तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने पूरे गांव की जमीन पर किया कब्जा, प्राचीन मंदिर भी नहीं छोड़ा

तमिलनाडु में मुख्य रजिस्ट्रार बन गया है वक्फ!

Waqf Board

झटका कभी भी, किसी को भी लग सकता है। झटके लगने के कारण अलग हो सकते हैं, कारक भिन्न हो सकते हैं पर झटका सबको लगता है। ऐसे में जब यह झटका आपकी निजी संपत्ति को छीनते हुए लगे तो झटके की तीव्रता पूरे शरीर को बस सोचने मात्र से सन्न कर देती है। एक ऐसा ही झटका तमिलनाडु के त्रिची के पास तिरुचंथुरई गांव के रहवासियों को लगा है जो उनके सर की छत से जुड़ा हुआ है। वो छत जो वर्षों की मेहनत और गाढ़ी कमाई का नतीजा होती है। उसी छत पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

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संपत्ति पर कब्जा करने का चौंकाने वाला मामला

दरअसल, तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड द्वारा एक संपत्ति पर कब्जा करने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां, हिंदू बहुसंख्यक आबादी वाले एक पूरे गांव को तमिलनाडु वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है। बोर्ड ने तमिलनाडु में त्रिची के पास तिरुचंथुरई गांव को वक्फ संपत्ति घोषित किया है। जिसके बाद अब वहां लोग अधीर हो चुके हैं कि उनकी ज़मीन, उनके मकान पर ये मालिकाना हक़ वक्फ किस आधार पर जता रहा है।

इस मामले में पहला सूत्र तब सामने आया जब एक व्यक्ति अपनी ज़मीन बेचने के लिए निकला। जब राजगोपाल नाम के शख्स ने अपनी एक एकड़ जमीन राजराजेश्वरी नाम के शख्स को बेचने की कोशिश की तब जड़ सामने आयी। जब राजगोपाल अपनी जमीन बेचने के लिए रजिस्ट्रार के दफ्तर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि वह जिस जमीन को बेचने आए थे, वह उनकी नहीं थी, बल्कि रजिस्ट्रार ऑफिस के अनुसार जमीन वक्फ की है और अब इसका मालिक वक्फ बोर्ड है।

पूरा घटनाक्रम तब गर्मा गया जब राजगोपाल से रजिस्ट्रार मुरली ने कहा कि, ‘आप जिस जमीन को बेचने आए हैं उसका मालिक वक्फ बोर्ड है। वक्फ बोर्ड के निर्देश के मुताबिक इस जमीन को बेचा नहीं जा सकता है। आपको चेन्नई में वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) प्राप्त करना होगा। इस पर राजगोपाल ने पूछा, ”1992 में खरीदी गयी अपनी जमीन को बेचने के लिए वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेने की जरूरत क्यों है? राजगोपाल के सवाल पर रजिस्ट्रार मुरली ने उन्हें तमिलनाडु वक्फ बोर्ड से राजगोपाल को 250 पन्नों का एक पत्र दिखाया, जिसमें कहा गया था कि ‘तिरुचेंथुरई गांव में किसी भी जमीन को बेचने के लिए चेन्नई में वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता है। वक्फ बोर्ड ने भूमि अभिलेख विभाग को पत्रों और दस्तावेजों के माध्यम से सूचित किया है कि यह पूरा गांव उनका है। यह भी कहा गया है कि जो लोग गांव की जमीन के लिए रजिस्ट्रेशन कराने आएंगे उन्हें वक्फ बोर्ड से एनओसी लेनी होगी।’

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वक़्फ़ बोर्ड से पहले NOC  लाओ

मान न मान मैं तेरा मेहमान की तरह वक़्फ़ वाले पहले हिंदू बाहुल्य गांव में घुस तो गए पर घुसे तो घुसे हिंदुओं की संपत्ति को अपना करार दिया और विडंबना ऐसी कि रजिस्ट्रार ऑफिस के शब्द ये हों कि जो है वक़्फ़ बोर्ड का है, यदि ज़मीन के साथ कुछ भी करना है तो वक़्फ़ बोर्ड से पहले NOC  लाओ फिर अन्य प्रक्रिया होगी। जिस वक़्फ़ बोर्ड का तमिलनाडु में त्रिची के पास तिरुचंथुरई गांव से अतीत में न लेना एक न देना दो वाला नाता रहा है ऐसा कोई भी निकाय आकर जबरन अपना एकाधिकार स्थापित करने की कोशिश करे तो मामला संजीदा हो जाता है।

जिस गांव में मानेदियावल्ली समीथा चंद्रशेखर स्वामी मंदिर हो जिसकी कई दस्तावेजों और सबूतों के मुताबिक आयु 1,500 साल से भी पुरानी हो। जिस मंदिर के पास तिरुचेंथुरई गांव और उसके आसपास 369 एकड़ की संपत्ति हो उसको अपने अस्तित्व और एकाधिकार की लड़ाई लड़नी पड़े तो मान लीजिए कि उस राज्य में घोर कलयुग से हज़ार गुना स्थिति बिगड़ चुकी है।

अब जब मामला सबके सामने आ गया तो ग्रामीणों को आश्चर्य हुआ कि वक्फ बोर्ड पूरे गांव का मालिक होने का दावा कैसे कर सकता है। बात एकदम जायज़ है, जब उनके (ग्रामीणों) के पास आवासीय और कृषि दोनों उद्देश्यों के लिए जमीन के सभी दस्तावेज थे। इसके बाद जब इस पूरे मामले को लेकर परेशान ग्रामीण कलेक्टर के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा कि “इसकी जांच करनी होगी, उसके बाद ही कोई कार्रवाई हो सकेगी।”

स्टालिन शासन में एक कट्टरपंथी और दूसरे वामपंथी इन्हीं दोनों के घर भरे हैं। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार में मात्र जिहादी तत्वों पर ढील बरती गयी और जिसका परिणाम है कि राज्य सरकार के अधीन आने वाला वक़्फ़ बोर्ड अब ज़मीन क़ब्ज़ाने का काम करने लगा है।

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