पीएम मोदी ने युवाओं के लिए धार्मिक यात्रा को ‘कूल’ कैसे बना दिया?

पहले जो युवा धार्मिक स्थलों का नाम तक नहीं लेता था, आज कूद-कूदकर जा रहा है!

धार्मिक यात्रा

छुट्टियां मिलने पर अक्सर ही हम सभी का मन करता है कि कहीं घूमने निकल जाए। परिवार और दोस्तों के साथ थोड़ा समय बिताए। पहले लोग छुट्टियों में विदेशों के ट्रिप पर जाना अधिक पसंद करते थे या फिर वे वीकेंड में हिल स्टेशन घूमने निकल जाते थे। परंतु देखा जाये तो अब यह ट्रेंड काफी हद तक बदलने लगा है। इन सबमें अब काफी परिवर्तन होता हुआ दिखने लगा है। अब छुट्टियों पर ट्रिप पर जाने की जगह धार्मिक स्थलों की तरफ लोग अधिक आकर्षित होते नजर आ रहे हैं। खास तौर पर यदि बात हम युवाओं की करें तो धार्मिक स्थलों पर उनकी बढ़ती संख्या इस बात का प्रमाण देती है कि वह भी अब इनकी ओर खींचे चले आ रहे हैं। टीएफआई प्रीमियम में आपका स्वागत है। इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर युवाओं के बीच यह बदलाव आया तो आया कैसे? इसका श्रेय यदि किसी को दिया जायेगा तो वो निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही होंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने धार्मिक स्थलों की यात्रा को आज की युवा पीढ़ी के लिए एक कूल चीज में बदल दिया है। जैसा कि देखने मिलता ही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज की युवा पीढ़ी से जुड़ने के अनेकों प्रयास करते रहते हैं। वो नयी पीढ़ी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की कोशिश करते हैं और वो इसमें सफल भी होते नजर आते हैं। यही कारण है कि पीएम मोदी युवाओं की पसंद बने हुए हैं और जो कुछ भी प्रधानमंत्री करते हैं युवाओं की नजर भी उस पर रहती है। कुछ इसी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं को धार्मिक स्थलों की ओर आकर्षित किया है।

हर थोड़े समय में आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी न किसी धार्मिक स्थल की यात्रा पर जाते नजर आ ही जाते होंगे। उनकी यह यात्रा काफी चर्चाओं में भी रहती हैं। इस दौरान पीएम मोदी कुछ न कुछ ऐसा अलग और खास कर ही देते हैं, जिसकी वजह से यह काफी सुर्खियां बटोरने लगती हैं। वो जिस भी धार्मिक स्थल पर जाते हैं, अपने आप को पूरी तरह से उसी में ढ़ाल लेते हैं। यही उनका साधारण किंतु अनोखा अंदाज लोगों के बीच सुर्खियां बटोर लेता है।

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चर्चा में रहती हैं पीएम की धार्मिक यात्राएं

अब उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया दौरा ही ले लीजिए। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी अक्सर ही बाबा केदार के धाम में सिर झुकाने के लिए आते रहते हैं। 21 अक्टूबर शुक्रवार को वो एक बार फिर केदारनाथ पहुंचे। प्रधानमंत्री बनने के पश्चात यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केदारनाथ में छठवां दौरा था। इस दौरान वो बाबा केदार की भक्ति में लीन नजर आये। केदारनाथ पहुंचकर प्रधानमंत्री ने बाबा केदार का रुद्राभिषेक किया।

हालांकि, अपनी इस यात्रा के दौरान जो पोशाक उन्होंने पहनी वह एक बार फिर चर्चा का विषय बन गयी। सफेद पोशाक के साथ वो लाल पहाड़ी टोपी और कमर पर साफा बांधे नजर आये। पीएम मोदी ने जो पोशाक पहनी थी उसे हिमाचल प्रदेश के चंबा की महिलाओं द्वारा हाथ से बनाकर तैयार किया गया था। इसे ‘चोल डोरा’ के नाम से जाना जाता है। इस दौरान उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप माथे पर चंदन का त्रिपुंड भी धारण किया था। इससे पहले भी जब-जब पीएम केदारनाथ यात्रा पर आये उनके पहनावे में ऐसा कुछ अलग और खास शामिल रहा, जिस कारण उन्होंने खूब चर्चाएं बटोरीं।

देखा जाये तो प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी कई बार विभिन्न धार्मिक स्थलों की यात्रा पर जाते रहे हैं। अपनी इन यात्राओं के दौरान पीएम मोदी ऐसा कुछ न कुछ अलग अवश्य करते हैं, जिस कारण यह देशभर में सुर्खियों का हिस्सा बन जाती हैं। इन सबको देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पीएम मोदी अपने तरीके से देश की जनता को वापस अपने संस्कृति को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं, जो काफी सराहनीय है।

मंदिरों के कायाकल्प से बदल रहा है देश

इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न धार्मिक स्थलों का जीर्णोंद्धार और परिवहन के नये साधन उपलब्ध कराकर धार्मिक पर्यटन को अधिक व्यापक और लोकप्रिय बना दिया है। देखा जाये तो वर्ष 2014 में पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद धार्मिक स्थलों के विकास और जीर्णोंद्धार के लिए अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं, जिसके एक से बढ़कर एक उदाहरण देखने को मिल जाएंगे।

