कभी भारत दुनिया का सबसे बड़ा आयातक हुआ करता था यानी यदि खाद्यान छोड़ दें तो हम हर चीज के लिए दुनिया के तमाम देशों पर निर्भर थे. मोबाइल के साथ भी ऐसा ही हुआ लेकिन समय बदला, परिस्थिति बदली और ‘भारत का भाग्य’ भी बदल गया. हम शुरू से ही मोबाइल का आयात कर अपनी जरुरतों को पूरा करते थे लेकिन अब स्थिति ऐसी आ गई है कि हम भारत में बने मोबाइल फोन का रिकॉर्ड मात्रा में निर्यात कर रहे हैं. इसी बीच इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने स्पष्ट किया है कि भारतीयों द्वारा उपयोग किए जा रहे 97 फीसदी से ज्यादा मोबाइल फोन अब भारत में ही बन रहे हैं. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) द्वारा आयोजित कार्यक्रम CyFY2022 में केंद्रीय मंत्री ने यह बात कही है.
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केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “2014 में भारत में उपयोग किए जाने वाले 92 प्रतिशत से अधिक मोबाइल फोन आयात किए जाते थे. आज भारत में उपयोग किए जाने वाले 97 प्रतिशत से अधिक मोबाइल फोन भारत में बने हैं. आज हम 12 अरब डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्यात करते हैं.“
हाल ही में द इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया था कि भारत का मासिक मोबाइल फोन निर्यात पहली बार $1 बिलियन (8,200 करोड़ रुपये से अधिक) को पार कर गया. ईटी के डेटा के अनुसार, अप्रैल से सितंबर माह तक मोबाइल फोन शिपमेंट 2021 में $1.7 बिलियन था जो अब दोगुना से भी अधिक होकर $ 4.2 बिलियन हो गया है. इससे पहले दिसंबर 2021 में स्मार्टफोन का सबसे बड़ा मासिक निर्यात हुआ था, तब देश से $770 मिलियन की कीमत वाले हैंडसेट निर्यात किये गये थे. मोदी सरकार द्वारा लगातार उठाए जा रहे कदमों के कारण ही देश दिन प्रतिदिन अग्रसर होते जा रहा है. सरकार द्वारा चलाई गई पीएलआई योजना का भी इसमें बड़ा योगदान रहा है.
ज्ञात हो कि हम पहले काफी ज्यादा मात्रा में मोबाइल फोन का आयात करते थे, जिसका बोझ सीधे हमारे फॉरेन रिजर्व पर पड़ता था क्योंकि विदेश से सामान मंगाने के लिए हमें डॉलर खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन अब स्थिति में जबरदस्त परिवर्तन देखने को मिला है, अब हम इस सेक्टर में आत्मनिर्भर होने की ओर बढ़ चुके हैं. अगर देखा जाए तो जो मोबाइल फोन हम अन्य देशों से आयात करते थे, उसका मूल्य भी काफी ज्यादा हो जाता था. क्योंकि इसके पीछे के टैक्स की कड़ी को आप नजरअंदाज नहीं कर सकते यानी लोगों तक पहुंचते-पहुंचते इसके मूल्य आसमानी हो जाते थे.
इन सभी चीजों को देखते हुए मोदी सरकार ‘मेक इन इंडिया’ नीति के साथ सामने आई और विदेशी कंपनियों को स्पष्ट किया कि अगर उन्हें भारत में अपने सामान बेचने हैं तो उसे भारत में ही बनाने होंगे. भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है और यही कारण रहा कि मोबाइल सेक्टर में काम कर रही तमाम दिग्गज कंपनियों को अपना स्टोर और मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भारत में खोलना पड़ा और आज नतीजा सभी के सामने है. इसका दूसरा प्रभाव यह भी रहा कि मोबाइल फोन सस्ते हो गए, फॉरेन रिजर्व पर पड़ने वाला भार कम हुआ, टैक्स-टैक्स का खेल खत्म हुआ, हमारे सॉफ्ट पावर में वृद्धि हुई और आज इस क्षेत्र में भारत अपने झंडे गाड़ रहा है.
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