देश में दो रायता नरेश हैं ऐसा समय-समय पर प्रतीत होता है, इनके रहते फिल्मों की क्या आवश्यकता, मनोरंजन तो यही प्रदान कर देते हैं। एक तो निस्संदेह अपने आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल हैं। दूसरे हैं द वायर, जो आए दिन चर्चा में बना रहता है और इस बार भी चर्चा में है वो भी एक फिर गलत कारणों से ही।
Meta के साथ विवाद
असल में फ़ेसबुक का प्रबंधन संभालने वाली कंपनी Meta के साथ डेटा के संबंध में कुछ जबरदस्त विवाद उत्पन्न हुआ। ऐसा प्रतीत हुआ मानो द वायर ने Meta के साथ गड़बड़झाला किया, जिससे ध्यान हटाने के लिए द वायर ने उलटे भाजपा सोशल मीडिया प्रमुख अमित मालवीय को लपेटे में लेते हुए उन्हें तानाशाही सिद्ध करने का प्रयास किया।
भाजपा की आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय को बदनाम करने का ठेका द वायर ने उठाया है। उसका दावा है कि उक्त इंस्टाग्राम हैंडल को ‘प्राइवेट’ मोड में जाने के लिए सिर्फ इसीलिए मजबूर कर दिया गया, क्योंकि उसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा था। सबसे बड़ी बात तो ये है कि मनोविज्ञान में स्नातक करने वाले व्यक्ति से जटिल तकनीकी मुद्दों पर लेख लिखवाया गया। इसमें दावा किया गया कि अमित मालवीय के पास ‘XCheck’ वाला दर्जा मिला हुआ है, जिससे वो किसी भी पोस्ट को रिपोर्ट कर के हटवा सकते हैं और कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा।
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‘The Wire’ का दावा
दावा है कि दुनिया भर में चंद बड़े सेलब्रिटीज और हस्तियों को ये सुविधा मिली हुई है। एक अज्ञात सूत्र के आधार पर ‘The Wire’ ने दावा किया कि अमित मालवीय ने सोशल मीडिया से 705 पोस्ट्स हटवाए। ‘The Wire’ को कर रहा है, वो इस्लामी और वामपंथी प्रोपगेंडा के अनुरूप ही है। हमने देखा कि कैसे ट्विटर ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हैंडल को हटाया और वहां के चुनावों को प्रभावित किया। ‘The Wire’ कुछेक तकनीकी चीजों का नाम लेकर सोच रहा है कि लोग इसे सही मान लेंगे। परंतु पोल तब खुल गई जब ‘Meta’ के कम्युनिकेशंस हेड एंडी स्टोन ने इस पूरी खबर को बनावटी करार दिया।
उन्होंने कहा कि बनावटी दस्तावेजों के आधार पर ‘The Wire’ ने इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। हालांकि, जब ‘The Wire’ ने ठेका ले ही लिया था तो वो क्यों पीछे हटता। उसने एक अलग रिपोर्ट लिख कर दावा किया कि जिन दस्तावेजों के आधार पर उसने रिपोर्ट बनाया है वो फर्जी नहीं हैं। फिर उसने एंडी स्टोन का एक ईमेल दिखाया, जिसमें उन्होंने कथित रूप से कंपनी के आंतरिक दस्तावेजों के लीक होने पर आपत्ति जताई थी –
Where to even begin with this story?! X-check has nothing to do with the ability to report posts. The posts in question were surfaced for review by automated systems, not humans. And the underlying documentation appears to be fabricated.
