गोल्डन टेम्पल कहाँ है, यहाँ कैसे पहुंचे एवं मंदिर का इतिहास
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे गोल्डन टेम्पल कहाँ है, साथ ही यहाँ कैसे पहुंचे? पर्यटकों के लिए नियम एवं मंदिर के इतिहास के बारे में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.
अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर न केवल सिखों का एक केंद्रीय धार्मिक स्थान है, बल्कि सभी धर्मों की समानता का प्रतीक भी है. हर कोई, चाहे वह किसी भी जाति, पंथ या नस्ल का क्यों न हो, बिना किसी रोक टोक के अपनी आध्यात्मिक शांति के लिए इस स्थान पर जा सकता है.
गोल्डन टेम्पल का इतिहास
पहले स्वर्ण मंदिर को अमृत सरोवर में बनाने का सपना तीसरे सिख गुरु, श्री अमर दास जी का था. परंतु इसका निर्माण चौथे सिख गुरु रामदास साहिब जी ने बाबा बूढा जी के देखरेख में पूर्ण किया था. श्री हरमंदिर साहिब का निर्माण 1570 में शुरू हो गया था जो 1577 में पूर्ण हुआ था. यह गुरू रामदास का डेरा हुआ करता था. अमृतसर का इतिहास गौरवमयी है. यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है.
अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग में ही हुआ था. इसके बाद भारत पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बड़ा हत्याकांड हुआ.
यहीं नहीं अफगान और मुगल शासकों ने इसके ऊपर अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया. इसके बावजूद सिक्खों ने अपने दृढ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया. हालांकि अमृतसर में समय के साथ काफी बदलाव आए हैं लेकिन आज भी अमृतसर की गरिमा बरकरार है.
इस के बाद ‘अथ सत तीरथ’ का दर्जा देकर यह सिक्ख धर्म का एक अपना तीर्थ बन गया. श्री हरमंदिर साहिब का निर्माण सरोवर के मध्य में 67 वर्ग फीट के मंच पर किया गया है. श्री हरमंदिर साहिब के अंदर ही अकाल तख्त भी मौजूद है जिसे छठवें गुरु, श्री हरगोविंद का घर भी माना जाता है.स्वर्ण मंदिर को मुगलो से आजाद कराया
स्वर्ण मंदिर से जुड़े कुछ रोचक एवं महत्वपूर्ण तथ्य –
अपनी धार्मिक महत्वता होने के बावजूद स्वर्ण मंदिर के बारे में कुछ और ऐसी बाते है जिन्हें जानना आपके लिये बहोत जरुरी है –
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पहले ईंटों और पत्थरों से बना था, लेकिन बाद में इसमें सफेद मार्बल का इस्तेमाल किया गया, और फिर 19वीं शताब्दी में इस मंदिर के गुंबद पर सोने की परत चढ़वाई गई थी.
स्वर्ण मंदिर में बने चार दरवाजे, चारों धर्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसका मतलब यहां हर धर्म के व्यक्ति मत्था टेकने आ सकते हैं.
हरमंदिर साहब गुरुद्धारा में विश्व की सबसे बड़ी किचन है, जहां रोजाना करीब 1 लाख से ज्यादा लोगों को लंगर करवाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि मुगल सम्राट अकबर ने भी गुरु के लंगर में आम लोगों के साथ प्रसाद ग्रहण किया था.
स्वर्ण मंदिर का लंगर
गुरुद्वारों की सबसे खास बात होती है वहां के लंगर इसी तरह हरमंदिर साहिब यानी स्वर्ण मंदिर की सबसे खास बात वहां का लंगर है.
यह लंगर साल के 365 दिन और 24 घंटे लगातार चलता रहता है यहां आने वाले श्रद्धालुओं और गरीबों के लिए यह हमेशा खुला रहता है.
स्वर्ण मंदिर में लंगर में खाने-पीने की पूरी व्यवस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के सेवादारों को सौंपी गई है. जो मंदिर में आने वाले चढ़ावे और अन्य कोषों से लेकर मंदिर में लंगर चलाते हैं
पर्यटकों के लिए नियम–
अमृतसर में स्थित गोल्डन टेम्पल में आने वाले हर श्रद्धालुओं को यहां के कुछ नियमों का पालन करना होता है, जो कि इस प्रकार हैं-
- गुरुद्धारा के अंदर जूता पहनकर आने की अनुमति नहीं है, जूतों को बाहर निकालने के बाद ही लोग यहां आ सकते हैं.
