भारतीय मूल के ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक का पहला कदम ही भारत विरोधी है

भारतीय इनसे कोई भी आशा न रखें!

गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन

ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय मूल के ऋषि सुनक के दीपावली के शुभ अवसर पर निर्विरोध रूप से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चुने जाने पर भारतीयों में खुशी की लहर दौड़ गयी। सोशल मीडिया पर ऋषि सुनक की इस उपलब्धि को लेकर फुल माहौल बना हुआ है। हो भी क्यों न, जिस ब्रिटेन ने भारत पर 200 साल तक राज किया, उसी भारतीय मूल का एक व्यक्ति आज ब्रिटेन का प्रधानमंत्री जो बना है। देश के साथ-साथ विदेशी मीडिया में भी ऋषि सुनक के नाम की खूब चर्चा हो रही है, वहीं भारतीय इस ऐतिहासिक घटना से गर्व से भरे जा रहे हैं। लेकिन ये क्या? ऋषि सुनक ने पद संभालते ही पहला कदम भारत के विरुध ही उठा दिया है।  यह जानने के बाद कुछ लोगों को बुरा तो अवश्य लग रहा होगा, क्योंकि कुछ लोगों ने तो सुनक के द्वारा कोहिनूर लौटा लाने जैसी आशाएं बांध ली हैं।

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भारतीयों के विरुद्ध विष उगलने वाली सुएला ब्रेवरमैन

ऋषि सुनक को ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बने कुछ ही समय बीता है लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री बनते ही भारतीयों की भावनाओं पर तगड़ा प्रहार किया है। दरअसल, ऋषि सुनक ने भारतीयों के विरुद्ध विष उगलने वाली सुएला ब्रेवरमैन को अपनी कैबिनेट में शामिल कर लिया है। भारतीयों की आलोचना करने वाली सुएला ब्रेवरमैन को ब्रिटेन की गृहमंत्री बनाया गया है। ज्ञात हो कि सुएला ब्रेवरमैन ने भारतीयों को लेकर एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सबसे बड़ी संख्या में भारतीय वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी ब्रिटेन में रुके रहते हैं, जिससे ब्रिटेन में भारतीयों की भीड़ बढ़ जाती है। उन्होंने यह बयान भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर ही दिया था। ब्रेवरमैन ने कहा था कि उन्हें डर है कि भारत के साथ व्यापार समझौते से ब्रिटेन में आने वाले भारतीयों की संख्या और भी बढ़ सकती है।

केवल यही नहीं सुएला अंग्रेजों के गुलामी काल का बहुत अधिक गुणगान तक करती हैं, यहां तक कि वो स्वयं भी भारतीय मूल की ही हैं। सुएला के ऐसे बयान पर भारत की ओर से आपत्ति जताई गयी थी, भारत ने उत्तर में कहा था कि भविष्य में कोई भी डील दोनों ओर के लाभ को देखकर ही की जाएगी।

सुएला ब्रेवरमैन ने ब्रिटिश गृहमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सुएला भारत विरोधी बयान देने के कारण विरोधियों के निशाने पर थीं। इससे पहले पीएम रहते हुए लिज ट्रस ने वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग को बर्खास्त कर दिया था। तब सुएला ब्रेवरमैन गृहमंत्री पद से अपने इस्तीफे के साथ ही ब्रिटेन के इतिहास में सबसे कम समय यानी 43 दिन तक कार्य करने वाली गृहमंत्री बन गई थी। ब्रेवरमैन ने अपने बयान में कहा था कि मुझे इस बात का बहुत खेद है कि मैंने इस्तीफा देना का निर्णय किया। उन्होंने कहा था कि मैंने अपने निजी ईमेल के द्वारा सरकारी दस्तावेज को आधिकारिक तौर पर प्रकाशित होने से पहले ही एक विश्वसनीय सांसद को भेज दिया था, जिसे नियमों का उल्लंघन बताया गया लेकिन इसके पीछे इसका मकसद माइग्रेशन को लेकर सरकार की नीति के लिए समर्थन जुटाना था। जैसा कि आपको पता है कि यह डॉक्यूमेंट मेरे बयान का मसौदा मात्र था, इसमें से अधिकतर जानकारी पहले से ही सांसदों तक जा चुकी थी लेकिन फिर भी मैंने मेरा इस्तीफा देना ही सही कदम समझा।

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चीन का समर्थन

ध्यान देने वाली बात है कि दोनों ही सुएला ब्रेवरमैन और ऋषि सुनक भारतीय मूल के हैं लेकिन इसके बाद भी भारत के विरुद्ध इनकी सोच समय-समय पर उजागर होती रही है। ऋषि सुनक के द्वारा भारत विरोधी सोच रखने वाली सुएला ब्रेवरमैन को मंत्रीमंडल में जगह देने का कदम कितना भारत हितैषी हैं यह तो कोई छोटा बच्चा भी समझ जाए। तो वहीं स्वयं ऋषि सुनक ने कई माह पूर्व भारत के सबसे कट्टर शत्रुओं में से एक चीन का समर्थन करते हुए कहा था कि वो चीन की क्षमता को अनदेखा नहीं कर सकते हैं, यहां तक कि उन्होंने चीन के मार्केट को एक्सेस करने की बात पर भी विचार करने को कहा था। परंतु जब ग्लोबल टाइम्स ने इनकी प्रशंसा में गीत गाए तो सुनक ने अपनी बात से मानो पलटते हुए कहा, “चीन ‘हमारी तकनीक’ चुरा रहा है और हमारे विश्वविद्यालयों में घुसपैठ कर रहा है। साथ ही चीन रूसी तेल खरीदकर विदेश में व्लादिमीर पुतिन को बढ़ावा दे रहा है।” इसके अलावा ताइवान सहित पड़ोसियों को धमकाने के प्रयास में भी लगा हुआ है।

