अमित मालवीय ने ‘द वायर’ पर ठोंका मुकदमा, सिद्धार्थ वरदराजन ने ढूंढा ‘बलि का बकरा’

फ़ेक स्टोरी पब्लिश करो, पकड़े जाओ तो दोष दूसरों पर डाल दो, है ना बढ़िया खेल!

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कौन बोला था राजनीति उबाऊ और अझेल होती है? या तो JNU से होगा, या फिर नया-नया किसी कॉन्वेन्ट से निकला होगा, अन्यथा भारतीय राजनीति में कभी न कभी कुछ ऐसी घटना हो ही जाती है, जिसके पीछे हर व्यक्ति उत्सुक हो जाता है कि अब आगे क्या? उदाहरण के लिए फेक न्यूज के नाम पर दिन रात कांग्रेस को पुनर्स्थापित करने के हसीन स्वप्न देखने वाले द वायर के हाल बुरे होंगे।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे द वायर को अमित मालवीय ने नामजद किया और कैसे द वायर अपने आप को बचाने हेतु देवेश कुमार को बलि का बकरा बनाना चाहत है। 

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नैतिकता का ढोल

हाल ही में मेटा–द वायर विवाद के पश्चात द वायर ने एक कथित क्षमापत्र जारी किया परंतु वहां भी वह अपनी कथित नैतिकता का ढोल पीटता रहा। इससे क्रोधित होकर भाजपा सोशल मीडिया प्रभारी अमित मालवीय ने द वायर की खटिया खड़ी करने की ठान ली। उन्होंने द वायर के विरुद्ध सिविल और क्रिमिनल दोनों दायरों के अंतर्गत याचिका दायर करने का निर्णय किया है।

परंतु द वायर ने इनका क्या बिगाड़ा था? क्या बिगाड़ा, बंधुवर, खेल सारा इन्हीं से तो प्रारंभ हुआ था। ‘द वायर’ (The Wire) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय (Amit Malviya) को मेटा (Meta) से ताकतवर बताने वाली र‍िपोर्ट छापी थी, जिसे भारी फजीहत होने के बाद कंपनी ने अपनी वेबसाइट से हटा भी लिया था।

बता दें कि वामपंथी वेबपोर्टल ने एक रिपोर्ट प्रकाशित किया, जिसमें दावा किया गया था कि अमित मालवीय इतने शक्तिशाली हैं कि फेसबुक या इंस्टाग्राम पर कोई पोस्ट अच्छा न लगने पर उसे तुरंत हटवा सकते हैं। हालाँक‍ि, ‘Meta’ के कम्युनिकेशंस हेड एंडी स्टोन ने इस पूरी खबर को बनावटी करार दिया था। उन्होंने कहा था कि बनावटी दस्तावेजों के आधार पर ‘The Wire’ ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। एक अज्ञात सूत्र के आधार पर ‘The Wire’ ने दावा किया था कि अमित मालवीय ने सोशल मीडिया से 705 पोस्ट्स हटवाएं हैं, परंतु ये सारे दावे झूठे सिद्ध हुए।

इसके बाद उसने देश की छवि को बदनाम करने के बाद माफी मांगने का दिखावा कर नौटंकी भी की। हालांकि, अब इस मामले में अमित मालवीय ने कहा है कि वह ‘द वायर’, उसके मैनेजमेंट और पत्रकारों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराते हुए कानूनी कार्रवाई करेंगे। परंतु अमित मालवीय का एजेंडा स्पष्ट है – इनका जीवन का एक ही उद्देश्य है– प्रतिशोध।

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कई धाराओं के अंतर्गत एफआईआर

अमित मालवीय के लंबे चौड़े प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, वह द वायर के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी की साजिश, प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए साजिश रचने, मानहानि और आपराधिक साजिश सहित अन्य संबंधित धाराओं के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कराएंगे। इसके अलावा, वह द वायर और उसके सहयोगियों द्वारा उन्हें हुए नुकसान के लिए दीवानी कार्रवाई भी करेंगे, यानी दूसरे शब्दों में उनकी संपत्ति जब्त भी कराने पर उतर सकते हैं।

अब वैसे तो कहते हैं कि गरजते बादल बरसते नहीं, परंतु अमित मालवीय के साथ केस उल्टा है। मैटर सीरियस भी था और पानी अब सर से ऊपर निकल चुका था और बंधु वास्तव में पहुंच गए दिल्ली पुलिस के पास। इस शिकायत में ‘The Wire’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन, संपादक एमके वेणु और उप-संपादक जाह्नवी सेन का नाम लिखा है। साथ ही IPC (भारतीय दंड संहिता) की धारा-420 (धोखाधड़ी), 468 (झूठे दस्तावेजों का इस्तेमाल कर के साजिश), 469 (झूठे दस्तावेजों के सहारे किसी की मानहानि करना), 471 (जानबूझ कर झूठे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों का इस्तेमाल करना) और 500 (मानहानि) के अलावा 134B (आपराधिक साजिश) और (समान इरादे से सामूहिक अपराध) के तहत मामला दर्ज करने की मांग की गई है।

