कुछ समय पहले तक TFI की रिपोर्ट का मजाक बना रहा था BYJUs, अब सच्चाई सामने है

BYJUs के लिए सबक है ये ​

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TFI द्वारा BYJUs पर की गयी भविष्यवाणी सत्य साबित हो रही है। 

आप कितना भी सच से मुंह मो़ड़ने की कोशिश क्यों न कर लें, परंतु आज नहीं तो कल यह सबसे सामने आ ही जाता है। यह बात भारत की एडटेक की सबसे बड़ी कंपनी BYJUs के लिए एकदम ठीक बैठती है। TFI आपको बीते कुछ माह से आपको लगातार यह बताता आ रहा है कि BYJUs बर्बादी की कगार पर पहुंच रही है। कंपनी दिवालिया होने वाली है। BYJUs ने इस सच्चाई से मुंह मोड़ने की लाख कोशिश की। यहां तक कि BYJUs की संस्थापक ने TFI की रिपोर्ट्स का मजाक बनाने तक की कोशिश की, परंतु धीरे धीरे ही सही उसकी सच्चाई सबके सामने आने लगी है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि BYJUs एडटेक के क्षेत्र में क्रांति लेकर आयीं। BYJUs के आने से पहले ऑनलाइन पढ़ाई करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थीं। कोरोना महामारी का समय तो BYJUs के लिए किसी वरदान से कम नहीं साबित हुआ। परंतु जैसे जैसे कोरोना विदा होने लगा और स्थिति सामान्य होने लगी BYJUs के अच्छे दिन लद गए। कंपनी की हालत अब काफी खस्ता होती चली जा रही है। हमने जब BYJUs को यह सच्चाई बतायी तो TFI के लिखे लेख पर कंपनी की संस्थापक दिव्या गोकुलनाथ भड़क गयी थी। लेकिन अब BYJUs को लेकर जो लेकर जो खबर सामने आ रही है, वो यह बताने के लिए काफी है कि मौजूदा समय में कंपनी की स्थिति कैसी है?

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बड़ी छंटनी की तैयारी में BYJUs

दरअसल, BYJUs बड़े पैमाने पर छंटनी करने की तैयारी में हैं। कंपनी आने वाले छह महीनों में अपनी 5 फीसदी कार्यबल की कटौती करने वाली है। रिपोर्ट्स के अनुसार BYJUs ने लगभग 2500 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की योजना बना ली। कर्मचारियों की इतनी बड़ी संख्या में यह कटौती टेक्नोलॉजी के साथ-साथ कई विभागों में होगी। कंपनी के इस निर्णय के पीछे का कारण कॉस्ट कटिंग बताया जा रहा है। कॉस्ट कटिंग के नाम पर कंपनी इस बड़ी छंटनी की तैयारी कर रही है। यहां जान लें कि BYJUs में 50 हजार से अधिक कर्मचारियों काम करते हैं।

BYJUs के सह-संस्थापक दिव्या गोकुलनाथ के अनुसार  कंपनी विदेशों में ब्रांड को स्थापित करने पर अपना विशेष ध्यान केंद्रित करने वाली है। इसके लिए भारत के साथ-साथ इंटरनेशनल स्तर पर भी कुल 10,000 शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा। गोकुलनाथ ने आगे कहा है कि हमने लाभ के लिए यह एक रास्ता तैयार किया है जिसे हम मार्च 2023 तक हासिल करने की पूरी योजना बना रहे हैं।

एक साथ इतने सारे कर्मचारियों को निकालने के पीछे एक मात्र ‘लाभ’ कारण देना कुछ हजम नहीं हो रहा है। कहीं TFI के माध्यम से कुछ समय पहले दी जाने वाली रिपोर्ट सच तो साबित हो रही, जिसे BYJUs की संस्थापक महोदया ने स्वीकार से इनकार कर दिया था?

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4500 करोड़ के घाटे में BYJUs 

BYJUs कंपनी डूबने की कगार पर आकर खड़ी हो रही है। कोरोना के बाद से ही कंपनी लगातार घाटे में चल रही है। हाल ही में आयी कुछ रिपोर्ट को देखें तो कंपनी का घाटा लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है। वैसे तो TFI के द्वारा आपको लगातार ही इस बात की जानकारी दी जा रही थी कि दो वर्षों पूर्व जो BYJUs लाभ की ओर अग्रसर थी वो धीरे-धीरे किस तरह से बर्बादी की खाई में जाने लगी है। वित्त वर्ष 2020-21 के आंकड़ों को देखें तो BYJUs का घाटा 17 गुना तक बढ़ गया था। कंपनी को 4500 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था, जो एक वर्ष पूर्व यानी वित्त वर्ष 2019-20 में 262 करोड़ रुपये का था। इसके साथ ही कंपनी के राजस्व में भी भारी कमी देखने को मिली थी। BYJUs का राजस्व 2020-21 में 14 फीसदी घटकर 2428 करोड़ रुपये पर चला गया था। जबकि पिछले वित्त वर्ष में कंपनी का राजस्व 2704 करोड़ रुपये का था।

आपके पसंदीदा प्लेटफॉर्म TFI के  द्वारा पहले भी एक लेख से BYJUs की वित्त स्थिति का सच सबके सामने लाने की कोशिश की थी। परंतु यह लेख कंपनी की को-फाउंडर दिव्या गोकुलनाथ को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था और इसे पढ़कर वे आगबबूला हो गयी थी। इस लेख पर दिव्या गोकुलनाथ ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। दिव्या गोकुलनाथ ने लिंक्डइन के माध्यम से  अपनी पोस्ट साझा करते हुए कहा– “ब्रह्मास्त्र के बाद इस साल की दूसरी ब्लॉकबस्टर रिलीज BYJUs के वित्तीय परिणाम थे। मैंने अभी तक ब्रह्मास्त्र नहीं देखी है, लेकिन मुझे BYJUs के परिणाम पता हैं क्योंकि एक निदेशक के रूप में मैं इसके निर्माण में शामिल थी।”

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हमारे द्वारा बताए जाने वाले आकड़ों पर BYJUs की को-फाउंडर दिव्या गोकुलनाथ का इस तरह से प्रतिक्रिया देना इस बात का जीता-जागता प्रमाण था कि ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’ और अब यह तिनका स्पष्ट रूप से सबके सामने आने लगा है। पहले तो भले ही दिव्या ने TFI ने उस समय सच को स्वीकार न किया हो, परंतु BYJUs के द्वारा इतने सारे कर्मचारियों को एक साथ निकालने के पीछे का कारण कंपनी की खस्ता हालत ही नजर आती है। ऐसे में प्रश्न यही उठता है कि अब नहीं तो आखिर कब कंपनी के उच्च पदों पर बैठे लोग अपनी अपनी आंखे खोलेंगे और वास्तविकता को स्वीकार करेंगे? कहीं जब तक उन्हें इसका एहसास हो तब तक देर न हो जाए।

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