क्षत्रिय : एवं क्षत्रिय की उत्पत्ति

Chhatriy

क्षत्रिय : एवं क्षत्रिय की उत्पत्ति

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे क्षत्रिय के बारे में साथ ही इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.

प्राचीन भारतीय समाज चार वर्णों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में बंटा हुआ था। इन वर्णों के कार्य और जिम्मेदारियां निश्चित थीं। इनमे से ब्राह्मण यज्ञ और पुरोहित का कार्य करते थे वहीँ क्षत्रिय समाज की सुरक्षा के लिए जाने जाते थें। वैश्यों का व्यापार और शूद्रों के लिए सेवा कार्य निश्चित थे। इन वर्णों में क्षत्रिय अपनी वीरता और साहस के लिए जाने जाते थे और इस वर्ण में वैसे ही लोग होते थे जो सैन्य कुशलता में प्रवीण और शासक प्रवृति के होते थे। अतः युद्ध और सुरक्षा की जिम्मेदारी का निर्वाहन करने वाला वर्ण क्षत्रिय कहलाता था। इतिहास और साहित्य में कई क्षत्रिय राजाओं का वर्णन हुआ है जिनमे अयोध्या के राजा श्री राम, कृष्ण, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप आदि प्रमुख हैं। क्षत्रियों के वंशज वर्तमान में राजपूत के रूप में जाने जाते हैं।

क्षत्रिय की उत्पत्ति –

प्राचीन सिद्धांतों और मान्यताओं के अनुसार क्षत्रिय की उत्पत्ति ब्रह्मा की भुजाओं से हुई मानी जाती है। एक और कथा के अनुसार क्षत्रियों की उत्पत्ति अग्नि से हुई थी। कुछ लोग अग्निकुला के इस सिद्धांत विदेशियों को भारतीय समाज में शामिल होने के लिए किये गए शुद्धिकरण की प्रक्रिया के रूप में देखते हैं। अग्निकुला सिद्धांत का वर्णन चन्दवरदाई रचित पृथ्वीराज रासो में आता है जिसके अनुसार वशिष्ठ मुनि ने आबू पर्वत पर चार क्षत्रिय जातियों को उत्पन्न किया था जिसमे प्रतिहार, परमार, चौहान और चालुक्य या सोलंकी थे।

क्षत्रिय वर्ग का मुख्य कर्तव्य युद्ध काल में समाज की रक्षा के लिए युद्ध करना तथा शांति काल में सुशासन प्रदान करना होता था।

क्षत्रिय और राजपूत में क्या अंतर  –

FAQ

Ques- राजपूत काल कब से कब तक माना जाता है?

Ans- भारतीय इतिहास के विवरणों में हर्षवर्धन के उपरान्त के कालखण्ड, सातवीं से बारहवीं शताब्दी के दौर को “राजपूत युग” कहा जाता है। राजपूत काल  7 वीं शताब्दी से 12 वीं शताब्दी तक की 500 वर्ष की अवधि (यानी मुस्लिम तुर्कों के आने तक) को राजपूत काल कहा जा सकता है।

Ques- राजपूत और ठाकुर में क्या अंतर है?

Ans- राजपूत और ठाकुर दोनों से बहुत पुराना है क्षत्रिय शब्द का वर्णन वेदों मैं मिलता है क्षत्रियों एक वर्ण है जिनका का धर्म देश और जनता की रक्षा करना होता है क्षत्रिय कोई भी बन सकता है। राजपूत का मतलब धरती का पुत्र होता है और राजपुत्र का मतलब राजा का पुत्र । ठाकूर एक पदवी है जो राजपूतो को दिया जाता है .

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