- गुरुद्धारा के परिसर में सिर खोलकर जाने पर मनाही है, स्कार्फ या फिर रुमाल, दुपट्टा आदि बांधकर ही इसमें अंदर प्रवेश किया जा सकता है.
- सिख धर्म की आस्था से जुड़े इस पवित्र तीर्थस्थल के अंदर मांसाहारी भोजन करना, सिगरेट पीना, शऱाब पीना आदि पर सख्त मना है.
गोल्डन टेम्पल कहाँ है, यहाँ कैसे पहुंचे?
अब हम आपको बताने जा रहे है की गोल्डन टेम्पल कहाँ है, एवं हवाई मार्ग, रेलवे मार्ग और सड़क मार्ग द्वारा यहाँ कैसे पहुंचे?
हवाई रास्ता :- स्वर्ण मंदिर से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जहां से आप टैक्सी करके आसानी से स्वर्ण मंदिर पहुंच सकते हैं.
सड़क मार्ग :- अमृतसर एक धार्मिक नगरी होने के कारण यहां सभी जिलों के लिए रोड की व्यवस्था है राष्ट्रीय राजमार्ग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है अमृतसर वैसे दिल्ली से 500 किलोमीटर दूर है.
रेल मार्ग :- सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अमृतसर रेलवे स्टेशन हैं दिल्ली से आप शान-ए-पंजाब या शताब्दी एक्सप्रेस पकड़कर 5 से 7 घंटे में पहुंच जाएंगे बाद में आप रिक्शा करके गुरुद्वारे की तरफ जा सकते है.
स्वर्ण मंदिर जाने के लिए सबसे अच्छा समय –
शनिवार-रविवार को छोड़कर आप किसी भी समय आ सकते है. मगर अगर आप गर्मियों में यहाँ आते है तो आपको बहुत ही तकलीफ सहनी पड़ेगी क्योकि उस वक्त्त स्वर्ण मंदिर अमृतसर में बहुत गर्मी हुआ करती है. लेकिन आप अगर जुलाई से अगस्त के बीच बारिश के मौसम में आते है तो आपको बहुत ही सुहावना अनुभव मिल सकता है. उसके अलावा अक्टूबर से मार्च तक का समय भी बहुत ही अच्छा है.
FAQ –
Ques-स्वर्ण मंदिर की नींव कब और किसने रखी ?
Ans: चौथे गुरू रामदास जी ने स्वर्ण मंदिर की नींव रखी थी.
Ques-अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के रूप में जाना जाने वाला सिख धर्म के सबसे पवित्र मंदिर को पूरा करने वाले कौन से सिख गुरु है ?
Ans- स्वर्ण मंदिर को गुरु अर्जुन देव ने मंदिर की वास्तुकला और पूरा बनवाने का काम किया था.
Ques-स्वर्ण मंदिर में किसकी पूजा होती है?
Ans- श्री हरमंदिर साहिब के अंदर ही अकाल तख्त भी मौजूद है.जिसे छठवें गुरु, श्री हरगोविंद का घर भी माना जाता है.
Ques-अमृतसर का पहले क्या नाम था ?
Ans- स्वर्ण मंदिर सरोवर का जल अमृत के सामान है. जिसके चलते यह सरोवर को अमृतसर कहते है. और शहर का नाम भी सरोवर के नाम पर ही रखा गया है.
Ques-अमृतसर स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा है?
Ans- स्वर्ण मंदिर अमृतसर में स्थित 400 कीलो सोने से जड़ा हुआ गुरुद्वारा है.
Ques- स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा हुआ है?
A- स्वर्ण मंदिर के ऊपरी हिस्से में 750 किलो स्वर्ण चढ़ाया गया है.
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Ques- गोल्डन टेंपल का हिंदी क्या होता है?
A- गोल्डन टेंपल को हिन्दी में स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है.
Ques- स्वर्ण मंदिर के संस्थापक कौन थे?
Ans- स्वर्ण मंदिर की नीव की शुरुवात सिखों के चौथे गुरू रामदास जी द्वारा की गयी थी.
Ques- स्वर्ण मंदिर का पुराना नाम क्या था?
Ans- स्वर्ण मंदिर को प्राचीन समय में दरबार साहिब के नाम से जाना जाता है.
Ques- स्वर्ण मंदिर की नींव कब और किसने रखी?
Ans- स्वर्ण मंदिर की नींव की शुरुवात सन 1581 ईस्वी में सिखों के चौथे गुरू रामदास जी द्वारा की गई थी.
Ques- स्वर्ण मंदिर कहां स्थित है?
Ans- स्वर्ण मंदिर अमृतसर में स्थित हैं.
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