। परंतु अब यही पोलियो कथित रूप से सबसे विकसित देश अमेरिका की समस्या बढ़ाने आ गया है।

पोलियो के कारण आपातकाल की स्थिति 

दरअसल, जो अमेरिका स्वयं को वर्ष 1979 में ही पोलियो मुक्त घोषित कर चुका है, आज उसी अमेरिका के न्यूयॉर्क में पोलियो के कारण आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गयी है। न्यूयॉर्क के गवर्नर ने पूरे राज्य में वायरस फैलने के कारण आपदा आपातकाल घोषित किया है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार न्यूयॉर्क और उसके आसपास के अपशिष्ट जल के नमूनों में पोलियो वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया है, जो पक्षाघात का कारण बन सकता है।

हालांकि अभी एक ही मामले की पुष्टि की गयी है। एक दशक के बाद अमेरिका में पोलियो का मामला मिला है । बीते महीने न्यूयॉर्क के उत्तर में स्थित रॉकलैंड में एक व्यक्ति पोलियो से ग्रसित पाया गया था। इसके कारण 9 अक्टूबर तक न्यूयॉर्क में आपातकाल लगा रहेगा। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि राज्य के कुछ हिस्सों में टीकाकरण की दर काफी कम है और पोलियो के सकारात्मक लक्षण पाए जा रहे हैं, इसलिए आपातकालीन घोषणा का उद्देश्य टीकाकरण दरों को बढ़ावा देना है।

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ध्यान देने वाली बात है कि जो अमेरिका स्वयं को सबसे विकसित देश मानता है, कोरोना महामारी के दौरान भी देखने मिल रहा था कि यही अमेरिका पूरी दुनिया को ज्ञान बांटता फिर रहा था, फिर भले ही उसने अपने गिरेबान में झांककर न देखा हो। अब उसी कथित विकसित देश अमेरिका में पोलियो उसकी चिंता बढ़ाने आ गया, वो भी तब जब वो वर्षों पहले ही पोलियो मुक्त होने की घोषणा वो कर चुका है। खैर, ऐसी स्थिति में जो चौधरी अमेरिका सबको ज्ञान बांटता फिरता है उसे भारत से सीखने की आवश्यकता है।

भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है और पोलियो बड़े स्तर पर हमें प्रभावित कर रहा था। वर्ष 2009 में तो पोलियो के विश्व के आधे से अधिक मामले केवल भारत से ही आए थे। ऐसे में कई देश यह मानने लगे थे कि भारत को पोलियो से मुक्त कराना संभव नहीं है। परंतु भारत ने इस असंभव काम को संभव कर दिखाया और पोलियो के मामलों को शून्य पर ला कर पूरी दुनिया दो दिखा दिया।

“दो बूंद जिंदगी के” जैसे अभियान के कारण पोलियो को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ायी गयी। देशभर में युद्धस्तर पर चलाए गए अभियान के कारण वैसे तो भारत 2011 में पोलियो मुक्त हो गया था क्योंकि इसके बाद देश में एक भी पोलियो का मामला सामने नहीं आया। देश में पोलियो के आखिरी मामले की पुष्टि 13 जनवरी 2013 को हुई थी। पश्चिम बंगाल में 2 वर्षीय एक बच्चा इसके कारण अपंग हो गया था। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2014 में भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया था।

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भारत ने वर्ष 1995 में अभियान चलाया था

हां, यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत के लिए पोलियो को जड़ से मिटाने का काम आसान अवश्य नहीं था परंतु सरकार के साथ-साथ आम जनता के सहयोग के कारण देश ने पोलियो पर जीत हासिल की। वैसे तो भारत ने वर्ष 1995 में ही पल्‍स पोलियो टीकाकरण (PPI) कार्यक्रम आरंभ कर दिया था, जिसके तहत पांच साल तक के बच्चों को पोलियो का ओरल ड्रॉप दिया जाता है।  कई वर्षो तक चली लंबी लड़ाई के बाद भारत स्वयं को पोलियो से निजात दिलाने में सफल रहा।

पोलियो का अब तक कोई इलाज तो है नहीं, केवल इसे टीके के माध्यम से ही रोका जा सकता है। भारत पोलियो मुक्त भले ही हो चुका हो, परंतु देश में अभी भी हर वर्ष दो बार बच्चों को पोलियो की ड्रॉप्स पिलाई जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पोलियो जड़ से समाप्त हो गया हो, परंतु कब यह दोबारा सक्रिय हो जाए कह नहीं सकते। साथ ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे देशों के पोलियो पर अब तक लगाम लगाने में असफल होने के कारण भारत इस बीमारी को लेकर सतर्क है। पिछले कुछ समय से पाकिस्तान में पोलियो का प्रकोप एक बार फिर देखने को मिल रहा है। यह वायरस दोबारा हमारे देश में अपनी पहुंच न बना लें, इस कारण वर्ष में दो बार पल्स पोलियो अभियान चलाया जाता है।

इससे स्पष्ट है कि भारत से पोलियो भले ही एक दशक पहले ही खत्म हो चुका हो, परंतु हम अभी भी इसको लेकर सतर्क है। पोलियो भारत के सबसे सफल अभियानों में से एक रहा है इसमें कोई संदेह नहीं है। भारत की पोलियो से निपटने की रणनीतियों को पूरी दुनिया ने सराहा है। ऐसे में अब अमेरिका में जब पोलियो के कारण चिंता बढ़ रही है तो वो  इससे निपटने के लिए भारत से बहुत कुछ सीख सकता है।

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