गोहत्यारे, मुस्लिम चरमपंथी और देशद्रोही, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का वास्तविक उद्देश्य क्या है?

'भारत जोड़ो यात्रा' कांग्रेस के वास्तविक चेहरे को प्रदर्शित कर रही है।

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हर सच तो झूठ का ही एक अंश है क्योंकि सबसे बड़ा झूठ तो हमारा अस्तित्व ही है, कुछ इसी उधेड़ बुन में फंसी कांग्रेस को अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है। 1885 में जन्मी कांग्रेस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक समय लगभग पूरे भारत में राज करने वाली पार्टी की स्थिति कुछ ऐसी हो जाएगी कि उसे अपना अस्तित्व बचाने के लिए भी लड़ना पड़ेगा। कहते हैं कि अगर संतान नालायक निकल जाए तो बाप कितना ही धन क्यों न छोड़कर चला जाए उसका कपूत सब कुछ बेंच ही खाएगा। ये बात सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर सटीक बैठता है।

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चापलूसों और परिवारवाद में घिरी कांग्रेस

ध्यातव्य हो कि यह वही कांग्रेस है जिसके सदस्य सुभाष चंद्र बोस, पटेल, नेहरू, राजेंद्र प्रसाद एवं गांधी जैसे लोग रहे हैं किंतु राजनीति में लोग अक्सर वर्तमान देखते हैं आपका इतिहास उनके निर्णयों को अधिक प्रभावित नहीं कर सकता है। फिर कांग्रेस चापलूसों और परिवारवाद में कुछ इस प्रकार से घिर गयी कि वहां से निकलने की वो नाकाम कोशिश आज तक कर रही है। यहां एक बात जो कांग्रेस से सीखने योग्य है वो है लाख बेज़्ज़ती हो जाने के बाद भी कैसे हिम्मत न हारें। कई बार लॉन्च हो चुके राहुल बाबा अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं किंतु हाथ क्या आता है, बाबा जी का ठुल्लू।

एक बार फिर राहुल बाबा ने कमर कसते हुए कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा का आह्वान किया, लेकिन भारत जोड़ने वाली यह यात्रा तो कांग्रेस छोड़ो यात्रा बन गयी है। जहां राहुल गांधी कांग्रेस की भूमि मजबूत बनाने निकले थे वहीं गोवा विधानसभा में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। 11 कांग्रेस विधायकों में से 8 भाजपा में शामिल होने की राह पर निकल पड़े हैं। इस सामूहिक दलबदल के बाद 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में कांग्रेस की ताकत घटकर महज 3 विधायकों तक रह गई है। कुल मिलाकर खाया पिया कुछ नहीं और गिलास तोड़ा बारह आने।

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राहुल गांधी और पादरी जॉर्ज पोन्नैया

किंतु फिर भी ये राहुल गांधी हैं, जो बेइज्जती के बाद भी मैदान छोड़कर जाने को तैयार नहीं हैं, अपनी इस यात्रा के दौरान वे ऐसे-ऐसे महान लोगों से मिले जिन्होंने कांग्रेस की डूबती नाव में 2-4 छेद और कर ही दिया। याद करिए भारत को जोड़ने निकले राहुल गांधी पादरी जॉर्ज पोन्नैया से मिले थे, ये वही पादरी थे जो भारत माता को अपशब्द बोल चुके हैं। पिछले ही साल इस पादरी ने यह कहते हुए भारत माता का अपमान किया था कि वह गंदी है और खुजली का कारण बन सकती है।

तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में अपने सार्वजनिक संबोधन के दौरान इस पादरी ने धरती माता के सम्मान में जूते नहीं पहनने के लिए भाजपा उम्मीदवार एमआर गांधी का मजाक भी उड़ाया था, इतना ही नहीं इसी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जब राहुल गांधी इससे मिले तो इसने माता शक्ति का भी उपहास उड़ाया और राहुल गांधी ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी।

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में बच्चे तक को नहीं छोड़ा गया। दरअसल, एनसीपीसीआर ने आरोप लगाते हुए कहा कि केवल वयस्क ही राजनीतिक दल का हिस्सा हो सकते हैं ऐसे में बच्चों को इस तरह से शामिल करना चुनाव आयोग के नियमों के विरुद्ध है। बहरहाल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में आपको भर-भर के ऐसे-ऐसे एंटी नेशनल लोग देखने को मिले जिनकी उपस्थिति ने यह साफ कर दिया कि यह भारत को जोड़ने की यात्रा नहीं बल्कि उसे तोड़ने का षड्यंत्र है।

अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी गो तस्कर से भी मिले, इससे तो इनकी यात्रा की मंशा तो और साफ-साफ दिख जाती है। अपनी राजनीतिक इच्छा की पूर्ति के क्रम में राहुल गांधी इस कदर उत्साहित हो गए की वह गौ हत्या करने वाले रिजिल मकूट्टी से भी मिल बैठे, कांग्रेस का दोहरा चरित्र तो देखिए की जिस युवा कांग्रेस नेता रिजिल मकुट्टी को बीफ प्रतिबंध के विरोध में एक बछड़े को जान से मारने के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया था, उसी से राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के क्रम में मिलते हुए दिखायी दिए।

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सोनिया गांधी की नपी तुली चाल

एक तरफ़ जहां युवराज बाहर से कांग्रेस को सम्भालने में लगे हैं तो वही दूसरी तरफ़ राजमाता यानी सोनिया गांधी अंदर से कांग्रेस की मरम्मत कर रही है। जी हां कोंग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव हो रहा है, वही अध्यक्ष पद जो कभी सोनिया गांधी तो कभी राहुल गांधी के पास रहता था, लेकिन हर मुमकिन कोशिश करने के बावजूद सोनिया गांधी जब इस पद को बचा न सकीं तो बड़े ही नाटकीय ढंग से मल्लिकर्जुन खड़गे की एंट्री कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए करायी, सब जानते हैं कि खड़गे सोनिया गांधी के कितने खास आदमी हैं।

इस तरह से सोनिया गांधी नपी तुली चाल के तहत खगड़े को कांग्रेस का अध्यक्ष बना भी देंगी तब भी कमान अपने ही हाथों में लिए रहेंगी। सत्ता की मलाई चाटने का सुख ही अलग होता है, अब जब कांग्रेस को अपनी बची हुई सत्ता भी जाती हुई दिख रही है तो वह डूबते हुए व्यक्ति की तरह खूब हाथ पैर मारकर स्वयं को बचाने का भरसक प्रयास कर रही है। अब आगे देखना रोचक होगा कि कोंग्रेस के ये पैंतरे उसे संकट से उबार पाएंगे या नहीं।

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