कांच के निर्यात पर चीन की चालबाजी ध्वस्त, डंपिंग रोधी जांच से नकेल कस रहा है भारत

चीन रंगे हाथों पकड़ा गया है

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कोरोना महामारी के चलते देश भारी आर्थिक संकट की दहलीज़ पर पहुंचा गया था। उस समय जहां कई देश और उनकी सरकारें इस जानलेवा संकट के सामने घुटने टेकने को मजबूर हो गयी थीं, वहीं उस दौरान भारत सरकार इस आर्थिक संकट से देश को बाहर निकालने के लिए नयी-नयी योजनाओं और अभियानों का सहारा ले रही थी। उन्हीं में से एक है ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ जिसे आरंभ करने के पीछे सरकार का एक बड़ा उद्देश्य रहा है।

डंपिंग रोधी जांच

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश सतत रूप से अग्रसर हो रहा है, इसी के चलते केंद्र सरकार ने घरेलू उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए एक नया कदम उठाया है। भारत ने घरेलू कंपनी के द्वारा मिलने वाली शिकायतों के बाद से चीन से आयातित ग्लास पर डंपिंग रोधी जांच शुरू कर दी है। चीन से आयातित इन ग्लास का उपयोग घरेलू उपकरणों के रूप में किया जा सकता है। भारत की इस विशेष पहल के पीछे सस्ते चीनी आयात से घरेलू उद्योग को सुरक्षित रखना है। सस्ते आयात में आने वाले उछाल के कारण घरेलू उद्योगों को हानि हुई है या नहीं इस बात का फैसला करने के लिए देशों द्वारा एंटी-डंपिंग जांच की जाती है।

वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) घरेलू उपकरणों के लिए 1.8 एमएम से 8 एमएम तक की मोटाई और 0.4 वर्गमीटर या उससे कम के क्षेत्र में चीन से बनने या फिर वहां से निर्यात किए जाने वाले ‘कठोर कांच’ के कथित डंपिंग की जांच शुरू कर दी है।

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घरेलू उद्योग पर पड़ा प्रतिकूल प्रभाव

सेफ्टी/स्पेशियलिटी ग्लास प्रोसेसर के संघ, फेडरेशन ऑफ सेफ्टी ग्लास ने डंपिंग रोधी जांच को आरंभ करने के लिए एक आवेदन दायर कर दिया है। आवेदक ने इसमें आरोप लगाया है कि इस तरह से कांच को डंप करने से घरेलू उद्योग पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा हैं।”

यदि यहां पर ये बात साबित हो जाती है कि डंपिंग से घरेलू उत्पादों को किसी भी तरह की क्षति पहुंची है, तो डीजीटीआर इन आयातों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने का आग्रह करेगा। महानिदेशालय के अनुसार, घरेलू उद्योग की शिकायत और उसके विषय में प्राप्त होने वाले साक्ष्यों की पूरी तरह से पुष्टि करने के बाद इस मामले की जांच शुरू की है।

ये पहली बार नहीं है जब भारत ने चीन की चालाकियों को रंगे हाथ पकड़ा है। इससे पहले बीते साल भी केंद्र सरकार ने पांच चीनी सामानों पर पांच साल के लिए डंपिंग रोधी शुल्क लगाने का निर्णय लिया था। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी। जिसके तहत एल्यूमीनियम के कुछ फ्लैट रोल्ड उत्पादों, सोडियम हाइड्रोसल्फाइट, सिलिकान सीलेंट, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन कंपोनेंट आर-32 और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन मिश्रण पर शुल्क लगा दिया गया था। यह शुल्क वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा (डीजीटीआर) के द्वारा अनुरोध के बाद लगाया गया था। डीजीटीआर ने अपनी जांच में पाया था कि इन सभी उत्पादों को भारतीय बाजारों में सामान्य मूल्य से बहुत कम मूल्य पर निर्यात किया जा रहा था, जिसके परिणामस्वरूप इसे डंपिंग का नाम दिया गया था।

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पांच साल के लिए शुल्क लगाने का फैसला

डीजीटीआर ने कहा था कि डंपिंग से घरेलू उद्योगों को बहुत अधिक क्षति पहुंची है। इसी तरह ईरान, ओमान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से कैलक्लाइंड जिप्सम पाउडर के आयात पर भी पांच साल के लिए शुल्क लगाने का फैसला लिया था।

चीन और भारत जेनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य हैं। अप्रैल-सितंबर 2021 की अवधि के समय चीन को भारत का निर्यात 12.26 अरब डॉलर का था, वहीं आयात 42.33 अरब डॉलर का था, जिससे 30.07 अरब डॉलर का व्यापार घाटा सामने आया था।

पहले भी शुरू हो चुकी है जांच

अभी कुछ दिनों पहले भी भारत ने चीन से औद्योगिकी लेजर मशीन के आयात पर भी डंपिंग रोधी जांच शुरू की है। इस मशीन का उपयोग वेल्डिंग, काटने और ‘मार्किंग’ जैसे कार्यों को करने के लिए जाता है। सहजानंद लेजर टेक्नोलॉजी के द्वारा दायर किए गए इस आवेदन में डंपिंग रोधी जांच शुरू करने का आग्रह किया था। आवेदन में इस बात का आरोप था कि मशीनों की डंपिंग से घरेलू उद्योग पर काफी ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

भारत चीन के साथ-साथ कई देशों से सस्ते आयात से निपटने के लिए पहले ही कई उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगा चुका है। अपनी एक अलग अधिसूचना में, DGTR ने ये बात कही है कि उसने इस बात की भी जांच आरंभ कर दी है कि क्या चीन से ‘हाई टेनसिटी पॉलिएस्टर यार्न’ पर लगातार डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की आवश्यकता है या नहीं।

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रिलायंस इंडस्ट्रीज ने यार्न के आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क की निर्णायक समीक्षा की जांच हेतु एक आवेदन दायर कर दिया है। घरेलू उद्योग को समान अवसर प्रदान करने के लिए डंपिंग रोधी उपाय किए जाते हैं। चीन से आयातित ग्लास पर डंपिंग रोधी जांच शुरू करने के पीछे भारत सरकार का उद्देश्य घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देना है और साथ ही देश को पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनाना भी है।  इसीलिए अब चीन को इस तरह की डंपिंग का सहारा लेकर भारत में अपने व्यापारों को जमाने का सपना देखना छोड़ देना चाहिए।

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