— Andy Stone (@andymstone) October 11, 2022
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पूरा मामला फर्जी है
अब मामला यहीं पर थम जाए तो कोई बात हो पर द वायर द वायर ठहरा, नौटंकी करने से बाज थोड़े ही आएगा। उसने पलटकर आरोप लगा दिया कि उसके टेक एक्सपर्ट का ईमेल हैक हो गया है। ये तो वही बात हो गई कि पाकिस्तान आतंकवाद पर विलाप कर रहा है। परंतु ये तो कुछ भी नहीं है, अब किस्म-किस्म के दावे करके प्रोपेगंडा पोर्टल अपनी खबर को सही साबित करने में लगा हुआ है। ‘Meta’ के अधिकारी एंडी स्टोन ने कहा कि यह पूरा मामला फर्जी है और ऐसी रिपोर्ट्स को लिखने वाले भी ये बात जानते हैं। उन्होंने कहा कि उनका जो ईमेल दिखा-दिखा कर ‘The Wire’ अपनी स्टोरी की पुष्टि में लगा हुआ है, वो उन्होंने भेजना और लिखना तो दूर, सोचा तक नहीं है। इन्हीं बनावटी सबूतों के आधार पर ‘The Wire’ कह रहा है कि भाजपा और Meta के बीच करार हुआ है।
इस मामले पर प्रोपेगंडा पोर्टल और अमेरिकी दिग्गज आईटी कंपनी लड़ रहे हैं, लेकिन भाजपा या केंद्र सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यहां तक कि अमित मालवीय ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। आपको याद होगा कि ‘The Wire’ ने दावा किया था कि भाजपा आईटी सेल ने ‘Tek Fog’ नामक एप बनाया है, जिसके तहत पार्टी के खिलाफ बोलने वालों के विरुद्ध पोस्ट्स और ट्वीट्स की बाढ़ ला दी जाती है –
If TailsOS was used to receive an email, Tails must have connected to Tor.
However, Tails "automatically synchronizes the system time at start", Tor fails w/ wrong time, & apps use UTC.
So if time can't be off by *a year*, only few hours (to match Tor IP)https://t.co/KeJQhDzEpm pic.twitter.com/64cnHN5Hdk— Pranesh Prakash (bsky.app/profile/pranesh.in) (@pranesh) October 15, 2022
हालांकि, इसका कोई सबूत नहीं मिला और ये मामला भी ठंडा पड़ गया।
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‘The Wire’ को लताड़
ताज़ा मामले में ‘Squarespace’ कंपनी के तकनीकी विशेषज्ञ ब्रेंट किमेल ने भी ‘The Wire’ को लताड़ते हुए कहा है कि उसके दावे सही नहीं है। वो एंडी स्टोन के साथ काम कर चुके हैं और उनका कहना है कि भले ही एक दशक से उन दोनों की बातचीत नहीं हुई, लेकिन उन्होंने कभी पहले एंडी स्टोन को उस भाषा में बात करते नहीं देखा, जैसा ईमेल में दिख रहा है।
‘The Wire’ ने दावा किया कि ‘@fb.com’ ईमेल एड्रेस पर भेजे गए उसके ईमेल को वहां किसी ने खोला और पढ़ा, इसका उसके पास सबूत हैं। इसके लिए उसने ‘superhuman’ तकनीक का सहारा लिया जो दिखाता है कि किसी के द्वारा भेजे गए ईमेल को कितनी बार खोला गया। ये तकनीक ईमेल में एक तस्वीर डाल देता है, जिसे जितनी बार खोला जाए सूचना सेंडर के पास पहुंच जाती है। प्राइवेसी का झंडाबरदार बनने की नाटक करने वाले ‘The Wire’ की ये हरकत प्राइवेसी का खुला उल्लंघन है।
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शत प्रतिशत सच नहीं
हालांकि, तकनीकी एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ऐसी कोई भी तकनीक शत प्रतिशत सच नहीं बता सकती। एक तरह से ‘The Wire’ एक स्पाई एप का प्रयोग कर के अपनी बात को सही साबित करना चाह रहा। मीडिया संस्थान ने इसके बाद ‘dkimpy’ नामक प्लेटफॉर्म का यूज करने का दावा करते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि कोई ईमेल ऑथेंटिक सोर्स से आया है या नहीं। ‘टेक्नीकल ट्रेडिंग गुरु’ नामक एक ट्विटर हैंडल ने भी स्क्रीनशॉट के माध्यम से बताया है कि ‘The Wire’ ने ईमेल से छेड़छाड़ कर के 2021 की जगह उसे 2022 का बना दिया है।
सौ की सीधी एक बात, द वायर ने जिस प्रकार से रायता फैलाया है, उसे समेटने में जन्मों लग जाएंगे। वैसे अपने आप को स्वतंत्र मीडिया का ध्वजवाहक बताने वाली द वायर एक सरल सा ईमेल अकाउंट यदि नहीं संभाल सकती, तो या तो एक नंबर की ढपोरसंख है या जनता को वैसी समझती है।
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