‘तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं?’ आपने यह गाना तो अवश्य सुना ही होगा। अब आप सोच रहे होंगे कि हम इसकी बात क्यों कर रहे हैं? दरअसल, यह गाना हमें ‘स्पेन’ के द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था पर की गयी एक विशेष टिप्पणी को देखकर याद आया। इस समय भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे बेहतर स्थिति में है। केवल इतना ही नहीं वर्तमान समय में भारत ही वे देश है, जिसकी अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेजी से दौड़ रही हैं। यही कारण है कि कुछ देशों के लिए इसे पचाना थोड़ा कठिन हो गया हैं। इसमें एक नाम स्पेन का भी हैं। स्पेन ने एक तस्वीर के माध्यम से अपनी कुंठा दिखाते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था का उपहास उड़ाने के प्रयास किए और वह भी तब जब वो स्वयं ही गर्त में जा रहा है और दिवालिया होने की कगार पर खड़ा है।
आज के समय में देखा जाए तो पूरी दुनिया भारत का लोहा मान रही है। हर तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था की तरक्की की प्रशंसा हो रही है। वहीं पश्चिमी देशों को इससे बड़ी ही समस्या या फिर कहे जलन हो रही हैं। अपनी इस जलन को व्यक्त करने के लिए वो न जाने किन-किन अतरंगी चीज़ों का सहारा ले रहे हैं।
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सपेरे के जरिए दिखाई भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ
दरअसल, स्पेन के एक अखबार ला वैनगार्डिया ने अपने पहले पन्ने पर भारत के आर्थिक विकास को एक ग्राफ के जरिये दिखाने की कोशिश की है। इस ग्राफ के माध्यम से उसने भारत की इकोनॉमी को ऊपर की ओर जाते हुए दिखाया है, लेकिन इसके लिए स्पेनिश अखबार ने जो तरीका अपनाया वो भारतीयों को तो कतई पसंद नहीं रहा। कई बार स्वंय दिवालिया रह चुका स्पेन ने भारत की अर्थव्यवस्था को सपेरे के माध्यम से दिखाने का प्रयास कर रहा है।
स्पेनिश अखबार ला वैनगार्डिया ने भारतीय अर्थव्यवस्था की तरक्की पर अपनी एक रिपोर्ट में एक सपेरे के कैरिकेचर का प्रयोग किया है। इस न्यूज पेपर ने 9 अक्टूबर को अपने पहले पन्ने पर सांप और सपेरे को व्यंग्य के साथ प्रकाशित कर भारत का आर्थिक विकास के बारे में बताया गया है। इसकी हेडलाइन में लिखा है– ‘भारतीय अर्थव्यवस्था का समय‘। तस्वीर को देखकर साफ साफ पता चल रहा है कि स्पेन भारतीय अर्थव्यवस्था पर तीखी बातें शहद मे डूबकर कहने की कोशिश कर रहा है, परंतु उसका यह प्रयास एकदम नाकाम साबित हुआ।
ज़ेरोधा के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी नितिन कामथ ने स्पेन के अखबार की इस हरकत को लेकर ट्विटर पर टिप्पणी करते हुए कहा- “ये बात अच्छी है कि दुनिया हमारी इकोनॉमी को नोटिस कर रही है। लेकिन जिस तरह से एक ग्राफ में एक सपेरे को दिखाया गया है वे एक काफी अपमानजनक है। इसे रोकने के लिए क्या करना चाहिए। शायद वैश्विक भारतीय उत्पाद?।”
"The hour of the Indian economy," says La Vanguardia, a leading Spanish daily.
Quite cool that the world is taking notice, but the cultural caricaturing, a snake charmer to represent India, is an insult.
Wonder what it takes for this to stop; maybe global Indian products? pic.twitter.com/YY3ribZIaq— Nithin Kamath (@Nithin0dha) October 13, 2022
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर एक विवाद छिड़ गया है। भारतीय लोग इस पर अपना गुस्सा प्रकट करते नजर आ रहे हैं। बेंगलुरु सेंट्रल से भाजपा के लोकसभा सांसद पीसी मोहन ने ट्विटर पर इसे लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा- “एक स्पेनिश साप्ताहिक की ये शीर्ष कहानी “भारतीय अर्थव्यवस्था का समय” है, जबकि भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था को वैश्विक मान्यता मिलती है। आजादी के दशकों के बाद भी हमारी छवि को सपेरों के रूप में चित्रित करना सरासर मूर्खता ही है। विदेशी मानसिकता को खत्म करना एक जटिल प्रयास है।”
"The hour of the Indian economy" is the top story of a #Spanish weekly.
While #India's strong economy gets global recognition, portraying our image as snake charmers even after decades of independence is sheer stupidity.
Decolonising the foreign mindset is a complex endeavour. pic.twitter.com/pdXvF7n4N7
— P C Mohan (Modi Ka Parivar) (@PCMohanMP) October 13, 2022
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दुनियाभर में बज रहा भारत का डंका
आज पूरी दुनिया भारत की बढ़ती ताकत को देख रही है। भारत ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका हैं। अब भारत से आगे सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी ही रह गए हैं। संभावना जतायी जा रही हैं कि मौजूदा विकास दर पर भारत 2027 तक जर्मनी और 2029 तक जापान से आगे निकलकर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसे वैश्विक संगठन तक आज भारत की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने भारत के विकास की प्रशंसा करते हुए कहा था कि साल 2022 में भारत की आर्थिक वृद्धि को 6.1 प्रतिशत पर अनुमानित की गयी है, जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। इसके अलावा बीते दिनों ही IMF ने भारत की डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर स्कीम (DBT) की खूब सराहना करते हुए इसे ‘चमत्कार’ बताया था। केवल इतना ही नहीं IMF ने तो यह तक कहा था कि भारत में 10 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का दम है, बस इसे पाने के लिए उसे कुछ महत्वपूर्ण ढांचागत सुधार करने होंगे।
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पश्चिमी देशों की जलन
गौर करने वाली है भारत देश की अर्थव्यवस्था का मजाक तो वो देश बना रहा है, जिसकी अर्थव्यवस्था खुद ही 8 बार मुंह के बल गिर चुकी हैं। जी हां, आपने सही सुना। 19वीं सदी में स्पेन की अर्थव्यवस्था आठ बार डूब चुकी हैं। औपनिवेशक काल के अंत तक स्पेन को संसाधनों के कमी और ऊंचे सार्वजनिक व्यय की समस्या का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद वहां की सरकार को बजट कटौती कार्यक्रम को चलाकर स्थिति को सामान्य करना पड़ा। अभी भी उसकी हालत कुछ खास अच्छी नहीं है। मौजूदा समय में स्पेन मंदी का सामना कर रहा था। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था पर तो इस तरह टिप्पणी करना उसे बिल्कुल भी शोभा नहीं देता है।
काफी लंबे समय तक पश्चिम भारत को सपेरों का देश कहकर बुलाता था। इससे जरिए वे यह जताने के प्रयास करते थे कि कितने पिछड़े और सभ्यता से दूर रहने वाले लोग हैं। परंतु उनकी इस बेफिजूल की बातों का हमने अपनी तरक्की से जवाब दिया। लेकिन फिर भी इन पश्चिमी देशों की कुंठा है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही। यह अभी तक भारत को लेकर अपनी वही पिछड़ी हुई मानसिकता लेकर चलते आ रहे हैं। खैर, यह पश्चिमी देश जितना जलेंगे, भारत उतनी ही तरक्की करेगा। ऐसे में देखा जाए तो इन पश्चिमी देशों की यह जलन अच्छी ही है।
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