भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है, जहां विभिन्न धर्मों को अपने अनुसार रहने की पूरी पूरी स्वतंत्रता हैं। यहां न तो स्थिति पाकिस्तान जैसी है, न ही बांग्लादेश और न ही अन्य इस्लामिक देशों। भारत में हर धर्म के लोगों को अपने अनुसार हर त्योहार मनाने की भी स्वतंत्रता मिलती है। परंतु इसी का गलत प्रयोग करते हुए कुछ लोग अपने त्योहारों की आड़ में देश के माहौल को बिगाड़ने में लग जाते हैं। पिछले कुछ समय से हो रही घटनाओं पर गौर करेंगे तो ऐसा लगेगा कि हिंदुओं के साथ विरुद्ध जहर उगलना और मारपीट करना ही इस्लामिस्टों के लिए अपने त्योहार मनाने का तरीका बनता चला जा रहा है।
जोधपुर में ‘सर तन से जुदा’ नारे लगे
ऐसा ही कुछ एक बार फिर इस्लाम के अहम त्योहारों में से एक ईद ए मिलाद उन नबी के अवसर पर देखने मिला। 9 अक्टूबर 2022 को देशभर में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का उत्सव मनाया गया। इस दौरान ही कुछ राज्यों में “सर तन से जुदा” जैसे हिंदुओं के विरुद्ध भड़काऊ नारे लगाये गये। ऐसी ही एक घटना राजस्थान के जोधपुर में भी देखने को मिली। राजस्थान के जोधपुर जिले में पीपड़ कस्बे में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के अवसर पर एक जुलूस निकाला गया था। जोधपुर में जुलूस के दौरान ‘सर तन से जुदा’ के लगाये गये थे।
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पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेज़ी से वायरल हो गया। वीडियो में कुछ लोगों को ‘सर तन से जुदा’ नारा लगाते हुये देखा गया। हालांकि इस भीड़ में नारे लगाने के लिए उकसाने वाले मुख्य आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है। कथित तौर पर गिरफ्तार किए जाने वाले की पहचान रोशन अली के रूप में हुई है। इस आरोपी पर अतीत में भी सांप्रदायिक हिंसा में आरोप लग चुका है।
ऐसा पहली बार तो कतई नहीं है, जब राजस्थान में यूं हिंदुओं को निशाना जा रहा हो, उनके विरुद्ध यूं नफरती बयानबाजी की जा रही हो। पिछले कुछ समय से हो रही घटनाओं पर गौर करेंगे तो ऐसा प्रतीत होगा मानो गहलोत सरकार के शासन में राजस्थान हिंदू विरोधियों का गढ़ बनता चला जा रहा है। जून माह में उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल को जिस बेरहमी की जिस बेरहमी से मारा गया उस घटना को तो कोई भूल नहीं सकता। कैसे नुपूर शर्मा के एक बयान की आड़ लेकर कन्हैया लाल की निर्ममता से हत्या की गयी थीं। इस घटना के बाद पूरे देश का माहौल काफी बिगड़ गया था।
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बंगाल में लक्ष्मी पूजा पर नफरती गैंग का उत्पात
केवल राजस्थान ही नहीं पश्चिम बंगाल में भी ऐसी ही एक घटना सामने आई है, जहां ईद के मौके पर हिंसा देखने को मिली। दरअसल, कोलकाता के मोमिनपुर इलाके में हिंदू समुदाय के कुछ लोग इस्लामिस्टों के हमले का शिकार हुये। वहां कुछ लोग हिन्दू वार्षिक लक्ष्मी पूजा मनाने के लिए आए थे। लक्ष्मी पूजा पर उपद्रवियों के द्वारा जमकर उत्पात मचाया गया। भीड़ ने घरों में आगजनी के साथ ही गाड़ियों में तोड़फोड़ तक की। पूरी घटना को लेकर बंगाल बीजेपी अध्यक्ष शुभेंदु अधिकारी ने गृहमंत्री अमित शाह और बंगाल के राज्यपाल एल गणेशन को पत्र लिखकर CAPF की तैनाकी की मांग की है।
वहीं, इस पर पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि मोमिनपुर के मैला डिपो में इस्लामवादियों के द्वारा हिंदुओं की बाइक और कुछ दुकानों में तोड़फोड़ की घटना हुई है। इस तरह से राज्य में हिंदू आबादी पर हमले होना सही बात नहीं है। राजस्थान और पश्चिम बंगाल में इस तरह की घटनाएं होना कोई नयी बात तो नहीं है। सबको मालूम है कि यहां किनकी सरकार के हाथों में सत्ता है और सरकार के द्वारा किन्हें संरक्षण प्राप्त है।
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अगर सही मायनों में देखा जाए तो हिंदुओं और बाकी धर्मों में भी विशेष तरह के जुलूस और यात्रायें निकाली जाती है। परंतु उनमें किसी भी तरह की कोई हिंसा, मारपीट या फिर इस प्रकार की घटनाएं तो देखने को नहीं मिलती। अन्य धर्म बड़ी ही सरलता से अपने-अपने त्योहार बनाने में विश्वास रखते हैं। ईद-ए-मिलाद को इस्लाम में पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। दुनियाभर के मुस्लिम इसे एक महत्वपूर्ण दिन मानते हैं। फिर भी इस्लामवादियों ने इसी दिन को चुना भड़काऊ नारे लगाने, हिंसा-मारपीट जैसी घटनाओं को अंजाम देने और देश के माहौल को बिगाड़ने के लिए।
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