बांग्लादेश: इस्लामिस्टों ने सदियों पुरानी मां काली की मूर्ति को तहस नहस कर दिया, शेख हसीना मौन हैं!

मां काली के प्रकोप से यह बच नहीं पाएंगे!

Bangladesh Temple Attack

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Bangladesh Temple Attack: बांग्लादेश की स्थिति कैसी है, उम्मीद है उससे आप भली-भांति परिचित होंगे. राष्ट्र की हालत गंभीर है, अर्थव्यवस्था गर्त में समा चुकी है, कट्टरपंथियों ने हालात को दयनीय बना रखा है, अल्पसंख्यक बेमौत मारे जा रहे हैं. हिंदुओं के प्रतीक चिह्नों को निशाना बनाया जा रहा है. पिछले कुछ समय में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों में वृद्धि देखने को मिली है. मंदिरों को निशाना बनाए जाने की कई खबरें सामने आती रहती हैं. कई मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं भी देखने को मिल चुकी है. इसी बीच खबर है कि बांग्लादेश में औपनिवेशिक काल में हिंदू मंदिर में स्थापित मां काली की मूर्ति को कट्टरपंथियों ने खंडित (Bangladesh Temple Attack) कर दिया है. लीपा पोती करने में माहिर बांग्लादेश पुलिस आरोपियों को अभी तक पकड़ नहीं पाई है और ऐसा बताया जा रहा है कि आरोपियों का पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया गया है.

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समाचार पोर्टल ‘बीडीन्यूज डॉट कॉम’ ने मंदिर समिति के अध्यक्ष सुकुमार कुंडा के हवाले से बताया कि बांग्लादेश के झेनाइदाह जिले के दौतिया गांव में काली मंदिर में अधिकारियों को खंडित मूर्ति के टुकड़े मिले. मूर्ति का ऊपरी हिस्सा मंदिर परिसर से आधा किलोमीटर दूर सड़क पर पड़ा हुआ था. उन्होंने कहा, काली मंदिर औपनिवेशिक काल से ही हिंदुओं का पूजा स्थल रहा है. यह घटना बांग्लादेश में 10 दिवसीय वार्षिक दुर्गा पूजा उत्सव के समाप्त होने के 24 घंटे से कुछ अधिक समय बाद हुई है. बांग्लादेश पूजा उत्सव परिषद के महासचिव चंदनाथ पोद्दार का कहना है कि ‘घटना रात में झेनाइदाह के मंदिर में हुई.’ ढाका विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर पोद्दार ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.

इससे पहले भी होते रहे हैं हमले

ज्ञात हो कि पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे मामलों (Bangladesh Temple Attack) में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली है. पिछले वर्ष दुर्गा पूजा के अवसर पर भी सांप्रदायिक हिंसा देखने को मिली थी, जिसमें करीब 6 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे. हालांकि, बांग्लादेश में मंदिरों पर हुए हमले की बात करें तो यह कोई नयी बात नहीं है. इसी वर्ष 17 मार्च को ढाका के इस्कॉन राधाकांत मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी और मूर्तियों को चुरा लिया गया था और तब भी वैश्विक विरादरी ने इस मामले पर चुप्पी साधे रखा था.

वहीं, बात वर्ष 2020 की करें तो उस वर्ष विभिन्न घटनाओं में कम से कम 149 हिंदुओं को मौत के घाट उतारा गया और इस दौरान 7036 हिंदू घायल भी हुए थे. जटिया हिंदू महाजोत संगठन के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में 94 हिंदुओं का अपहरण कर उन्हें निशाना बनाया गया और इसके साथ ही 2623 हिंदुओं को जबरन इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया गया.

बता दें कि बांग्लादेश की आबादी करीब 16 करोड़ 90 लाख है और इस आबादी में लगभग 10 प्रतिशत हिंदू हैं. लेकिन यहां हिंदुओं के अधिकारों का दमन आये दिन देखने को मिलते रहता है. ऐसे में कई प्रश्न भी उठते हैं कि आखिर बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं का दोष क्या है? आखिर वे कब तक यह सबकुछ सहते रहेंगे? क्या अब वो समय नहीं आ गया जब इस पूरे मामले में भारत को हस्तक्षेप करना चाहिए?

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