संसार इधर से उधर हो जाए पर कुछ लोग ऐसे ढीठ हैं कि अपने एजेंडा के लिए कुछ भी करेंगे। उन्होंने न अपना एजेंडावाद छोड़ा है और न ही छोड़ेंगे और वामपंथियों का दुलारा द वायर भी उन्हीं में से एक हैं। वामपंथ और तुष्टीकरण के प्रति इस पोर्टल के अटूट स्नेह से कोई भी अपरिचित नहीं है और यह सदैव अगला ‘तहलका’ या एनडीटीवी बनने का असफल प्रयास करता रहता है परंतु सदैव मुंह की खाता है। द वायर की यह कुंठा कहीं न कहीं उसके लेखों में भी स्पष्ट रूप से झलकती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे फेक न्यूज फैलाने में उस्ताद ‘द वायर’ ने पीएम मोदी के एक बयान को तोड़ मरोड़ कर सनातन धर्म के विरुद्ध अपनी कुंठा दिखाने में एक बार फिर कोई प्रयास अधूरा नहीं छोड़ा है।
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पीएम मोदी के बयान को तोड़ मरोड़कर किया पेश
दरअसल, हाल ही में हर बार की भांति पीएम मोदी ने जनता को संबोधित करते हुए अपने ‘मन की बात’ व्याख्यान में सरकार की उपलब्धियों के साथ-साथ जन समस्याओं एवं उनके उपायों के बारे में चर्चा प्रारंभ की। इसी विषय पर उन्होंने मध्य प्रदेश के दतिया क्षेत्र के एक अनोखे उदाहरण का उल्लेख किया, जहां भजन कीर्तन के माध्यम से कुपोषण जैसी समस्या के विरुद्ध जागरूकता अभियान चलाया जा रहा था। परंतु इसमें द वायर की क्या भूमिका है? इसने ऐसा क्या किया जिसके पीछे वह सबके कोपभाजन का शिकार बन रहा है? असल में कुंठा से भरी एक रिपोर्ट में द वायर ने यह प्रदर्शित किया कि पीएम मोदी ने अपनी मन की बात संबोधन में यह बात कही है कि भजन कीर्तन करने से कुपोषण चला जाएगा।
ठहरिए, ये तो मात्र प्रारंभ है। इस दो कौड़ी के पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में आगे यह भी लिखा, “कई विद्वानों और वैज्ञानिकों ने समय समय पर पीएम मोदी को उनके अतार्किक और अवैज्ञानिक निर्णयों के लिए आड़े हाथों लिया है। यह तो ‘ताली और थाली’ रणनीति का स्मरण कराता है, जहां उचित स्वास्थ्य संसाधनों पर बात नहीं अपितु इस तरह की बकवास की गई।”
लेकिन द वायर का यह कृत्य न केवल हास्यास्पद है अपितु पूर्णतया बकवास भी है। क्या आपने कभी बचपन में किसी कथा के माध्यम से सामाजिक उत्थान की बातें नहीं सुनी है? प्राचीन युग में कथावाचकों का बड़ा ही उच्चतम स्थान होता था क्योंकि वे अपनी कथाओं को विभिन्न माध्यम से प्रसारित करवाते थे और उसी के माध्यम से कई सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अपनी आवाज़ भी उठाते थे। स्वयं कट्टर से कट्टर वामपंथी इतिहासकारों तक को अपने संपादित इतिहास के पुस्तकों में स्वीकारना पड़ा है कि कैसे प्राचीन भारत विशेषकर चोल साम्राज्य में मंदिर अपने आप में एक सामुदायिक केंद्र और भजन कीर्तन के माध्यम से अनेक कार्यों का प्रचार प्रसार किया करते थे। ऐसे में पीएम मोदी ने दतिया के इस उदाहरण का उल्लेख कर कोई मंगल ग्रह से आए जीव का उदाहरण नहीं बताया है, जिसपर द वायर इतना उछल रहा है।
इनके लिए प्रोपेगेंडा ही सर्वोपरि है
परंतु आपको क्या लगता है, द वायर इस तरह का प्रोपेगेंडा चलाने वाले खेल में अकेला है? बिल्कुल नहीं! अभी हाल ही में झारखंड के दुमका में जो हुआ उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। परंतु इंडिया टुडे के लिए उनका एजेंडा सर्वोपरि था। इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में आरोपी का नाम शाहरुख हुसैन के बजाए सीधा अभिषेक बताया था। हम मज़ाक नहीं कर रहे हैं, इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में अंकिता के हत्यारे को शाहरुख की जगह “अभिषेक” बताने का प्रयास किया। मीडिया संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में अभिषेक नाम का प्रयोग किया और कही भी यह उल्लेख नहीं किया कि यह बदला हुआ नाम है। अपनी खबर में इंडिया टुडे ने सीधा सीधा फोटो कैप्शन में लिखा था, “आरोपित अभिषेक को पुलिस कस्टडी में हंसता हुआ देखा जा सकता है।“
अब इंडिया टुडे हो या द वायर, इनके लिए इनका एजेंडा ही सदैव से सर्वोपरि रहा है परंतु जिस प्रकार से सनातन धर्म के प्रति अपनी घृणा में ये दिन प्रतिदिन अपनी निर्लज्जता का सार्वजनिक प्रदर्शन कर रहे हैं, उस पर क्रोध कम, दया अधिक आती है। सनातन संस्कति और हिंदुओं के प्रति विष उगलने से ये कभी भी बाज नहीं आते और हर मामले में अपना एजेंडा ठूसना इनकी आदतों में शुमार है और इस बार भी द वायर ने यही कृत्य किया है।
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