कुछ दिनों पूर्व ही पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल कॉरिडोर ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया। महाकाल परिसर का विस्तार 20 हेक्टेयर में किया जा रहा है। लगभग 856 करोड़ रुपये की लागत के इस प्रोजेक्ट के पहले चरण को लगभग 350 करोड़ रुपये में संपन्न कर लिया गया। इसके अलावा सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हो, केदारनाथ धाम का कायाकल्प हो, अयोध्या में राम मंदिर का भव्य स्तर पर भूमि पूजन हो या फिर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शुभारंभ, पीएम मोदी पौराणिक मंदिरों के कायाकल्प में जुटे हैं। पहले की सरकारों के लिए तो यह धार्मिक स्थल कोई अर्थ नहीं रखते थे या यह भी कह सकते हैं कि पहले की सरकारों के लिए मुस्लिम तुष्टीकरण अति आवश्यक था और हिंदुओं के धार्मिक स्थल वोट बैंक का माध्यम नहीं थे। इस कारण उन्होंने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया।

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ज्ञात हो कि मंदिर और दूसरे तीर्थस्थल स्थानीय लोगों के रोजगार का जरिया बनते है। साथ ही इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही यदि हम तस्वीर थोड़ी बड़ी करके देखें तो पता चलेगा कि तीर्थस्थल किस प्रकार से देश के विकास में भी अहम योगदान देते हैं। भारत की जीडीपी में धार्मिक यात्राएं महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। एनएसएसओ के सर्वेक्षण के अनुसार धार्मिक अर्थव्यवस्था 3.02 लाख करोड़ रुपये या लगभग 40 अरब डॉलर हो गयी है और GDP में इसका हिस्सा 2.32 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2022-23 में केंद्र सरकार का राजस्व 19,34,706 करोड़ रुपये है और केवल छह मंदिरों ने अकेले 24,000 करोड़ रुपये नकद एकत्र किए हैं।

चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड

कुछ इस तरह पीएम मोदी के द्वारा धार्मिक स्थलों की तरफ लोगों को आकर्षित किया जा रहा है और यदि हम कुछ आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पायेंगे कि वो इसमें काफी हद तक सफल होते हुए भी नजर आ रहे हैं। क्योंकि कुछ समय से धार्मिक स्थलों पर लोगों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। इस वर्ष की बात की जाये तो चारधाम यात्रा के इतिहास में पहली बार तीर्थयात्रियों की संख्या का नया रिकॉर्ड बना है। इसके आधार पर सरकार द्वारा चारधाम यात्रा को लिम्का बुक रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बीते दिनों बताया था कि चारधाम यात्रा में अब तक 42 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं, जो यात्रा के इतिहास में रिकॉर्ड है। इसके आधार पर चारधाम यात्रा को लिम्का बुक रिकॉर्ड में दर्ज कराया जाएगा।

वहीं, चारधामों के कपाट बंद होने तक यह संख्या 45 लाख तक पहुंचने की संभावना है। इससे पहले का रिकॉर्ड वर्ष 2019 में था, जब लगभग 35 लाख तीर्थयात्रियों ने चार पवित्र तीर्थस्थलों के दर्शन किए थे। फिर दो वर्षों तक कोविड प्रतिबंधों के कारण तीर्थयात्रियों की संख्या में काफी कमी आ गयी थीं। हालांकि अब इस वर्ष अब तक 42 लाख तीर्थयात्रियों का रिकॉर्ड चारधाम यात्रा का बन चुका है। आंकड़ों के अनुसार इस साल अब तक लगभग 15 लाख तीर्थयात्री बद्रीनाथ जा चुके हैं, 14 लाख से अधिक केदारनाथ की यात्रा की, जबकि 6 लाख से अधिक तीर्थयात्री गंगोत्री और 5 लाख से अधिक यमुनोत्री आए हैं।

धार्मिक स्थलों की यात्रा पर जाने के इच्छुक लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। इस वर्ष इसमें 35 से 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती हुई देखने को मिली है। ऑनलाइन यात्रा ऐप इक्सिगो ने अपने ऐप और वेबसाइट पर कुछ प्रश्न पूछे और इस आधार पर तुलना करने पर पाया कि मार्च 2022 तक धार्मिक स्थलों के लिए ‘सर्च’ में वृद्धि हुई है। मार्च तक कटरा को लेकर सर्च में सबसे अधिक 83 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। वहीं इसके अलावा तिरुपति (73 प्रतिशत), हरिद्वार (36 प्रतिशत), ऋषिकेश (38 प्रतिशत), रामेश्वरम (34 प्रतिशत) के लिए भी सर्च में इजाफा हुआ है। इन स्पष्ट होता है कि देश की जनता का झुकाव धार्मिक स्थलों की तरफ बढ़ रहा है। अब लोग महंगी-महंगी विदेशी ट्रिप पर जाने की जगह केदारनाथ, बद्रीनाथ और बाबा अमरनाथ की यात्रा करना अधिक पसंद करते हैं। वे अपनी सांस्कृतिक विरासत में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

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