यह नया भारत है, यह दमदार भारत है इसकी झलक बखूबी भारत के हर निर्णय में दिखायी देता है, विकास के पथ पर अग्रसर भारत हर क्षेत्र में नये आयाम लिख रहा है। अर्थव्यवस्था से लेकर बुनियादी ढांचा, अंतरिक्ष से लेकर ऊर्जा तक, हर क्षेत्र में भारत अपने वैभव बिखेर रहा है। इसी क्रम में बात आती है रक्षा क्षेत्र की तो एक समय था जब लाल फ़ीताशाही के चक्कर में भारत रक्षा क्षेत्र में सिर्फ़ आयात करता था, वह रक्षा उपकरणों को लेकर दूसरे देशों पर निर्भर रहता था। लेकिन आज एक मजबूत सरकार के नेतृत्व में भारत ने रक्षा के क्षेत्र में इतनी लम्बी छलांग लगाई है कि कल तक जो भारत अपने आवश्यक हथियार को दूसरे देशों से मंगवाता था आज वही देश न सिर्फ़ अपनी घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है अपितु दूसरे देशों को हथियार निर्यात भी कर रहा है।
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आर्मेनिया के साथ रक्षा सौदा
इसी क्रम में आर्मेनिया और अजरबैजान के संघर्ष के बीच, भारत आर्मेनिया को मिसाइल, रॉकेट और गोला-बारूद निर्यात करने के लिए तैयार है। इन सब के अलावा, भारत ने अजरबैजान के खिलाफ, अर्मेनिया को स्वदेशी पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर भी निर्यात करेगा। यह पिनाका रॉकेट लॉन्चर का पहला निर्यात होगा।
भारत ने रॉकेट लॉन्चर के अलावा आर्मेनिया को टैंक रोधी रॉकेट और अन्य गोला-बारूद निर्यात करने के लिए $25 करोड़ (2000 करोड़ रुपये से अधिक) के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत आने वाले महीनों में सरकार से सरकार के माध्यम से हथियारों की आपूर्ति करेगा।
पिनाका रॉकेट लॉन्चर जो पहले से ही भारतीय सेना की सेवा में हैं और साथ ही आर्मेनिया को निर्यात किए जाएंगे, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तहत ऑर्ममेंट अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) द्वारा डिजाइन किए गए थे। दिसंबर 2021 में, भारत DRDO ने पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में पिनाका रॉकेट सिस्टम के सफल परीक्षण की एक श्रृंखला आयोजित की। पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चिंग सिस्टम (एमबीआरएल) 44 सेकंड में 12 एचई रॉकेटों को मार सकता है, यह रॉकेट लांचर टाटा ट्रकों पर लगे होते हैं। प्रत्येक पिनाका बैटरी में छह लॉन्चर, 12 रॉकेट और “डिजीकोरा मेट” रडार होता है। प्रत्येक लॉन्चर अलग-अलग दिशाओं में फायर कर सकता है, क्योंकि उनके पास अपने कंप्यूटर हैं जो उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति देते हैं। सभी लॉन्चरों को एक साथ फायर किया जा सकता है, या उनमें से केवल कुछ को आवश्यकता के अनुसार ही फायर किया जा सकता है।
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रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने का प्रयास
यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि भारत ‘मेक इन इंडिया’ जैसे नीतिगत बदलावों के माध्यम से अपने रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। मोदी सरकार ने 2025 तक विदेशों में 35,000 करोड़ रुपये की रक्षा प्रणालियों को बेचने का लक्ष्य रखा है। अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत ने फिलीपींस के साथ 37.4 करोड़ डॉलर में ब्रह्मोस मिसाइल की डील की थी। इसी क्रम में वियतनाम भी भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल खरीद को लेकर बातचीत कर रहा है, तो साथ ही अर्जेंटीना के साथ तेजस लड़ाकू विमान की बिक्री को लेकर भी एडवांस स्टेज में बातचीत चल रही है। इन सब के अलावा इंडोनेशिया और थाईलैंड भी हथियारों की खरीद को लेकर भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं। यदि आने वाले समय में यह डील हो जाती है तो भारत आर्थिक रूप से तो सम्पन्न होगा ही साथ ही भारत की छवि आर्म इम्पोर्टर की नहें ऑर्म्ज़ इक्स्पॉर्टर की हो जाएगी॥
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आर्मेनिया का पलड़ा भारी
वस्तुतः भारत के इस कदम से तुर्की को काफ़ी आघात लगा होगा, दरअसल तुर्की अजरबैजान को इस युद्ध में खुलकर समर्थन करता है एवं युद्ध में उसे हथियार भी उपलब्ध कराता है किंतु यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अब जब आर्मेनिया के पास भारत में निर्मित हथियार होंगे तो बेशक आर्मेनिया का पलड़ा भारी होने की उम्मीद है क्योंकि मेड इन इण्डिया हथियार अपने आप में तबाही मचाने में कही आगे हैं और इनमें तुर्की के हथियारों से कही ज़्यादा मारक क्षमता है।
ऐसे में यदि भारत में बने हथियारों ने अज़रबैजान की खटिया खड़ी कर दी तो तुर्की की दोहरी हार होगी, एक तो उसके हथियार कमजोर साबित हो जाएंगे तो वहीं दूसरी तरफ भारत के हथियारों की ताक़त देखने के बाद अन्य देश तुर्की के हथियार न ख़रीदकर भारत के हथियारों को ख़रीदना पसंद करेंगे।
ऐसे में युद्ध में उसके द्वारा समर्थित देश की हार से तो उसकी थू-थू तो होगी ही वहीं दूसरी तरफ़ अपने हथियारों को विश्व भर में बेचने का उसका सपना भी धूमिल हो जाएगा जिससे उसे आर्थिक हानि भी उठानी पड़ेगी। कुल मिलकर कहें तो तुर्की इससे चारों खाने चित्त हो जाएगा, ऐसे में पाकिस्तान की बोलती ऐसे ही बंद हो जाएगी और उसे एक बड़ा सबक़ मिलेगा।
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