अमित मालवीय ने खुद को भाजपा की ‘इन्फॉर्मेशन एवं टेक्नोलॉजी सेल’ का राष्ट्रीय संयोजक बताते ‘फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म’ नामक संगठन का नाम भी अपनी शिकायत में लिया है, जो ‘The Wire’ को चलाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए ठगी और धोखाधड़ी का सहारा लिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि झूठे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स और फेक दस्तावेजों के सहारे उनकी मानहानि की गई है।-

https://twitter.com/rajgopal88/status/1586352327870808064

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माफी नहीं मांगने पर आपत्ति

तो अमित मालवीय को आखिर किस बात की आपत्ति है? कहने को द वायर ने अपनी ‘फेक’ रिपोर्ट के लिए अपने पाठकों से माफी मांग ली, परंतु अभी तक मेटा, अमित मालवीय और अन्य लोगों से कोई क्षमा याचना नहीं की। इस बारे में अमित मालवीय ने कहा, “स्टोरी वापस लेने के बाद भी द वायर ने मेरी प्रतिष्ठा को खराब करने और मेरे पेशेवर करियर को गंभीर नुकसान पहुंचाने के बावजूद मुझसे माफी नहीं मांगी है।”

मालवीय ने कहा, “द वायर की मेटा स्टोरी ने माहौल को खराब कर दिया है और मेरी जिम्मेदारी के कार्यों को पूरा करने के लिए वर्षों से बनाए गए रिश्तों और विश्वास को बुरी तरह से प्रभावित किया है।” उन्होंने यह भी कहा है कि इस बारे में उनके पास द वायर और उसके प्रबंधन/रिपोर्टरों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

परंतु आपको क्या लगता है, कथा यहीं समाप्त हो जाती है? नहीं बंधु नहीं। यहां से असली मजा प्रारंभ होता है। एक मुकदमा अभी और हुआ है और वो भी द वायर की ओर से, परंतु अमित मालवीय पर नहीं, देवेश कुमार पर। अब आप सोच रहे होंगे कि ये देवेश कुमार कौन है भई? देवेश कुमार वही हैं जिन्होंने टेक फॉग एवं मेटा – द वायर प्रकरण पर पूरा मायाजाल रचा था। ये इनके कथित ‘टेक एक्सपर्ट’ थे और जब मामला हाथ से बाहर निकल गया, तो जनाब पतली गली से सभी अकाउंट डिलीट कर खिसकते बने।

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देवेश कुमार पर शिकंजा

परंतु इनकी दिक्कतें वहीं पे समाप्त नहीं हुईं। जब देवेश कुमार पर शिकंजा कसने लगा, तो सिद्धार्थ वरदारजन सर्वशक्तिशाली महारक्षक बनकर देवेश के बचाव में आ गए। उन्होंने कहा, “बात केवल देवेश की नहीं, बात मेरी भी है, मैं भी इस स्टोरी में बराबर इन्वोल्व्ड था”। अब इतने कर्तव्यनिष्ठ हैं कि देवेश को ही बलि का बकरा बना दिए।

द वायर कितना सफेद झूठ बोलता है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि ‘Squarespace’ कंपनी के तकनीकी विशेषज्ञ ब्रेंट किमेल ने भी ‘द वायर’ को लताड़ते हुए कहा था कि उसके दावे सही नहीं है। वो एंडी स्टोन के साथ काम कर चुके हैं और उनका कहना है कि भले ही एक दशक से उन दोनों की बातचीत नहीं हुई, लेकिन उन्होंने कभी पहले एंडी स्टोन को उस भाषा में बात करते नहीं देखा, जैसा ईमेल में दिख रहा है।

‘द वायर’ ने दावा किया था कि ‘@fb.com’ ईमेल एड्रेस पर भेजे गए उसके ईमेल को वहां किसी ने खोला और पढ़ा, इसका उसके पास सबूत हैं। इसके लिए उसने ‘superhuman’ तकनीक का सहारा लिया जो दिखाता है कि किसी के द्वारा भेजे गए ईमेल को कितनी बार खोला गया। यह तकनीक ईमेल में एक तस्वीर डाल देता है, जिसे जितनी बार खोला जाए सूचना सेंडर के पास पहुंच जाती है। प्राइवेसी का झंडाबरदार बनने की नाटक करने वाले ‘द वायर’ की यह हरकत प्राइवेसी का खुला उल्लंघन था।

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द वायर ने पलटकर आरोप लगा दिया था

अब मामला यहीं पर नहीं थमा था, द वायर तो द वायर है भैया वो ऐसे कैसे थम जाता। उसने पलटकर आरोप लगा दिया था कि उसके टेक एक्सपर्ट का ईमेल ही हैक हो गया है। यह तो वही बात हो गई कि पाकिस्तान आतंकवाद पर विलाप कर रहा है। उसके बाद द वायर किस्म-किस्म के दावे करके अपनी खबर को सही साबित करने में लग गया था, लेकिन हाथ कुछ नहीं आया। अब देखना ये रोचक होगा कि जब तीनों न्यायालय में मिलते हैं तो किसकी लंका पहले लगती है, पर जो भी कहिए, हानि केवल और केवल वामपंथियों और फेक न्यूज मंडली की होगी।

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