उन्होंने चीन की वैश्विक बेल्ट एंड रोड योजना पर अपमानजनक ऋण के जरिए विकासशील देशों को दबाने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं, महोदय ने आगे कहा था, “हम अपनी यूनिवर्सिटीज से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को बाहर निकाल देंगे। साथ ही उच्च शिक्षा प्रतिष्ठानों को मिलने वाली £50,000 ($60,000) से अधिक की विदेशी फंडिंग का पता लगाएंगे। ब्रिटेन की घरेलू जासूसी एजेंसी MI5 का इस्तेमाल चीनी जासूसी से निपटने में मदद के लिए किया जाएगा। साइबर स्पेस में चीनी खतरों से निपटने के लिए नाटो-स्टाइल में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रयास करेंगे।”

गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन और ऋषि सुनक कोई पहला उदाहारण नहीं हैं जिन्होंने भारतीय मूल का होने के बाद भी भारत के विरुद्ध विष उगला हो, इससे पहले भी कई उदाहारण दिखायी पड़ते हैं।

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कमला हैरिस और बॉबी जिंदल

अमेरिका की ही बात कर लेते हैं जहां कमला हैरिस और बॉबी जिंदल को लेकर भारतीयों में उत्साह था। जिस तरह ऋषि सुनक के लिए भारतीय प्रसन्न हैं उसी तरह से भारतीय जड़ों के कारण कमला हैरिस के चुनाव का स्वागत किया गया था। हालांकि, परिणाम क्या रहा वो सबके सामने है. उसी हैरिस-बाइडेन प्रशासन ने कश्मीर पर पाकिस्तान समर्थक प्रस्ताव पारित किया।

हैरिस के अतिरिक्त एक ऐसे भारतीय भी रहे हैं जिन्होंने अमेरिकी बनने के बाद स्वयं को भारतीय होने से ही अलग कर लिया था। अमेरिका के लुसियाना के पूर्व गवर्नर भारतीय मूल के बॉबी जिंदल ने अमेरिका में रह रहे भारतीयों को पाठ पढ़ाते हुए कहा था कि “खुद को भारतीय अमेरिकी कहना बंद करें।” उन्होंने स्वयं को भी भारतीय-अमेरिकी कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि “उनके माता-पिता भारत से अमेरिका, अमेरिकी बनने आए थे, न कि भारतीय अमेरिकी।” ऐसे में ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने मात्र से यह सुनिश्चित नहीं होगा कि भारत और यूके में सब चंगा सी.

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भारत के विरुद्ध कदम

अगर कोई भारतीय मूल का व्यक्ति किसी दूसरे देश में जाकर झंड़े गाड़ता है तो सभी भारतीय उसका मिल झुलकर जश्न मनाते हैं. लेकिन व्यक्ति शिखर पर पहुंचकर अपनी जड़ों को ही भूल जाए और उन्हें काटने का प्रयास करें तो उसे आप क्या कहेंगे? पूरे देश ने ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने का जश्न मनाया लेकिन सुनक ने अपना पहला ही कदम भारत के विरुद्ध चल दिया। भारतीयों को सुनक से इतनी तो आशा थी ही कि वो अपनी जड़ों को ध्यान में रखेंगे और भारत के हित में कोई कदम अवश्य उठाएगें। लेकिन सुनक तो अभी ऐसा कुछ भी करते दिखायी नहीं देते हैं।

भारतीय होने के नाते आप सभी इस बात से तो परिचित होंगे ही कि किसी व्यक्ति के साथ भारतीय शब्द जुड़ते ही उसके लिए भावनाएं प्रगाढ़ हो जाती हैं और ठीक ऐसा ही सुनक के लिए हुआ है। कोई भी, कहीं भी शिखर पर पहुंच जाए,  बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल ले लेकिन यदि वो मूल रूप से भारतीय है तो भारत का प्रत्येक नागरिक उसके समर्थन में खड़ा हो जाता है।  लेकिन यहां समझना ये होगा कि इतना उत्साहित होना कहां कर लाभकारी है। आज ऋषि सुनक ब्रिटेन के पीएम बन गए हैं तो इसमें इतनी उत्सुकता और प्रसन्नता क्यों? जब हमने भारत के पीएम पद के लिए सोनिया गांधी का विरोध किया तो हम ऋषि सुनक के ब्रिटेन के पीएम बनने से प्रसन्न क्यों हैं? याद रखिए ब्रिटेन के लोगों ने उन्हें वोट दिया है  वो ब्रिटेन के लोगों के लिए सोचेंगे, चाहे उन्हें भारत विरोधी कदम ही क्यों न उठाने पड़े।

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